क्रिकेट में खेल जैसा कुछ नहीं रहा, यह सब बिजनेस है: उच्चतम न्यायालय

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नई दिल्ली, उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि अब समय आ गया है कि वह क्रिकेट सहित खेलों से जुड़े मामलों में हस्तक्षेप नहीं करे। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि अब क्रिकेट में खेल जैसा कुछ नहीं रहा। यह एक तथ्य है। यह सब बिजनेस है। पीठ ने यह टिप्पणी उस समय की जब वह जबलपुर संभाग के एक क्रिकेट संघ से संबंधित मामले में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

न्यायमूर्ति नाथ ने इस मामले में विभिन्न पक्षों का प्रतिनिधित्व कर रहे वकीलों से पूछा कि आज हम क्रिकेट खेल रहे हैं। तीन-चार मामले हैं। एक मामला पहले ही दूसरे दौर के लिए स्थगित हो चुका है। यह दूसरा मामला है। दो और मामले हैं। आज आप कितने टेस्ट मैच खेलेंगे?

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याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि देश क्रिकेट के प्रति जुनूनी है। नाथ ने कहा कि मुझे लगता है कि अब समय आ गया है कि इस अदालत को क्रिकेट और बैडमिंटन, वॉलीबॉल, बास्केटबॉल के मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि कुछ चिंताओं के कारण ये मामले उच्चतम न्यायालय के समक्ष आ रहे हैं।

नाथ ने कहा कि मुद्दा यह है कि इन सभी मामलों के नतीजों में काफी हित जुड़े हुए हैं। जिस किसी भी खेल का व्यवसायीकरण हो गया है तो ऐसा होना तय है। पीठ ने याचिका पर विचार करने में अपनी अनिच्छा व्यक्त की। याचिकाकर्ता के वकील ने पीठ से अनुरोध किया कि उन्हें याचिका वापस लेने की अनुमति दी जाए। पीठ ने याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी। (भाषा)

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