आचार्य सुश्रुत ने की सर्वप्रथम संगीत चिकित्सा की संस्तुति- अध्ययन

    UoH Sanskritists reveal that Sushruta was first to recommend Music Therapy, alternative therapeutic agent.

हैदराबाद- हैदराबाद विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक अध्ययन में यह तथ्य सामने आया कि सर्जरी के जनक के रूप में पहचान रखने वाले आचार्य सुश्रुत ने सबसे पहले वैकल्पिक चिकित्सीय एजेंट के रूप में संगीत चिकित्सा अथवा म्यूजिकल थेरेपी की संस्तुति की थी।

हैदराबाद विश्वविद्यालय संस्कृत अध्ययन विभाग के शोधार्थी अबिरलाल गंगोपाध्याय ने अपने पर्यवेक्षक तथा संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. जे.एस.आर. प्रसाद के साथ साथ इंडियन जर्नल ऑफ हिस्ट्री ऑफ साइंस में `प्राचीन भारत में संगीत के चिकित्सीय तत्व-वृहत्त्रयी में एक संक्षिप्त समीक्षा' शीर्षक से शोध पत्र  प्रकाशित किया है। इस जर्नल को स्प्रिंगर, नीदरलैंड द्वारा प्रकाशित किया जाता है।
 
शोधपत्र में विविध प्रसंगों का उल्लेख करते हुए कहा कि आयुर्वेद के तीन महत्वपूर्ण संग्रह हैं, जहाँ वृहत्त्रयी की संज्ञा रखने वाले आचार्य चरक, सुश्रुत वाग्भट्ट ने वैकल्पिक चिकित्सीय एजेंट के रूप में संगीत चिकित्सा अथवा म्यूजिकल थेरेपी का सुझाव दिया था। शोध के अनुसार, प्राचीन समय में पित्त वृद्धि, प्रसव कक्ष, पौरुष, टीबी, शराब, चिकित्सीय शुद्धिकरण, कोमा आदि में वैकल्पिक चिकित्सीय एजेंट के रूप में संगीत के प्रयोग का उल्लेख दृष्टिगत होता है।

शोध में कहा गया कि उपलब्ध साक्ष्यों के अनुसार, शल्य चिकित्सा के पितामह आचार्य सुश्रुत ने व्यक्ति को कोमा से बाहर लाने के लिए संगीत का प्रयोग निर्दिष्ट किया था। वहीं महर्षि चरक ने कोमा से बाहर आए व्यक्ति को भ्रमित दिमाग से चेतना में लौटाने के लिए संगीत चिकित्सा निर्धारित की। चरक द्वारा अस्पताल की स्थापना में संगीतकार कर्मचारियों का उल्लेख प्राचीन काल में क्रांतिकारी था।

शोध में कहा गया कि भले ही आज के समय कोमा के इलाज में संगीत चिकित्सा कई उदाहरण सामने आते हैं, लेकिन प्राचीन धरोहर के पन्ने पलटने पर यह तथ्य सामने आता है कि आचार्य सुश्रुत पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने कोमा की स्थिति से व्यक्ति को बाहर लाने के लिए संगीत के उपयोग की संस्तुति की।
Comments System WIDGET PACK