जनकल्याण के लिए हुई श्रीमद् भागवत कथा की रचना : इंद्रेशजी उपाध्याय

हैदराबाद, कलयुग में व्यक्ति के कल्याण व सद् मार्ग दिखाने के लिए श्रीमद् भागवत कथा की रचना हुई। इसकी शरण में जो भी जीव जाता है, उसका निश्चित रूप से कल्याण होता है। उक्त उद्गार शमशाबाद स्थित एस.एस. कन्वेंशन में शिव मंदिर गौशाला शमशेरगंज एवं ओम शिव मंदिर गौशाला पालमाकुल द्वारा खाटू श्यामीजी के महाराज प्रताप सिंहजी चौहान एवं महाराज श्याम सिंहजी चौहान के सान्निध्य में आयोजित श्री गिरधरलाल जी कृपा उत्सव गौ सेवार्थ पूर्णतया समर्पित दिव्य श्रीमद् भागवत कथा में कथा वाचक इंद्रेशजी उपाध्याय ने व्यक्त किये।

इंद्रेशजी ने कहा कि व्यक्ति स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रखता, समय से औषधि नहीं लेता, दिनचर्या का उपयोग नहीं करता, तो उसके लिए मीठे का सेवन विष के समान है। भागवत रूपी औषधि लेना ज्ञान की चर्चा अति आवश्यक है, अंदर के जब विषय खत्म होगा तब भीतर में ठाकुरजी दिखाई देंगे। प्रभु की लीलाएँ-चर्चा प्रिय लगती है, पर इसे पचाने वाले को भागवत का ज्ञान होना चाहिए। उन्होंने कहा कि राधाष्टमी महोत्सव रविवार, 31 अगस्त को सुबह 9 बजे से मनाया जाएगा। लालजी अभिषेक के बाद श्रृंगार ठाकुरजी पलना झुलाया जाएगा। शाम को श्रीमद् कथा होगी। मंगलवार, 2 सितंबर को सुबह 11 बजे से होगी। इसके बाद कथा को विश्राम दिया जाएगा।

इंद्रेशजी ने कहा कि सनकादिक ऋषियों ने सूतजी महाराज से पूछा कि महर्षि वेदव्यासजी ने श्रीमद् भागवत की रचना क्यों की, जबकि चार वेद 17 पुराण लिखे। वेदव्यासजी ने चिंता में सभी ग्रंथ लिखे, कलयुग में व्यक्ति के कल्याण के लिए सद् मार्ग दिखाने के लिए पहले पुराणा महाभारत की रचना की, लेकिन इनसे संतुष्ट नहीं थे। रचनाकार अपने ग्रंथं से संतुष्ट नहीं थे। महाराज ने कहा कि श्रेष्ठ रचनाकार जो होते हैं, वह कभी अपनी रचना से संतुष्ट नहीं होते। श्रेष्ण गुणवान व्यक्ति उसकी दो चार लोग द्वारा की गई गुण की प्रशंसा को स्वीकार नहीं करेगा। वास्तव में परिश्रम करने वाले को अपने गुण की प्रशंसा पसंद नहीं। वह हमेशा अपने आपको अयोग्य ही मानता है। यह वास्तविक गुणों के लक्षण को स्वीकार नहीं है।

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भक्ति का सही मार्ग: संतोष, गुप्तता और आत्मविकास

इंद्रेशजी ने कहा कि कलयुग में व्यक्ति स्वयं के खुद ही गुण बताने लगता है। व्यक्ति को अपनी अत्यंत मूल्यवान वस्तु को छिपाना चाहिए, उसका सभी के सामने प्रदर्शन नहीं करना चाहिए। अत्यंत योग्य वस्तु को छिपाया जाता है। मीराबाई ने गिरधर को भजा, पर किसी को बताया नहीं कि उनके ईष्ट श्रीराम थे। अपनी भक्ति का, ईष्ट का, प्रकाश, गुरु मंत्र का व प्रेम का प्रकाश मत करो। ठाकुरजी से कितना प्रेम करते है, यह पता नहीं लगे। इंद्रेशजी ने कहा कि आचार्य चरण ओब घर आते हैं, तो उस समय मौन रहें।

