अरिहंताय नमो नमः

 K-15 SLBM missile launched from submarine INS Arihant stationed in Bay of Bengal

दुनिया में लगातार बढ़ते परमाणु युद्ध के खतरे और निकट पड़ोस की चुनौतियों के मद्देनज़र यह बेहद ज़रूरी था कि भारत पानी के अंदर से भी परमाणु हमले में सक्षमता हासिल करे। कहना न होगा कि `अरिहंत' के सफल परीक्षण के साथ भारत ने यह क्षमता हासिल कर ली है। बंगाल की खाड़ी में तैनात आईएनएस अरिहंत पनडुब्बी से के-15 एसएलबीएम मिसाइल लॉन्च की गई, जिसने सटीक वार करके 750 किलोमीटर दूर निर्धारित लक्ष्य को तबाह कर दिया। रक्षा मंत्रालय ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा है कि भारत अब पानी के अंदर से भी परमाणु हमला करने में सक्षम है। इस तरह भारत दुनिया का छठा `न्यूक्लियर ट्रायड' देश बन गया है। याद रहे कि अमेरिका, रूस, यूके, फ्रांस और चीन के बाद भारत दुनिया का छठवाँ देश है, जिसके पास बैलिस्टिक मिसाइलों से लैस न्यूक्लियर पनडुब्बी है।

सयाने बता रहे हैं कि जब किसी मिसाइल को पनडुब्बी से छोड़ा जाता है तो उसे एसएलबीएम यानी `सबमरीन लॉन्च्ड बैलिस्टिक मिसाइल' कहते हैं। मॉडर्न सबमरीन बैलिस्टिक मिसाइल पानी के ऊपर और पानी के अंदर दोनों जगहों से छोड़ी जा सकती है। यह मिसाइल एक साथ कई लक्ष्यों पर हमला करने में सक्षम होती है। इसके जरिए परमाणु हमला भी किया जा सकता है। इनकी रेंज 12,000 किलोमीटर तक हो सकती है। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक किसी मिसाइल के सफल परीक्षण के ऑपरेशनल और टेक्निकल दोनों तरह के मापदंडों पर यह प्रयोग सफल रहा है। यही नहीं, भारत 3,500 किलोमीटर की दूरी तक लक्ष्य को ध्वस्त करने वाले बैलिस्टिक मिसाइल का भी परीक्षण पूरा कर चुका है। 

गौरतलब है कि इलाके में सामरिक शत्ति संतुलन के लिहाज से भारत तेजी से अपनी तीनों सेनाओं का आधुनिकीकरण करने की दिशा में अग्रसर है। इसी रणनीति के तहत अत्याधुनिक राफेल फाइटर जेट के बाद स्वदेशी अटैक हेलिकॉप्टर प्रंचड को सेना में शामिल किया गया है तथा बड़े टैंक और ड्रोन भी शामिल किए जा रहे हैं। अब नौसेना से आईएनएस अरिहंत से बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण कर भारत ने दिख दिया है कि हम किसी भी संभावित चुनौती के लिए पूरी तरह तैयार हैं। ख़ास बात यह है कि  अरिहंत भारत की पहली स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी है। इसे 2009 में लॉन्च किया गया था। अब इससे बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण एक प्रकार से रक्षा सामग्री के क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता के बढ़ने का भी सूचक है। सयाने ध्यान दिला रहे हैं कि यह परीक्षण ऐसे समय हुआ है जब भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में तनातनी बरकरार है और दोनों देशों ने 50,000 से ज्यादा सैनिकों की तैनाती कर रखी है। बड़े हथियार भी मोर्चे पर लगाए गए हैं। दोनों देशों के बीच 30 महीने से सैन्य गतिरोध बना हुआ है। लगातार बदलते वैश्विक भू-राजनीतिक समीकरणों के वर्तमान दौर में रक्षा-आत्मनिर्भरता का महत्व किसी से छिपा नहीं है। यहाँ यह भी दोहराना ज़रूरी है कि भारत की नीति सदा से यही रही है कि हम किसी पर पहले हमला नहीं करेंगे, लेकिन अगर कोई हमसे छेड़छाड़ करेगा, तो उसका मुँहतोड़ जवाब देने को पूरी तरह तैयार हैं। 

इसका मतलब यह भी है कि ज़रूरत पड़ने पर भारतीय बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी अब समुद्र के नीचे से भी चीन और पाकिस्तान को निशाना बना  सकती है। यानी इस सफल परीक्षण की खबर से इन दोनों को चेतावनी भी दी गई है कि-

हम जब तक चुप हैं, चुप हैं, जिस दिन बोलेंगे तो बोलेंगे!

नरसिंह गर्जना में थर-थर, नक्षत्र गगन के डोलेंगे!!

Comments System WIDGET PACK