monsoon poetry
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कविता
छाये बादल
देखो नभ में छाये बादल ,बिना बताए आए बादल।पानी कितना लिए हुए पर,खुद हैं बिना नहाए बादल।बूँद-बूँद को हैं तरसाते,अम्बर…
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कविता
बरसात के बूंदें
छम-छम करती आई बूंदें,लगती बड़ी सुहानी।उमस भरे दिन बीते अब तो,गरमी पानी-पानी। हरी चुनरिया, हरी ओढ़नी,हरी-हरी है प्यारी।हरे वस्त्र पहनाकर…
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