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वह दीर्घ बुद्धि से ही घर के वातावरण को जान लेते हैं, क्योंकि वह उच्च कोटि के होते हैं, जो उच्च कोटि का आचार्य होगा, वह सब कुछ पूछेगा। भक्ति का प्रकाश न करे इसे अंतरनिष्ठ करे, कितने भक्त है किसी को पता न चले। प्रकाश से चोरी होने की संभावना अपहरण की संभवना बढ़ जाती है। इंद्रेशजी ने कहा कि आराम वही करता है, जो संतोष करता है। जिसका कार्य हुआ ही नहीं, वह जागृत रहता है।

व्यक्ति संसार के कार्य में संतुष्ट हो, पर भक्ति के मार्ग पर संतुष्ट न हो। भक्ति मार्ग में सदैव असंतुष्ट रहें। ठाकुरजी का सुन्दर बंगला बना दिया, तो उससे भी संतुष्ट न हो, बल्कि सोचें इससे और अच्छा होता तो अच्छा रहता। भक्ति मार्ग में अपने आपको आगे लेकर वर्धन करते रहें। जितने भी अवतार हुए प्रभु के, सभी में प्रभु का प्रभाव ही रहा। अवसर पर खाटू श्यामीजी के महाराज श्याम सिंहजी चौहान, पुरानी दिल्ली हनुमानजी मंदिर नगड़ वाले के मुख्य पुजारी संत वैभवजी शर्मा उपस्थित थे। गायक हरमिन्दर सिंह रोमी ने भजन प्रस्तुत कर वातावरण को भक्तिमय बनाया।

कथा यजमान और सहयोगियों का रहा योगदान

अवसर पर कथा यजमान रोशनलाल राजेश कुमार अग्रवाल, श्याम सुन्दर रामेश्वर डालिया, माणकचंद नरेश कुमार नालपुरिया, घीसाराम जगदीश प्रसाद अग्रवाल, ताराचंद शैलेश सोनी, भंडारा सहयोगी प्रभुदयाल पंच परिवार (टीबा बसई वाले), मोहनलाल सुशील कुमार अग्रवाल, प्रमुख यजमान भरत भूषण राहुल अग्रवाल, गुलाबचंद बैजनाथ सिग्नोड़िया, गजानंद सुरेश कुमार नालपुरिया, गुलाबचंद वासुदेव पोद्दार, जयनारायण शीतल पांडेय, रमेशचंद अग्रवाल मिल्लुराम रमेशचंद पोद्दार, राजेश अग्रवाल बनवारीलाल विजय कुमार शामिल है।

अवसर पर परसराम सिंघानिया हनुमान प्रसाद बाबूलाल सिंघानिया, शिवप्रकाशा बंसल, जतिन बंसल, नितिन बंसल, श्री भवानी ज्वेलर्स, पुरुषोत्तम भगेरिया, मुख्य यजमान विकास अग्रवाल, संतोष नरेड़ी, रतन केड़िया रोहित केड़िया, मनोहरलाल राकेश अग्रवाल नालपुरिया, विष्णु दयाल हितेश गुप्ता, रितेश संघीष गोपाल अग्रवाल, बद्रीप्रसाद ज्योति प्रसाद नाथूलाल सत्यनारायण, रविन्द्र कुमार अग्रवाल, जय जैन, ब्रिजमोहन संतोष कुमार चौखानी, महेश अग्रवाल मातादीन सुरेश कुमार गोयल, प्रभातीलाल मुसद्दीलाल, मुन्नालाल अग्रवाल, अमित अग्रवाल, घीसालाल गोवर्धनदास तापड़िया, डालचंद लक्ष्मीप्रसाद सूरज प्रसाद डोकानिया, नागनाथ राजेश माशेट्टे, चन्द्रमोहन पंकज अग्रवाल महावीर प्रसाद सतीश अग्रवाल, आर. नानकराम परिवार ने सहयोग प्रदान किया।

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