महिलाओं के लिए एआई पर कार्यशाला का आयोजन

हैदराबाद, तेलंगाना चेंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री फेडरेशन (एफटीसीसीआई) की महिला विंग कमेटी द्वारा महिलाओं के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला को उन महिला पेशेवरों, उद्यमियों तथा स्टार्टअप्स के लिए तैयार किया गया, जो रणनीतिक विकास के लिए एआई का उपयोग करने की इच्छुक थीं।एफटीसीसीआई के अध्यक्ष आर. रवि कुमार ने कहा कि एआई अब वैकल्पिक नहीं रहा, लेकिन तकनीक में महिलाओं का प्रतिनिधित्व अभी भी कम है। उन्होंने कहा कि भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए महिलाओं को एआई को सीखना चाहिए। साथ हीकॅरियर तथा व्यावसायिक विकास के लिए उसका लाभ उठाना चाहिए।

एफटीसीसीआई महिला विंग और महिला सशक्तिकरण समिति की अध्यक्ष डॉ. तस्नीम शऱीफ ने कहा कि आज हम सिर्फ तकनीक की बात नहीं कर रहे, हम मानवता के भविष्य की बात कर रहे हैं। एआई हमारे जीवन के हर पहलू को नया रूप दे रहा है। उन्होंने कहा कि ऐतिहासिकरूप से महिलाएँ हमेशा से नवाचार के केंद्र में रही हैं। एडा लवलेस ने पहला एल्गोरिथम लिखा। ग्रेस हॉपर ने प्रोग्रामिंग भाषाओं की शुरुआत की।

महिलाओं में एआई सहयोग और भविष्य की भूमिका

फिर भी प्रयोगशालाओं, नेतृत्व और निर्णय लेने वाले कक्षों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व कम है। इस दिशा में हमें ध्यान देने की आवश्यकता है। आईबीएम की कार्यकारी भागीदार ए. अनुराधा ने मुख्य वक्तव्य देते हुए कहा कि 1997 में गैरी कास्परोव आईबीएम के डीप ब्लू से हार गए थे, जो एक ऐतिहासिक क्षण था। इसने साबित किया कि कंप्यूटर शतरंज में विश्व चैंपियन को टक्कर दे सकते हैं।

कास्परोव ने 1998 में एडवांस्ड चेस नामक एक नए प्रारूप का प्रस्ताव रखा, जिसमें मनुष्य मशीनों के साथ मिलकर काम करते थे। इसने दिखाया कि एआई मानव क्षमता को बढ़ा सकता है, उसकी जगह नहीं ले सकता। उन्होंने कहा कि महिलाओं को एआई को सहयोगात्मक रूप से अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्ष 2028 तकजनरेटिव एआई केसाथ एक-तिहाई इंटरैक्शन कार्य पूरा करने के लिए स्वायत्त एजेंटों का उपयोग करेंगे। एआई किसी की नौकरी नहीं छीनेगा, लेकिन जो एआई का उपयोग करना जानता है, वह आगे निकल जाएगा।

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एआई से कार्य दक्षता और व्यावहारिक प्रशिक्षण सत्र

अनुराधा ने बताया कि किस प्रकार एआई पहले से ही कार्य समय को25प्रतिशत तक कम कर सकता है और समग्र कार्य पूर्णता को 12 प्रतिशत तक बढ़ाते हुए कार्य की गुणवत्ता में 40 प्रतिशत तक सुधार कर सकता है। उन्होंने कहा कि भविष्य मानव-एआई सहयोग, नए कॅरियर और उच्च नैतिक जिम्मेदारी का है। उन्होंने कहा कि एआई से संघर्ष करने के स्थान पर उससे बेहतर सवाल पूछना सीखना चाहिए।

ट्रेंडवाइज एनालिटिक्स के संस्थापक तथा आईएसबी में एआई फॉर लीडर्स के प्रोग्राम लीड मोहन सिलापरासेट्टी ने एआई के व्यावहारिक डेमो प्रस्तुत किए। उन्होंने विभिन्न केस स्टडीज द्वारा जेनएआई तथा एजेंटिक एआई अनुप्रयोगों पर विस्तार से चर्चा की।कार्यशाला में व्यावहारिक, सरल और व्यावहारिक सत्र आयोजित किए गए, ताकि एआई को समझना सभी प्रतिभागियों के लिए आसान हो सके। अवसर पर एफटीसीसीआई के वरिष्ठ उपाध्यक्ष के.के. माहेश्वरी, उपाध्यक्ष श्रीनिवास गरिमेला सहित अन्य उपस्थित थे। कार्यशाला में दो सौ से अधिक महिलाओं ने भाग लिया।

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