झूठ का कारोबार: ट्रंप ने फिर रचा बाहरी ड्रामा

भारत स्वतंत्र है, मजबूत है और सत्यनिष्ठ है। ट्रंप तो महज अपनी काल्पनिक कथा का एक साधारण पात्र हैं। यह दीपावली सत्य की ऐतिहासिक विजय का प्रतीक बनेगी-झूठ को आईना दिखाकर बेनकाब करेगी और सत्य को पूर्ण सम्मान देगी। भारत इन शोरगुलों को नजरअंदाज कर अपनी राह पर अडिग चलेगा।
दीपावली की पवित्र रात्रि में, जब घर-घर दीये जलते हैं और सत्य की ज्योति अंधकार पर विजय का संदेश देती है, तब कुछ लोग अपनी झूठी चमक से दुनिया को भ्रमित करने की कोशिश करते हैं। ये वे ही हैं जो अंधेरी रातों में मिथ्या सूरज बनकर चमकते हैं, लेकिन सच्ची ज्योति के सामने टूटे पतंग की तरह धराशायी हो जाते हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप का ताजा दावा ठीक ऐसी ही मिथ्या चमक का प्रतीक है।
21 अक्तूबर की रात को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर दीपावली की शुभकामनाओं के बहाने, उन्होंने भारत पर रूस से तेल खरीदने का वचन थोपने का हास्यास्पद काल्पनिक कथानक रचा। यह दावा वैश्विक कूटनीति की भ्रामक दुनिया का आईना है और ट्रंप की पुरानी साजिश सत्य को तोड़ने-मरोड़ने का चरम। ट्रंप ने संक्षिप्त बातचीत को काल्पनिक संधि का हथियार बना लि़या-मोदी ने वादा किया कि रूस से ज्यादा तेल नहीं खरीदेंगे।
यह भारत की स्वतंत्र ऊर्जा नीति को उनके जाल में फंसाने की कोशिश है, जो पिछले हफ्ते के झूठों की कड़ी का नवीनतम मोती है। ट्रंप की धूर्त आदत जगजाहिर है -झूठ को बार-बार दोहराकर सत्य का भ्रम रचना। दीपावली की उज्ज्वल रौशनी में ही उनका अंधेरा उघाड़ फेंकना। दीपावली सिखाती है झूठी चमक को पहचानने का तरीका यही है सच्चाई की ज्योति जलाकर देखो, सब बेनकाब हो जाता है।
ट्रंप के दावों और भारत के तेल आयात तथ्य
ट्रंप की यह बकवास सुनकर लगता है जैसे वे व्हाइट हाउस से दीये जला रहे हों, लेकिन कूटनीतिक ज्योतियां जलाने के नाम पर अपनी परछाईं को सूरज बना रहे हों। यह भ्रम दीपावली की रौशनी में पल भर में बेनकाब। पिछले हफ्ते का सिलसिला देखिये -चार झूठ, छह दिनों में। 15 अक्तूबर मोदी ने आश्वासन दिया, रूस से तेल बंद। 16 अक्तूबर को विदेश मंत्रालय की ठुकाई -ऐसी बातचीत हुई ही नहीं।
फिर 16 अक्तूबर मोदी ने वादा किया। 20 अक्तूबर, एयर फोर्स वन पर इनकार किया तो टैरिफ चुकाओगे। 21 अक्तूबर, दीपावली पर वे ज्यादा तेल नहीं खरीदेंगे, कटौती शुरू। यह धूर्त चाल- काल्पनिक कथा को बार-बार रंग भरकर परोसना। अमेरिकी राजनीति में चमकती रही, लेकिन भारत जैसे संप्रभु शेर को बकरी समझना मूर्खता! सच्चाई? मोदी का एक्स पोस्ट -धन्यवाद ट्रंप, शुभकामनाओं के लिए। बस। न तेल, न वादा सिर्फ शुभकामनाएं। ट्रंप की एकतरफा उद्घोषणा भारत की अटल विदेश नीति पर थूकने जैसी, जो राष्ट्रीय हितों की चट्टान पर खड़ी है।
ट्रंप की बकबक न केवल झूठी है, बल्कि ठोस आंकड़ों से भी चुभती है। भारत ने रूस से तेल आयात क्यों बढ़ाया? यूक्रेन युद्ध के बाद रूस ने सस्ता डिस्काउंटेड तेल दिया, जिससे भारत को अरबों डॉलर की बचत हुई। 2024 में कुल 52.73 अरब डॉलर का तेल आयात हुआ। 2025 के पहले छह महीनों में रूस सबसे बड़ा सप्लायर बना -1.75 मिलियन बैरल प्रतिदिन, जो कुल आयात का 35-36 प्रतिशत था। सितंबर 2025 में यह हिस्सा 34 प्रतिशत रहा।
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भारत की ऊर्जा नीति और ट्रंप की दोहरी चाल
ट्रंप का कटौती का दावा? जनवरी से अगस्त तक महज 10 प्रतिशत की मामूली कमी आई, जो बाजार की गतिशीलता से हुई, न कि किसी फोन कॉल से। सितंबर में रिलायंस ने आयात बढ़ाया, जबकि सरकारी कंपनियों ने घटाया। अक्तूबर में तो 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई-1.9 मिलियन बैरल प्रतिदिन क्योंकि यूक्रेन ड्रोन हमलों से क्रूड अधिक उपलब्ध हुआ। भारत की नीति स्पष्ट है- ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना और कीमतें स्थिर रखना।

