रिजु भावना ही व्यक्ति से करवा सकती है पापों की आलोचना : सुमंगलप्रभाजी
हैदराबाद, रिजु भाव ही धर्म का अधिष्ठायक देव है। रिजु भावना ही पापों की आलोचना करवा सकती है। उक्त उद्गार सिकंदराबाद स्थित मारुति विधि जैन स्थानक में श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ सिकंदराबाद के तत्वावधान में आयोजित धर्मसभा में साध्वी रत्ना डॉ. सुमंगलप्रभाजी म.सा ने दिये।
पूज्यश्री ने कहा कि हमनें जो पाप कर्म का बंधन किया है, उससे छुटकारा पाने के लिए गुरु के सानिध्य में मन, वचन, काया द्वारा आलोचना कर लेनी चाहिए।ऐसा करने से अंतकरण शुद्ध और पवित्र हो जाता है। म.सा. ने कहा कि आलोचना ऐसे गुरु के पास करनी चाहिए जो बात दूसरे के सामने न बताये। उसे गुप्त रखे।गुरु गंभीर प्रवृत्ति वाला व गुण ग्राही होना चाहिए। विनय भाव होगा, तो पापों की आलोचना कर पायेंगे। अन्यथा पाप करने के बाद भी अहंकार बना रहेगा और अहं के चलते पाप की कभी आलोचना नहीं कर पायेंगे।
सभा का संचालन करते हुए श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ सिकंदराबाद के महामंत्री सुरेन्द्र कटारिया ने बताया कि रविवार को जिनशासन चंद्रिका दादा गुरुवर्या श्री झनकार कंवरजी म.सा का 116वां जन्मोत्सव मनाया जाएगा। कार्याध्यक्ष शांतिलाल बोहरा ने सभी से एकासना, आयंबिल या उपवास करने का लक्ष्य रखने का आग्रह किया है।
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धर्म सभा में मरुधर केसरी गुरु सेवा समिति के महामंत्री गौतमचंद मुथा अपने सदस्यों के साथ पधारे। उन्होंने बताया कि रविवार 3 अगस्त को मरुधर केसरी श्री मिश्रीमलजी म.सा एवं शेरे राजस्थान प्रवर्तक श्री रूपमुनिजी म.सा की जन्म जयंती भाग्यनगर गौशाला, लोअर टैंकबंड में मनाई जाएगी। उन्होंने कार्यक्रम में सानिध्य प्रदान करने के लिए महासतीजी से विनती की। साथ ही सकल संघ को आमंत्रित किया। आज सिद्धि तप के अंतर्गत एकासना कराने का लाभ विजयाबाई संपतराज सुजीत अजीत कोठारी परिवार ने लिया।
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