गोल्ड कोस्ट, 15 अप्रैल : युवा खिलाड़ियों के जुनून और अनुभवी खिलाड़ियों के धैर्य की बदौलत भारत ने आज यहाँ समाप्त हुए राष्ट्रमंडल खेलों में अपना अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया और पदक तालिका में तीसरे स्थान पर रहा।
मनु भाकर, मेहुली घोष और अनीष भानवाला की युवा निशानेबाजी तिकड़ी, मनिका बत्रा का टेबल टेनिस में ऐतिहासिक प्रदर्शन और भाला फेंक में नीरज चोपड़ा के स्वर्ण पदक ने साबित किया कि भारत के अगली पीढ़ी के स्टार खिलाड़ी दुनिया को चुनौती देने के लिए तैयार हैं।
अनुभवी साइना नेहवाल ने अंतिम दिन महिला एकल का स्वर्ण पदक जीतकर 2010 खेलों की याद ताजा की, जब उनके स्वर्ण पदक की बदौलत भारत ने कुल 100 पदक के आँकड़े को छू लिया था। भारत गोल्ड कोस्ट में 26 स्वर्ण, 20 रजत और 20 कांस्य पदक के साथ कुल 66 पदक जीतकर तीसरे स्थान पर रहा, जो ग्लास्गो में हुए पिछले खेलों की तुलना में दो स्थान बेहतर है। भारत को युवा और अनुभवी खिलाड़ियों के मिश्रण ने अच्छे नतीजे दिए। भारत ने 2010 मे नई दिल्ली खेलों में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 101 पदक जीते थे, जिसमें 38 स्वर्ण पदक भी शामिल थे। भारत मैनचेस्टर 2002 खेलों में भी 30 स्वर्ण सहित 69 पदक जीतने में सफल रहा था।
एम.सी. मेरीकॉम, सीमा पूनिया और सुशील कुमार जैसे खिलाड़ियों ने साथ ही साबित किया कि अनुभव की कभी अनदेखी नहीं की जा सकती। इन तीनोें ने पुराने दिनों की याद ताजा करते हुए जोरदार प्रदर्शन किया।
निशानेबाजों, भारोत्तोलकों, पहलवानोें और मुवÌकेबाजों से अधिकतम पदकों की उम्मीद थी, लेकिन टेबल टेनिस खिलाड़ियों ने इस बार शानदार प्रदर्शन करते हुए काफी पदक बटोरे।
ग्लास्गो खेलों में सिर्फ एक पदक के बाद इस बार भारत के टेबल टेनिस खिलाड़ियों ने मनिका बत्रा की अगुआई में शानदार प्रदर्शन किया। अपने खेल पर ध्यान देने के लिए कॉलेज की पढ़ाई छोड़ने वाली 22 साल की मनिका ने साबित किया कि उन्होंने यह जोखिम उठाकर कोई गलत फैसला नहीं किया।
मनिका ने ऐतिहासिक व्यविÌतगत स्वर्ण पदक के अलावा टीम स्वर्ण, महिला युगल रजत और मिश्रित युगल कांस्य पदक भी जीता, जो किसी भारतीय खिलाड़ी का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। दूसरी तरफ 34 साल के सुशील कुमार और 35 साल की मैरीकोम ने साबित किया के वे अभी चुके नहीं हैं और उनमें काफी दम बाकी है। भारत ने इस बार अपने पदक के दायरे को बढ़ाया। देश ने स्क्वाश में भी पदक जीते। भारत ने निशानेबाजी में 16, कुश्ती में 12, भारोत्तोलन में नौ और मुवÌकेबाजी में भी नौ पदक जीते। भारत के स्वर्ण बटोरो अभियान की शुरुआत भारोत्तोलकों ने की, जिन्होंने अपना अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। सबसे अच्छी बात यह रही कि भारतीय भारोत्तोलक इस बार डोपिंग की छाया से दूर रहे। मीराबाई चानू, संजीता चानू और सतीश शिवलिंगम अपने प्रतिद्वंद्वियों से काफी आगे रहे और इस दौरान इन्होंने रिकॉर्ड भी बनाए।
निशानेबाज भी पीछे नहीं रहे और बेलमोंट शूटिंग सेंटर से रोजाना एक स्वर्ण भारत की झोली में आया। भारत को एकमात्र निराशा अनुभवी गगन नारंग की ओर से मिली, जो खाली हाथ वापस लौटे, लेकिन उनके खराब प्रदर्शन की भरपाई मनु, अनीष और मेहुली जैसे युवाओं ने की। निशानेबाजी 2022 बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों का हिस्सा नहीं है और ऐसे में भारत के पदकों की संख्या में गिरावट हो सकती है। बैडमिंटन कोर्ट पर एक बार फिर साइना और पी. वी. सिंधू ने सुर्खियाँ बटोरी, लेकिन के श्रीकांत ने भी अपना दबदबा बनाए रखा। श्रीकांत को हालाँकि पुरुष एकल फाइनल में मलेशिया के दिग्गज ली चोंग वेई के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा। मुवÌकेबाजों में पुरुष वर्ग में भारत के सभी आठ खिलाड़ियों ने पदक जीते, जबकि महिला वर्ग में मेरीकॉम ने सोने का तमगा अपने नाम किया। ट्रैक एवं फील्ड में नीरज ने 86.47 मीटर के अपने सत्र में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के साथ स्वर्ण पदक जीता। चौंतीस साल की सीमा पूनिया में अतीत में डोपिंग की छाया से निकलते हुए चवÌका फेंक में लगातार दूसरा रजत पदक जीता। भारत को सबसे अधिक निराशा हाकी टीमों से मिली। हाकी में पुरुष और महिला दोनोें ही टीमें पदक जीतने में नाकाम रही।