नई दिल्ली- एकल उपयोग वाली प्लास्टिक (एसयूपी) की चयनित वस्तुओं पर 1 जुलाई से प्रतिबंध लागू हो जाने के साथ ही राज्य सरकारें एक प्रवर्तन अभियान शुरू कर इस तरह की वस्तुओं के निर्माण, वितरण, भंडारण और बिक्री से जुड़ी इकाइयों को बंद कराने की पहल कर रही हैं। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
कई विनिर्माताओं ने कहा है कि विकल्पों के अभाव के कारण वे प्रतिबंध लागू करने के लिए तैयार नहीं हैं, लेकिन केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने मंगलवार को कहा कि सरकार ने उद्योग जगत और आम जनता को एसयूपी उत्पादों पर पाबंदी की तैयारी के लिए पर्याप्त समय दिया है और उसे उम्मीद है कि 1 जुलाई से इसे लागू करने में सभी का सहयोग मिलेगा। पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण अधिनियम (ईपीए) के तहत 19 एसयूपी उत्पादों को उपयोग से बाहर करने के लिए अधिसूचना जारी की गयी है और किसी भी तरह के उल्लंघन पर जुर्माना या जेल की सजा समेत दंडनीय कार्रवाई का सामना करना होगा। इस बारे में विवरण ईपीए की धारा 15 में है।
अधिकारियों ने बताया कि प्रतिबंध को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर नियंत्रण कक्ष स्थापित किए गए हैं। प्रतिबंधित एसयूपी वस्तुओं के अवैध निर्माण, आयात, भंडारण, वितरण, बिक्री और उपयोग की जाँच के लिए विशेष प्रवर्तन दल गठित किए गए हैं। राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से सभी प्रतिबंधित एसयूपी वस्तुओं की अंतरराज्यीय आवाजाही रोकने के लिए सीमा चौकियाँ स्थापित करने का आदेश दिया गया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने प्लास्टिक के उपयोग को रोकने में मदद करने में नागरिकों को सक्षम बनाने के मकसद से एक शिकायत निवारण अप्लीकेशन भी शुरू किया है। अधिकारियों ने कहा कि एफएमसीजी क्षेत्र में पैकेजिंग के लिए इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक पर प्रतिबंध नहीं है, लेकिन इसे विस्तारित निर्माता उत्तरदायित्व (ईपीआर) दिशा-निर्देशों के अंतर्गत रखा जाएगा।
मंत्रालय ने 1 जुलाई, 2022 से पॉलीस्टीरीन और विस्तारित पॉलीस्टीरीन समेत चयनित एसयूपी वस्तुओं के निर्माण, आयात, भंडारण, वितरण, बिक्री और उपयोग पर रोक लगाने के लिए पिछले साल 12 अगस्त को एक अधिसूचना जारी की थी। इन एसयूपी वस्तुओं में ईयरबड, गुब्बारों, झंडों, कैंडी एवं आइस¯ाीम की प्लास्टिक की स्टिक, थर्माेकॉल, प्लेट, कप, ग्लास, काँटे, चम्मच, छुरी, स्ट्रॉ, ट्रे, मिठाई के डिब्बों, निमंत्रण-पत्रों एवं सिगरेट के पैकेट की पैकिंग में इस्तेमाल रैपिंग पेपर और 100 माक्रोन से कम की प्लास्टिक या पीवीसी के बैनर आदि शामिल हैं।(भाषा से इनपुट के साथ)
राष्ट्रीय राजधानी में राजस्व विभाग और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति ने प्रतिबंध को लागू करने के लिए क्रमश: 33 और 15 दलों का गठन किया है। दिल्ली में प्रतिदिन 1,060 टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न होता है। राजधानी में कुल ठोस कचरे का 5.6 प्रतिशत (या 56 किलोग्राम प्रति मीट्रिक टन) एकल उपयोग प्लास्टिक होने का अनुमान है। दिल्ली पर्यावरण विभाग के अधिकारियों ने कहा कि प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियमों के तहत चयनित एसयूपी वस्तुओं के निर्माण, आयात, भंडारण, वितरण, बिक्री एवं उपयोग और अन्य निषिद्ध गतिविधियों में संलग्न इकाइयों को तुरंत बंद कर दिया जाएगा तथा प्रतिबंध का उल्लंघन करने वाले आम लोगों के खिलाफ भी दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।