तीर्थ और धाम में है अंतर
सनातन धर्म में अक्सर धार्मिक यात्राओं और पवित्र स्थलों के संदर्भ में अक्सर शब्दों का इस्तेमाल सुनने को मिलता है- तीर्थ और धाम। इन शब्दों के बीच में विशेष अंतर होता है, जबकि दोनों ही आध्यात्मिक महत्व रखते हैं और भक्तों के लिए आस्था का पेंद्र हैं, उनका उद्देश्य और महत्ता अलग-अलग होती है। हिंदू धर्म की परंपराओं को जानने के लिए इन दोनों के बीच के अंतर को जानना बहुत जरूरी है।
तीर्थ
तीर्थ का अर्थ होता है- वह स्थान जहां जाकर श्रद्धालु पापों से मुक्ति और आध्यात्मिक शांति प्राप्त कर सकते हैं। यह वह जगह होती है, जो धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पवित्र जल, मंदिर, या प्राकृतिक स्थल के कारण प्रसिद्ध हो। तीर्थ यात्रा करने से व्यक्ति का मन शांत होता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है। उदाहरण: काशी, हरिद्वार, प्रयागराज आदि।
धाम
धाम वे स्थान हैं, जहां भगवान के निवास या उनके महत्वपूर्ण अस्तित्व से संबंधित कथाएं हों। धाम धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र माने जाते हैं और इनके दर्शन मात्र से भी भक्तों को आध्यात्मिक लाभ मिलता है। ये स्थायी पवित्रता का प्रतीक होते हैं। उदाहरण: बद्रीनाथ, ज्योतिर्लिंग के चार धाम, पवित्र वैष्णव धाम आदि।
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तीर्थ और धाम में अंतर
तीर्थ वह जगह है, जो आस्था और पूजा के लिए पवित्र मानी जाती है, जबकि धाम भगवान के निवास से जुड़ा स्थायी पवित्र स्थल होता है। तीर्थ यात्रा मुख्य रूप से पाप मोचन और शांति के लिए होती है। धाम यात्रा का उद्देश्य भगवान के दर्शन और आशीर्वाद प्राप्त करना होता है। तीर्थ समय-समय पर धार्मिक कार्पामों या तीर्थ-यात्रा के दौरान अधिक महत्व रखता है। धाम हमेशा ही पवित्र और प्रसिद्ध रहता है।
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