मन को बनाएँ अपना गुलाम : जयश्रीजी म.सा.

हैदराबाद, जीवन में जिसके पास मन होता है, उसके पास मान होता है, मन की दौड़ संसार में सबसे तेज होती है और मन इंसान को हमेशा दौड़ाता रहता है। इंसान मन का गुलाम बनकर उसके आदेशों का पालन करते रहता है। हम इस संसार में मन का गुलाम बनने के लिए नहीं आए हैं, बल्कि मन को अपना गुलाम बनाने के लिए आए हैं। एक मन काबू में आ जाए, तो पाँचों इंद्रियाँ भी वश में आ जाती हैं।

खुद को संवारे बिना हम खुदा नहीं बन सकते और मन को संवारे बिना हम महावीर नहीं बन सकते। विडंबना यह है कि हमें मन पर सवार होकर सवारी करनी चाहिए, अर्थात मन को घोड़ा बनाना है, लेकिन हम मन के घोड़े बनकर उसके इशारों पर दौड़ रहे हैं। दूसरे शब्दों में कहा जाए, तो हम मन की कठपुतली बनकर उसके इशारे पर नाच रहे हैं, मन जैसा नाच नचा रहा है, हम वैसा नाच रहे हैं।

अहंकारवश झुकने से इंकार, यही है सच्ची हार

उक्त उद्गार श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ ग्रेटर हैदराबाद के तत्वावधान में काचीगुड़ा स्थित श्री पूनमचंद गांधी जैन स्थानक में चातुर्मासिक धर्म सभा को संबोधित करते हुए साध्वी जयश्रीजी म.सा. आदि ठाणा-3 ने व्यक्त किये। चातुर्मास संयोजक ब्रिजेश कोचेटा द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, साध्वीश्री ने कहा कि इंसान हर क्षेत्र में सफल होना चाहता है और विजय प्राप्त करना चाहता है, लेकिन कभी-कभी इंसान पराजित भी हो जाता है।

पराजय दो प्रकार से होती है, एक यह कि हमारे पास शक्ति नहीं है, सामने वाला शक्तिशाली है, तो हम पराजित हो जाते हैं, लेकिन हम शक्तिशाली होकर भी पराजित हो जाते हैं। ऐसी हार हम कहाँ हारते हैं, अपने भाई के साथ, सगे संबंधियों के साथ या पड़ोसियों के साथ, नहीं यहाँ पर हम अपनी हार कभी भी स्वीकार नहीं करते। यदि हमारे भाई के साथ किसी बात को लेकर विवाद चल रहा है, पड़ोसियों के साथ विवाद चल रहा है, तो क्या हम उनके सामने अपनी हार कबूल करेंगे, उनके सामने झुकेंगे, नहीं झुकेंगे और हम झुकना भी नहीं चाहते।

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मन पर नियंत्रण से मिलता है सच्चा उत्थान

जबकि हमें यहाँ हारना है, लेकिन हमारा मन यह कभी स्वीकार ही नहीं करता है। चाहे हम सारी दुनिया जीत लें, लेकिन हम हमारे मन के सामने हार कर घुटने टेक देते हैं। हमारा मन कहाँ-कहाँ नहीं जाता। हम स्थानक में बैठे हैं, पर हमारा मन कहीं और घूम रहा है। मन की गति देवताओं की गति से भी तेज होती है, पलक झपकते ही हमारा मन विदेश भी चला जाता है। प्रवचन में किसी तीर्थ स्थल का जिक्र आता है, तो हमारे मन में उसकी छवि उभरकर आ जाती है, जबकि हम स्थानक में बैठे हुए हैं।

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चंचल चोर को पकड़ना आसान है, पर मन को पकड़ना काफी कठिन है। वह लाखों में एक होते हैं, जो मन का घोड़ा न बनकर मन को अपना घोड़ा बनकर उस पर सवारी करते हैं। भटके मन से साधना भी सफल नहीं होती। म.सा. ने कहा कि जहाँ मन है, वहाँ मान होता है, मान का तात्पर्य अहंकार। अगर मन ही नहीं होगा, तो क्या अहंकार हो सकता है, जानवरों को कोई अहंकार होता है क्या, उन्हें नहीं होता है, क्योंकि उनके पास मन नहीं है।

अहंकार के कारण इंसान नजरों से गिर जाता है, चाहे पाटे पर बैठा साधु-संत ही क्यों न हो। प्रभु व साधु-संतों के दो शब्दों भी हमारे अहंकार को चूरा-चूरा कर सकते हैं। जिस प्रकार से चंडकौशिक ने प्रभु महावीर के मुख से केवल दो शब्द ही सुने और उसका अहंकार टूट गया है। उसने साधना के जरिए अपने कर्मों की निर्जरा कर ली। म.सा. ने कहा कि हर कोई बड़ा बनना चाहता है, लेकिन बड़ा बनना इतना आसान नहीं है।

धन नहीं, आचरण से होती है सच्ची महानता

धन से बड़ा नहीं बना जाता, बल्कि आचरण व व्यवहार से बड़ा बना जाता है। धन से रावण बड़ा था, दुर्योधन बड़ा था, चक्रवर्ती की 64 हजार रानियों में से बड़ी रानी श्रीदेवी को अपने बड़े होने का अहंकार आ गया था। वह सभी सातवीं नरक में गये। इसका आशय यह है कि धन से कोई बड़ा नहीं होता। धर्म सभा का संचालन करते हुए संघ के महामंत्री पवन कटारिया ने बताया कि तेले की कड़ी में आज मास्टर रूपचंद परमार का तीसरा उपवास है।

कल से अनिल सुराणा की तेले तप की आराधना प्रारम्भ होगी। आज का आयम्बिल सरिता कामदार का रहा। आज के नवकार महामंत्र जाप के लाभार्थी गौतमचंद पवन अमन अंकुश हृदय पोकरणा परिवार हैं। तपस्वी आदेश पिंचा के 9 उपवास की तपस्या करने पर संघ की ओर से पाँच उपवास की बोली लगाकर महेंद्र लुणावत ने उनका बहुमान किया। 9 उपवास की तपस्या के उपलक्ष्य में राजेंद्र कुमार पिंचा परिवार की ओर से गौतम प्रसादी का आयोजन किया गया।

अवसर पर मेघा पिंचा और खुशी कठोतिया ने स्तवन पेश किया। चातुर्मास में आठ और उससे अधिक उपवास करने वाले तपस्वियों का गौतमचंद कमल किशोर डंक परिवार के आदेश पिंचा ने बहुमान किया। आगामी 27 जुलाई को गुरुवर्या के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में उन्हें 1008 एकासन की भेंट देने का लक्ष्य रखा गया है। 25 जुलाई को आयम्बिल दिवस एवं 26 जुलाई को पैंसठिया छन्ड जाप का आयोजन जोड़े सहित रहेगा।

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