अवमानना मामला : महेश बैंक के निदेशकों को सज़ा

 
हैदराबाद - तेलंगाना उच्च न्यायालय ने अवमानना मामले में दोषी पाए गए एपी महेश को ऑपरेटिव अर्बन बैंक के प्रबंध निदेशक एवं दस निदेशकों को 15 दिन की जेल एवं जुर्माने की सज़ा सुनाई है। प्रतिवादियों के अधिवत्ता के अनुरोध पर अगली अदालत में अपील दायर करने के लिए उच्च न्यायालय ने इस सज़ा को 30 दिन के लिए निलंबित किया है।

एपी महेश को ऑपरेटिव अर्बन बैंक शेयर होल्डर्स असोसिएशन द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए तेलंगाना उच्च न्यायालय ने बैंक के तत्कालीन प्रबंध निदेशक उमेशचंद असावा सहित 11 लोगों को गत 26 अगस्त को अवमानना मामले में दोषी करार दिया था।
इस संबंध में बाद में उच्च न्यायालय के न्यायमूार्ति पी. नवीन राव द्वारा जारी अदालत के विस्तृत आदेश में कहा गया है कि बैंक के निदेशक मंडल को नियमित गतिविधियों के संचालन की अनुमति देते हुए नीतिगत निर्णय लेने एवं ऋण जारी करने संबंधित कुछ प्रतिबंध लगाए गए थे, लेकिन निदेशक मंडल ने इस आदेश का उल्लंघन किया है।

आदेश में कहा गया है कि प्रंबंध निदेशक उमेशचंद असावा, चेयरमैन रमेश कुमार बंग, उपाध्यक्ष पुरुषोत्तम मानधना, उपाध्यक्ष लक्ष्मी नारायण राठी, निदेशक प्रेम बजाज, राम भंडारी, गोविंद नारायण राठी, पुष्पा बूब, बदरी विशाल मूंदड़ा, ब्रज गोपाल असावा एवं मुरली मनोहर पलोड अदालत के आदेशों की अवमानना के दोषी पाये गये हैं। इस दोष पर उन्हें 15 दिन के साधारण कारावास और प्रत्येक को 2000 रुपये जुर्माने की सज़ा सुनाई गयी। जुर्माना आदेश  जारी करने के 4 सप्ताह के भीतर अदा करने के लिए कहा गया है। साथ ही कहा गया है कि जेल में रहने के दौरान दोषियों को 500 रुपये प्रतिदिन भत्ता मिलेगा।

अदालत ने निदेशक मंडल को यह आदेश भी दिया है कि मामले में अगले निर्णय तक बैंक की वित्तीय स्थितियों को प्रभावित करने वाला कोई नीतिगत निर्णय न लें। उल्लेखनीय है कि दिसम्बर 2020 में हुए महेश बैंक के निदेशक बोर्ड के चुनाव में धाँधलियों के चलते एपी महेश कोआपरेटिव बैंक शेयर होल्डर्स वेलफेयर असोसिएशन के अध्यक्ष ओमप्रकाश मोदानी द्वारा चुनाव में हुई धाँधलियों की निरपेक्ष जाँच करवाने हेतु तेलंगाना हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। इस याचिका की सुनवाई के दौरान न्यायमूार्ति पी. नवीन राव ने एक अंतरिम आदेश द्वारा महेश बैंक के निदेशक बोर्ड को निर्देश दिया था कि इस मामले में अगले निर्णय तक वे कोई नीतिगत निर्णय, जिनसे बैंक की वित्तीय स्थिति प्रभावित होती हो, न लें । इस ऑर्डर में स्पष्ट कहा गया था कि निदेशक बोर्ड केवल बैंक के नित्यप्रति प्रबंधन जैसे कर्मचारियों के वेतन तथा रोज़मर्रा के कामकाज इत्यादि से सम्बंधित निर्णय ही ले सकता है।

इसके बाद अगले कुछ महीनों में महेश बैंक के प्रबंधन में निदेशक बोर्ड में एक पक्ष द्वारा कई नीतिगत निर्णय भी लिए गये। बैंक के वित्तप्रबंधन के लिए समिति बनाई गई जिसे 30-70 लाख रुपयों तक के ऋण देने की शत्ति दी गयी। इस समिति को पुराने ऋणों के नवीनीकरण के अधिकार भी दिये गये। दूसरे पक्ष के पाँच निदेशकों ने बोर्ड मीटिंगों में इन निर्णयों का विरोध किया। इन निदेशकों ने कई बार महेश बैंक के बोर्ड को आगाह किया और सचेत भी किया। कई बार स्पष्ट शब्दों में कहा कि ऐसे निर्णय लेना कोर्ट के आदेश की अवहेलना होगी। इसके बाद भी कुछ सुनवाई नहीं हुई।
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