गुजरात का चुनावी परिदृश्य

 Gujarat's election scenario

गुजरात विधानसभा चुनाव की घोषणा हो गई है। मतदान 1 और 5 दिसंबर को होगा तथा मतगणना 8 को। घोषणा से पहले हुए `ओपिनियन पोल' भाजपा के सत्ता में बने रहने की भविष्यवाणी कर चुके हैं। लेकिन भाजपा को मालूम है कि उसके लिए यह चुनाव आसान नहीं होगा। यह बात अलग है कि उसके पास प्रधानमंत्री मोदी हैं, जिनकी लोकप्रियता का आलम यह है कि अकेले मोदी सारे मुद्दों पर भारी पड़ेंगे। इसलिए भाजपा फिलहाल गुजरात में ही नहीं बल्कि अन्यत्र भी सब जगह मोदी के नाम पर ही चुनाव लड़ने वाली है। लेकिन हाँ, इस बार गुजरात का चुनाव पहले की तुलना में ज़्यादा रोचक रहेगा। 

 

  अब तक मैदान में मुख्य रूप से भाजपा और कांग्रेस रहती थीं, लेकिन इस बार अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी भी ताल ठोक रही है। कहना न होगा कि लोकप्रियता के लिहाज से राहुल गांधी और केजरीवाल, दोनों ही मोदी से बहुत पीछे ठहरते हैं। उस पर गुजरात प्रधानमंत्री और गृहमंत्री, दोनों का गृह प्रदेश है। गौरतलब है कि गुजरात में भाजपा पिछले 27 साल से सत्ता पर काबज़ि है। इस अवधि में 12 साल स्वयं नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री रह चुके हैं, जिसका वे अपने भाषणों में परयः हवाला देते रहते हैं। उसी अवधि में विकास का गुजरात मॉडल भी विकसित हुआ। गोधरा कांड और गुजरात दंगे भी उसी अवधि में हुए।

अस्तु! चुनाव घोषणा से पहले ही केंद्र सरकार ने इस प्रदेश को इतनी सौगातें बाँट दी हैं कि मतदाता को डबल इंजन के डबल फायदे साफ-साफ दिखाई दे रहे होंगे। फिर भी लंबे समय से राज्य की सत्ता में रहने का कुछ तो विपरीत असर चुनाव में दिखाई देगा ही। अरविंद केजरीवाल इसीलिए काफी उत्साहित हैं। दिल्ली और पंजाब की जीत ने उनके हौसले बढ़ा रखे हैं और उन्हें पूरी उम्मीद है कि लंबे अरसे से गुजरात में सत्तासीन भाजपा की कुछ नाकामियों पर मतदाता की नाराजगी को उकसा कर वे चुनाव में अपनी स्थिति मजबूत कर सकते हैं।

आप के मैदान में उतर आने से कांग्रेस के सामने भी चुनौती बढ़ गई है। उसे देखना होगा कि कहीं आप उससे राज्य में मुख्य विपक्षी दल का दर्जा भी न छीन ले! इसीलिए सयाने यहाँ तक कह रहे हैं कि देश की भावी विपक्षी राजनीति का स्वरूप भी बड़ी हद तक गुजरात चुनाव के नतीजों पर निर्भर करेगा। अगर कहीं आप कांग्रेस को तीसरे स्थान पर धकेलने में कामयाब हो गई, तो 2024 के आम चुनाव की धुरी भी बदल जाएगी। इसलिए आप कांग्रेस के हिस्से के वोट में सेंध लगाने की फिराक में है। सयाने बता रहे हैं कि अभी तक तो चुनाव प्रचार में भाजपा और आम आदमी पार्टी ही आगे हैं, कांग्रेस की चाल कुछ मद्धिम है। वह `भारत जोड़ो यात्रा' पर है न!

 लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि गिजरत में कांग्रेस सोई हुई है। समझा जाता है कि वह ज़मीनी स्तर पर, मुख्यतः गाँवों में सक्रिय है। यानी, आप के लिए कांग्रेस को पीछे धकेलना उतना भी आसान नहीं, जितना कुछ लोग सोच रहे हैं। यही नहीं, हिंदुत्व की प्रयोगशाला माने जाने वाले इस राज्य में भाजपा को गच्चा देने की खातिर अरविंद केजरीवाल हिंदुत्व के रंग में भी रंग गए हैं और करेंसी पर गणेश-लक्ष्मी के चित्र की माँग करके भाजपा को धर्मनिरपेक्षता की दुहाई देने को मजबूर कर दिया है।

 वैसे आप हो या कांग्रेस, दोनों ही हिंदुत्व की शरण में आकर  अगर यह सोचते हैं कि इस तरह वे भाजपा के वोटर को आकार्षित कर सकते हैं, तो यह शायद ही कभी संभव हो। हाँ, इस कोशिश में ये दोनों खुद अपनी ज़मीन न गँवा बैठें!

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