धर्म की शुरुआत शरीर और आहार शुद्धता से करें : शिवानंदजी

 Begin religion with purity of body and diet: Shivanandji
हैदराबाद, जीवन में धर्म की शुरुआत शरीर से करते हुए अपने आहार को शुद्ध करें, अपने दोषों का देखें तथा संत, गुरुओं व बड़ों का सम्मान करें। कथा का परिणाम आपको तब मिलेगा जब आपका तन, मन, आसन व भोजन पवित्र होगा।  
उक्त उद्गार सिद्दिअंबर बाजार स्थित बाहेती भवन में राजस्थानी जागृति समिति द्वारा पितृ पक्ष में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिवस कथा वाचक पूज्य शिवानंदजी भाई श्रीजी महाराज ने दिये। उन्होंने कहा कि कम मेहनत से परिणाम ज्यादा मिलना शरीर से सुगंध आना, पतिव्रता आज्ञाकारी पत्नी मिलना, पत्नी को समझने वाला पति मिलना यह सौभाग्य है। गीत गाना, तांबूल (पान) मिला भी सौभाग्य सूचक है, क्योंकि पान की उत्पत्ति अमृत से हुई। पान ऐसा जिसमें कोई तंबाकू न हो। भूषण, वाहन और शुद्ध भोजन मिलना सौभाग्य का सूचक है। महाराज ने कहा कि लोग मांसाहार ग्रहण करते हैं और मांसाहार करने वाले के विचार कभी शुद्ध नहीं हो सकते, क्योंकि हमारी बुद्धि तब शुद्ध होती है जब आहार शुद्ध होगा।

महाराज ने आगे कहा कि भगवान का भजन करते हुए भोजन बनाये वह प्रसाद बनेगा। रसोई में हिंसा का, अनीति की कमाई से भोजन अा रहा है तो शास्त्र कहते हैं वह घर पवित्र नहीं हो सकता और उनकी उन्नति नहीं हो सकती जीवन में दुख व कष्ट अायेंगे। संसार की कमियां नहीं अपनी कमियां देखें। जब अपनी कमी देखेंगे तो संसार में कोई बुराई नजर नहीं अायेगी। धर्म की शुरुआत शरीर से करें आहार देखें, दोषों को देखें, संत व गुरुओं का सम्मान करें। सम्मान नहीं तो कोई भी पूजा फलीभूत नहीं होगी।

महाराज ने बताया कि एक बार नारदजी ने भगवान से पूछा कि आप कहां नहीं जाते तो प्रभु ने कहा जिस घर में सुबह सूर्यार्घ न दिया जहां दाम्पत्य जीवन में कलह हो, जहां अतिथियों का अनादर हो, भिक्षुक को भोजन नहीं देते, जहां विचार, भोजन शुद्ध नहीं वहां नहीं जाते। व्यक्ति अपने पुत्र को संपत्तिवान नहीं गुणवान बनाये। गुणवान होंगे तो संपत्ति कमा लेंगे। मनुष्य जन्म पाया है तो कथा श्रवण करो, भजन करो। मानव और पशु में आहार, निद्रा, भय, संतति उत्पन्न करने में समानता है लेकिन पशु से अधिक मानव के पास है ज्ञान, विवेक है जो उसे मानव बनाता है। असली ज्ञान तो आत्मा है। बाहर को ज्ञान जानना छोटी बात है पर भीतर के ज्ञान को स्वयं जानना बड़ी बात है। अपने आप को जानें भगवान का भजन करें तो जीवन सदैव सुन्दर रहेगा।
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