नई दिल्ली - पूर्व भारतीय कोच अनिल कुंबले ने कहा कि भविष्य में टी-20 क्रिकेट में ताबड़तोड़ बल्लेबाजी का ही दबदबा रहेगा और उन्होंने सुझाव दिया कि भारतीय टीम को ऐसा क्रिकेट खेलने की जरूरत है, जिसमें लप्पेबाज टीम में संतुलन के लिए गेंद से भी योगदान कर सकें।
एडीलेड में गत गुरुवार को टी20 विश्व कप के सेमीफाइनल में इंग्लैंड के पावर हिटर एलेक्स हेल्स और जोस बटलर के धमाकेदार प्रदर्शन से भारत को 10 विकेट से हार का सामना करना पड़ा। भारत के बल्लेबाजी में धीमे रवैये की भी चारों ओर से आलोचना हो रही है, जिससे टीम करारी हार से टूर्नामेंट से बाहर हो गयी।
कुंबले ने ईएसपीएनक्रिकइंफो डॉट कॉम से कहा कि मुझे लगता है कि ऐसा निश्चित रूप से किए जाने की जरूरत है, हम गेंदबाजों के बल्लेबाजी करने के बारे में बात करते रहते हैं, लेकिन मुझे लगता है कि भारतीय क्रिकेट में आपको ऐसे बल्लेबाजों की जरूरत है, जो टीम के संतुलन के लिए गेंदबाजी भी कर सकें।
उन्होंने कहा कि इंग्लैंड के पास यही चीज थी। उनके पास काफी ज्यादा विकल्प थे। उन्होंने लियाम लिविंगस्टोन का इस्तेमाल किया। मोईन अली ने मुश्किल से इस टूर्नामेंट में गेंदबाजी की है। इसलिए आपको इस तरह के विकल्पों की जरूरत होती है। कुंबले को भारतीय टीम में चयन में भी खामी लगती है और उनका कहना है कि मौजूदा चलन बदलने की दरकार है। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से यहाँ तक भारत-ए की जो टीम चुनी जाती है, उसमें ज्यादातर बल्लेबाज ऐसे हैं, जो गेंदबाजी नहीं कर पाते। इसलिए महत्वपूर्ण है कि हम ऐसा क्रिकेट ब्रांड तैयार करें और इसे पूरी प्रक्रिया में शामिल किए जाने की जरूरत है।
कुंबले ने कहा कि मुझे लगता है कि जितना ज्यादा आप टी-20 क्रिकेट खेलोगे, यह ऐसा होता जाएगा, जिसमें आप मैदान पर उतरते ही अपनी ताकत दिखाओगे। इसलिए मुझे लगता है कि टी-20 आगे ऐसा ही होगा। उनका यह भी मानना है कि प्रत्येक खिलाड़ी को उसे दी हुई विशेष भूमिका को समझने की जरूरत है और एक बार यह तय हो गया, तो टीम को इसी पर अडिग रहने की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि इस भूमिका को सिर्फ राष्ट्रीय टीम तक सीमित नहीं रखा जाना चाहिए, बल्कि इसे घरेलू क्रिकेट में भी इस्तेमाल किया जाना चाहिए। (भाषा)