बीसी आरक्षण के वर्गीकरण को लेकर अभियोग याचिकाएँ दायर

हैदराबाद, तेलंगाना उच्च न्यायालय में बीसी असोसिएशन और कांग्रेस नेताओं ने अपनी दलीलें सुनने के लिए अभियोग (इम्पील्ड) याचिकाएँ दायर कीं और बीसी आरक्षण के वर्गीकरण के बाद चुनाव करवाने के लिए आदेश देने का आग्रह किया। यह भी कहा गया कि ए, बी, सी, डी के रूप में वर्गीकरण किया जाए। इस दौरान स्थगनादेश देने का भी आग्रह किया।

स्थानीय निकाय चुनाव में पिछड़ी जातियों (बीसी) को 42 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने वाले राज्य सरकार के सरकारी आदेश संख्या 9 को रद्द करने की माँग को लेकर उच्च न्यायालय में एक और याचिका दायर की गई। विकाराबाद ज़िले के धारूर गाँव के मडीवाला मचदेव राजकुला संगम के महासचिव एन. लक्ष्मय्या और हैदराबाद बागलिंगमपल्ली के अधिवक्ता सी. शांतप्पा ने अलग-अलग याचिकाएँ दायर कीं।

मेडचल मलकाजगिरी ज़िले के मूचिंतलापल्ली मंडल के केशवपुर गाँव के बुट्टेगारी माधव रेड्डी तथा एक अन्य व्यक्ति ने इसी मुद्दे पर याचिकाएँ दायर की थी। कांग्रेस नेताओं ने अभियोग याचिकाएँ दायर कीं, जिसमें कहा गया कि इस मामले में उनकी भी दलीलें सुनी जानी चाहिए। पिछड़ी जातियों के लिए 42 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान कानूनी है। काग्रेस नेता वी. हनुमंत राव, मेट्टू साई कुमार, लक्ष्मण यादव, बीसी कल्याण संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे. श्रीनिवास गौड़ और बीसी बुद्धिजीवी संघ के अध्यक्ष टी. चिरंजीवुलू ने अलग- अलग अभियोग याचिकाएँ दायर कीं।

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बीसी आरक्षण वर्गीकरण में न्याय की मांग

इन याचिकाओं पर आगामी 8 अक्तूबर को उच्च न्यायालय में सुनवाई होगी। याचिकाकर्ताओं ने तेलंगाना राज्य पंचायतराज अधिनियम की धारा 9(4) के अनुसार बीसी आरक्षण को ए, बी, सी, डी में वर्गीकृत नहीं करने के लिए सरकारी आदेश संख्या 9 को चुनौती दी थी। लक्ष्मण ने दायर अपनी याचिका में कहा कि बीसी आरक्षण को वर्गीकृत करने के बाद ही आरक्षण प्रदान किया जाना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकारी आदेश संख्या-9 बीसी के लिए केवल 42 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करता है।

अनंतरामन आयोग के अनुसार आदिवासियों खानाबदोस जातियों आदि के लिए 7 प्रतिशत, पेशेवर लोगों के लिए 10 प्रतिशत और धर्मांतरित ईसाइयों के लिए 1 प्रतिशत प्रदान किया जाता है। अन्य के लिए 7 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया गया है। उन्होंने कहा कि आरक्षण संबंधी वर्तमान सरकारी आदेश में अनंतरामन आयोग की सिफारिशों पर ध्यान नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा केवल बीसी के कुछ वर्गों को ही लाभ पहुँचाने के लिए यह आदेश जारी किया गया है।

लक्ष्मण ने कहा कि बीसी के केवल चार वर्ग आरक्षण का लाभ उठा रहे हैं। मुख्य रूप से केवल मुनुरुकापु, मुदिराज, यादव और गौड़ जातियों को ही स्थानीय निकाय में राजनीतिक शक्ति मिल रही है, जो बीसी के अन्य वर्गों के लिए अन्याय है। सरकार को चाहिए कि बीसी के साथ न्याय करे। इसके लिए आरक्षण को ए, बी, सी, डी में वर्गीकृत किया जाना चाहिए और इसके बाद ही स्थानीय निकाय चुनाव के लिए आदेश जारी किए जाएँ।

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