हैदराबाद - साध्वी आभाश्रीजी, डॉ.महिमाश्रीजी और साध्वी डॉ श्रेयांशीजी के सानिध्य में श्री गुरु गणेश पुष्कर दरबार रामकोट (एस डी हॉल) में प्रतिदिन जिनवाणी की अमृत वर्षा हो रही है।
रतनचंद कटारिया और धर्मचंद भंसाली द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, सर्वप्रथम मंगलाचरण प्रस्तुत किया गया। सर्वप्रथम डॉ.महिमाश्रीजी ने स्तवन प्रस्तुत किया। डॉ.महिमाजी ने कहा कि जीवन का लक्षण उपयोग ज्ञान चेतना पर आधारित है और अजीव का उसके विपरीत है। अमंगल को दूर कर के मंगल करने का उपाय ही धर्म है। मनुष्य के पररब्ध के अनुसार भव की परप्ति होती है। मनुष्य पुरुषार्थ कर अपना भाग्य बदल सकता है। पुरुषार्थ द्वारा कर्मों का बंध भी परिवार्तित कर सकते हैं। मिथ्यात्व को सम्यकत्व में परिवार्तित करना ही जीवन है। कभी कभी पुरुषार्थ द्वारा कर्मों को समय से पूर्व उदय में ला सकते हैं। मनुष्य को पुरुषार्थ के साथ साथ समझ भी जरूरी है। जीवन में पुरुषार्थ नहीं करेंगे तो जीवन वन में बदल जाता है। शास्त्र कारोबार ने मनुष्य भव को चंदन वन की उपमा दी है।
धर्मसभा का संचालन करते हुए संघ के सह प्रचार मंत्री प्रकाश गादिया ने बताया कि मंगलवार, 8 नवंबर को साध्वीवृंद का बधाई एवम् विदाई समारोह रहेगा। उस दिन सभी कार्यकर्ताओं एवम् मंडलो का स्वागत अभिनंदन किया जाएगा। वीर लोकाशाह जयंती भी मनाई जाएगी।