हैदराबाद: मक्का-ज्वार को पीएसएस में लाने की मांग – तुम्मला

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हैदराबाद, राज्य के कृषि मंत्री तुम्मला नागेश्वर राव ने देश में खाद्य सुरक्षा को मजबूत करने और किसानों के कल्याण के लिए केंद्र सरकार के संकल्प की सराहना की और शनिवार को प्रधानमंत्री धन धान्य कृषि योजना और राष्ट्रीय दलहन मिशन योजनाओं के शुभारंभ के अवसर पर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा। उन्होंने राज्य में लागू समर्थन मूल्य योजना (पीएसएस) में प्रतिबंधों, प्रमुख फसलों की खरीद में केंद्र की उपेक्षा और किसानों की आय को प्रभावित करने वाली केंद्रीय व्यापार नीतियों पर आपत्ति जताई।

तुम्मला ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना के तहत खरीदी जाने वाली तिल, चना मूंगफली, सोयाबीन और मटर जैसी फसलों पर लगाई गई अधिकतम सीमा के कारण किसान को अपनी तैयारी फसल का केवल 25 प्रतिशत ही समर्थन मूल्य पर बेचने का अवसर मिलेगा। उन्होंने चिंता व्यक्त की कि राज्य सरकार को ऐसे समय में जब बाजार में कीमतें गिर गई हैं, किसानों के लाभ के लिए मार्कफेड और सहकारी समितियों के माध्यम से केंद्र द्वारा लगाई गई 25 प्रतिशत की अधिकतम सीमा से अधिक की खरीद करनी पड़ रही है, जिससे राज्य पर वित्तीय बोझ पड़ रहा है।

पीएसएस में 25% खरीद सीमा हटाने या शामिल करने की मांग

तुम्मला ने मांग की कि पीएसएस के तहत 25 प्रतिशत खरीद सीमा को समाप्त करें या शामिल किया जाए। मंत्री ने आगे कहा कि मक्का और ज्वार, जो मुख्य वर्षा आधारित फसल है, के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किए जाने के बावजूद, राज्य को अपने धन से किसानों से इन्हें खरीदना होगा और केंद्र द्वारा इनकी खरीद न किए जाने के कारण होने वाले नुकसान से बचना होगै।

तुम्मला ने कहा कि जब किसान कठिन समय में हों और उन्हें लाभकारी मूल्य न मिल रहे हों, तो राज्य को हस्तक्षेप करना होगा और केंद्र द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य का भुगतान के बिना इसे लंबे समय तक जारी रखना असंभव है। उन्होंने सुझाव दिया कि एमएसपी और बाजार हस्तक्षेप के कार्यान्वयन में केंद्र और राज्यों के बीच लागत का बोझ साझा करने के लिए वित्तीय नीति तैयार की जानी जाहिए।

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पॉम ऑयल और कपास किसानों पर व्यापार नीतियों का प्रभाव

राज्य के कृषि मंत्री ने कहा कि तेलंगाना राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन- पॉम ऑयल (एनएमई-ओपी) योजना के कार्यान्वयन में अग्रणी है और 73,744 किसान पहले से ही 1.08 लाख हेक्टेयर में पाम ऑयल की खेती कर रहे हैं। इस वर्ष उनका लक्ष्य 50 हजार हेक्टेयर और विस्तार करना है। उन्होंने कहा कि केंद्र द्वारा 31 मई 2025 तक कच्चे पाम ऑयल पर सीमा शुल्क 27.5 प्रतिशत से घटना कर 16.5 प्रतिशत करने के साथ घरेलू कीमतों में भारी गिरावट आई है और पॉम ऑयल किसानों को मिलने वाले ताजा फलों के गुच्छे की कीमत 20,000 रुपये प्रति टन से भी कम हो गई है।

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मंत्री ने कहा कि कपास के मामले में सीसीआई की खरीद केवल 50-60 प्रतिशत तक ही सीमित है और गुणवत्ता संबंधी कारणों व खरीद में देरी के कारण किसानों को समर्थन मूल्य नहीं मिल रहा है। उन्होंने यह भी चिंता जताई कि कपास के आयात पर आयात शुल्क में छूट के बाद भी घरेलू कीमतों में और गिरावट आई है। इन व्यापार नीतियों का किसानों की आय पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है, और उन्होंने वित्त मंत्रालय के साथ समन्वय स्थापित करने का भी अनुरोध किया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पाम तेल और कपास पर आयात शुल्क की नीतियां घरेलू बाजार के मौसम के अनुरूप हो।

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