सस्ता रूसी तेल वैश्विक महंगाई को रोकता है, जो अमेरिका के लिए भी फायदेमंद है। लेकिन ट्रंप यूक्रेन को मोदी का युद्ध कहकर भारत को निशाना बनाते हैं, जबकि अमेरिका खुद अप्रत्यक्ष रूप से इसमें जुड़ा हुआ है। उनकी दोहरी चाल प्रतिबंध और व्यापार चेतावनी सीधे भारतीय परिवारों की जेब पर चोट करती है। आंकड़े चीख-चीखकर बता रहे हैं: जनवरी-जून में 1.75 मिलियन बैरल प्रतिदिन, सितंबर में निजी क्षेत्र ने बढ़ोतरी की।
रिलायंस का जामनगर रिफाइनरी 50 प्रतिशत रूसी क्रूड पर चल रही है, जिससे 8 अरब डॉलर का कारोबार हुआ। अगर भारत रुक गया, तो तेल कीमतें आसमान छू लेंगी। ट्रंप की कूटनीतिक अकड़ दीपावली के पावन पर्व को भी व्यापारिक बाजार में तब्दील कर देती है। शुभकामनाएं देना ठीक है, लेकिन पाकिस्तान को घुसेड़ना कहां का न्याय? वे दावा करते हैं, मैंने युद्ध रुकवाने की बात नहीं की, बल्कि व्यापार से ही बोल पाया।
भारत-पाक रिश्तों में ट्रंप की एकतरफा मध्यस्थता
यह भारत-पाकिस्तान तनाव में मध्यस्थता का सुनहरा मौका तलाशना है, जबकि भारत हमेशा द्विपक्षीय समाधान पर जोर देता रहा है। ट्रंप कहते हैं, मोदी मेरा अच्छा दोस्त है। लेकिन यह दोस्ती कहां? उनकी नीतियां तो भारत के हितों को तोड़-मरोड़कर पेश करती हैं। बालाकोट हमले के बाद उन्होंने पाकिस्तान को बचा लिया और अब दीपावली पर रूस पर दबाव डाल रहे हैं। यह महज चुनावी रणनीति है रूस को अलग-थलग करने का हीरो बनने की कोशिश। हकीकत यह है कि उनकी यूक्रेन नीति लड़खड़ा गई, तेल कीमतें बेकाबू हो गईं और सारा दोष भारत पर डाल दिया। लेकिन भारत नहीं झुका -50 प्रतिशत टैरिफ के बावजूद रूसी तेल आयात जारी रखा।
ट्रंप का झूठ वैश्विक विश्वास के लिए घातक खतरा बन गया है। उनके शब्द महज गुब्बारे हैं -फूटते ही हंसी उड़ाते हैं। भारत से बहुत प्यार लेकिन प्रतिबंधों की बौछार? मोदी ने साफ कहा, दोनों लोकतंत्र आशा की ज्योति जलाएं और आतंक के खिलाफ एकजुट हों। ट्रंप का दावा तो आर्थिक आतंक ही है। भारत संतुलित रुख अपनाता है रूस से पुरानी दोस्ती, अमेरिका से मजबूत पार्टनरशिप। पाकिस्तान का जिक्र करते हुए युद्ध नहीं होने दिया यह भारत को आक्रामक ठहराने की साजिश है।
बालाकोट तो पुलवामा आतंक का करारा जवाब था। ट्रंप की मध्यस्थता पाकिस्तान को हमेशा बचा ले जाती है। दीपावली पर ट्रेड वॉर को चाशनी में लपेटकर परोसना क्या यही दोस्ती? सच्ची दोस्ती एकतरफा नहीं नहीं होती भारत ने हथियार, तकनीक साझा की, लेकिन ऊर्जा मामलों में कभी दखल नहीं दिया। युद्ध खत्म करना चाहते हैं यह तो सही है, लेकिन तेल आयात को जोड़ना हास्यास्पद है। भारत शांति की वकालत करता है, रूस को सजा नहीं देता।
दीपावली में सत्य की ज्योति से झूठ का अंत
ट्रंप की पाखंडपूर्ण चालें साफ दिखाती हैं यूरोप को महंगी गैस थोपते हैं, खुद सस्ता एलएनजी बेचते हैं। भारत का रूसी तेल वैश्विक स्थिरता का मजबूत स्तंभ है इसे तोड़ने की कोशिश बेकार! ट्रंप की बकबक महज मनोवैज्ञानिक चाल है झूठ को बार-बार दोहराकर सत्य में बदलने की कोशिश। लेकिन दीपावली का संदेश स्पष्ट है सत्य की ज्योति हर झूठ को भस्म कर देती है। भारत को ट्रंप के झूठों का घेराव करना जरूरी है, क्योंकि वैश्विक व्यवस्था पहले ही कमजोर हो चुकी है। विश्वास ही सबसे बड़ा हथियार है, जबकि झूठ सबसे खतरनाक दुश्मन।

भारत अपने वादों को कभी नहीं तोड़ेगा रूस से तेल आयात ऊर्जा सुरक्षा के लिए अनिवार्य है। ट्रंप जितना चिल्लाएंगे, मोदी की चुप्पी उतना ही करारा जवाब देगी। दीपावली की पवित्र रात में एक छोटा-सा दीया पूरा अंधकार मिटा देता है ट्रंप के झूठ की राख बनकर उड़ जाएंगे। भारत स्वतंत्र है, मजबूत है और सत्यनिष्ठ है। ट्रंप तो महज अपनी काल्पनिक कथा का एक साधारण पात्र हैं। यह दीपावली सत्य की ऐतिहासिक विजय का प्रतीक बनेगी-झूठ को आईना दिखाकर बेनकाब करेगी और सत्य को पूर्ण सम्मान देगी। भारत इन शोरगुलों को नजरअंदाज कर अपनी राह पर अडिग चलेगा। ज्योति की यह चमक हर झूठी चमक को बर्बाद कर देगी सत्य ही अंतिम विजेता होगा।
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