जीवन की वास्तविकता को समझें : जयश्रीजी म.सा

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हैदराबाद, मनुष्यों को हमेशा से विवेकवान आत्मा कहा गया है, लेकिन विडंबना यह है कि विवेकवान आत्मा रहते हुए भी मनुष्य जीवन की वास्तविकता को नहीं समझ पाया है। जिसने जीवन की वास्तविकता को जान लिया, वह इस संसार में न पड़ते हुए आत्मा के उत्थान में लग जाता है। आत्मा का उत्थान करना है, तो जीवन की वास्तविकता को समझना अनिवार्य है।

उक्त उद्गार श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ ग्रेटर हैदराबाद के तत्वावधान में काचीगुड़ा स्थित श्री पूनमचंद गांधी जैन स्थानक में चातुर्मासिक धर्म सभा को संबोधित करते हुए साध्वी जयश्रीजी म.सा. आदि ठाणा-3 ने व्यक्त किये। संघ के कार्याध्यक्ष विनोद कीमती द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार साध्वी जयश्रीजी म.सा. ने कहा कि हमने जीवन की वास्तविकता को न तो समझा है, ना ही हम समझने की कोशिश कर रहे हैं।

जीवन की वास्तविकता और आत्मा के उत्थान पर संदेश

जब तक हम जीवन की वास्तविकता को समझ पाते, हमारा आयुष्य पूर्ण होने को आता है और हमारे हाथ में कुछ भी नहीं रहता, इसलिए समय रहते जीवन की वास्तविकता को जान लें और आत्मा के उत्थान हेतु प्रयास प्रारम्भ कर दें। प्रत्येक पंथ व समुदाय और साधु संतों का कहना है कि खाना-पीना, मौज-मस्ती करना ही जीवन नहीं है, क्योंकि यह कार्य तो पशु भी करते हैं, लेकिन मनुष्य के विवेकवान होते हुए इसे ही जीवन मानना मान्य नहीं है, क्योंकि मनुष्य के पास बुद्धि है, सोचने समझने की शक्ति है, सोच-समझकर इस प्रकार का जीवन जीना जीवन की वास्तविकता से परे होना होता है।

यह सर्वविदित है कि संसार की कोई भी वस्तु साथ जाने वाली नहीं है, साथ जाने वाले हमारे अच्छे और बुरे कर्म ही हैं। बाहरी सुख नहीं, बल्कि सुख का आभास मात्र ही है। सच्चा सुख तो अपनी आत्मा में रहता है। आत्म उत्थान के लिए एक पल का भी आलस्य व प्रमाद करना जीवन को वर्जित करना कहा गया है। साध्वी राजश्रीजी म.सा. ने कहा कि जीवन को यदि सही अर्थों में में जिया जाए, तो भगवान का आराध्य बनकर जीना चाहिए, जो धर्म कार्य के मार्ग के विरुद्ध चलता है, वही संसार में परिभ्रमण करता है।

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धर्म सभा में आध्यात्मिक शिक्षा और बहुमान कार्यक्रम

जो व्यक्ति अपनी इंद्रियों का दमन कर लेता है, वही ज्ञानी कहलाता है। आत्मा का दमन करने वाला व्यक्ति ईश्वर को प्राप्त करता है। जो व्यक्ति दूसरों को दुःख देता है, वह कभी सुखी नहीं रह सकता। कहा जाता है कि जो दुःख देता है, उसे दुःख प्राप्त होता है, जो सुख देता है, वह सुख को प्राप्त करता है। इसी कारण आध्यात्मिक जीवन को सर्वोपरि कहा गया है। संघ के महामंत्री पवन कटारिया ने धर्म सभा का संचालन किया।

अवसर पर शालीभद्र लक्ष्मी जाप के आयोजन के लिए लाभार्थी परिवार, प्रधान संयोजक, संयोजक समेत सभी मंडल और प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से लाभ व सहयोग देने वालों के प्रति संघ की ओर से आभार जताया गया। आगामी 12 अत्तूबर को जाप के दौरान नाटक पेश करने वाले बच्चों का एवं मंडलो का संघ की ओर से बहुमान किया जाएगा। 8 अत्तूबर से सुबह 9 बजे से प्रतिदिन उत्तराध्ययन सूत्र मूल व अर्थ का वाचन रहेगा। भीलवाड़ा से पधारे प्रकाश बाबेल ने भजन प्रस्तुत किए। प्रकाश बाबेल, चित्तौड़गढ़ के शम्भुलाल बाबेल, आनंद मेहता, बेंगलुरू के ज्ञानचंद सुराणा व हनुमान साक्रिया का संघ की ओर से बहुमान किया गया।

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