गुरु को वंदन अभिनंदन

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शिक्षक होता है, वह शिल्पी जो हमारे
अनगढ़ जीवन को देता है सच्चा रूप
गढ़ता है संस्कारों की संपत्ति अंतस में
देता अंधकार हरने ज्ञान की अनंत धूप
ऋणी है सदा जिनके हम अपना सारा जीवन
ऐसे पूज्यनीय गुरु को करते हैं नमन अभिनंदन

जीवन के हर पग का जो गूढ़ अर्थ बताए
शिक्षा देकर है हर एक उलझन सुलझाए
खुद रहकर पीछे-आगे जाने को उकसाए
माता-पिता के बाद जो सच्चा जीवन दे जाए
ऐसे पथ-प्रदर्शक को हम करते रहें सदा स्मरण
ऐसे पूज्यनीय गुरु को करते हैं नमन अभिनंदन

जीवन गर दीपक है तो गुरु है जलता बाती
ज्ञान का दीप जलाकर जो दे जीवन को अर्थ
अदृश्य-सा जीवन भर बनता शिक्षा साथी
गुरु के ज्ञान प्रकाश बिन मानव जीवन व्यर्थ
जीवन में सदा वंदनीय हैं सच्चे गुरु के चरण
ऐसे पूज्यनीय गुरु को करते हैं नमन अभिनंदन

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गोविंद से भी बड़े गुरु को संसार दिखाते हैं
हर कदम पर अलग गुरु होते हैं आदर्श हमारे
सही रास्ते पर जीना-मरना वे हमें दिखाते हैं
हमें सुझाते सदा नए रास्ते बनकर ध्रुव तारे
देकर स्वस्थ विचार करते शुद्ध अंत : करण
ऐसे पूज्यनीय गुरु को करते हैं नमन अभिनंदन

-डॉ. टी. महादेव राव

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