हैदराबाद- श्री महावीर स्वामी जैन श्वेताम्बर संघ के तत्वावधान में श्री जिनदत्त सूरी जैन सेवा मंडल द्वारा दादा गुरूदेव जिनदत्त सूरीश्वरजी म.सा. का 868वां स्वर्गारोहण दिवस मनाया गया। अवसर पर गुणानुवाद सभा व मंदिरजी में पूजा पढ़ाने का कार्यक्रम आयोजित किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ भगवान महावीर स्वामी व दादा गुरूदेव के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन व माल्यार्पण के साथ किया गया जिसका लाभ श्रवण कुमार सुनील कुमार संकलेचा परिवार व कांतिलाल धनसुख छाजेड़ परिवार ने लिया। कार्यक्रम में चातुर्मासार्थ विराजित पू. खरतर गच्छाधिपति आचार्य श्री जिनमणिप्रभ सूरीश्वरजी म.सा. की आज्ञानुर्ती एवं पू.स्व. हेमप्रभाश्रीजी म.सा. की सुशिष्याएं पू. श्री प्रियंवदाश्रीजी म.सा. आदि ठाणा 6 ने सानिध्य प्रदान किया। सर्वप्रथम संघ के मंत्री हस्तीमुल हुंडिया ने अपने संबोधन में दादा गुरूदेव का पूरा जीवन वृतांत सुनाया। संघ के पूर्व मंत्री जसराज देवड़ा धोका ने अपने वक्तव्य में कहा कि गुरूदेव का जिनशासन पर बड़ा उपकार है। आज 868 वर्षों के पश्चात भी हम गुरूदेव को स्मरण करते हैं।
गुरूदेव के सभी गुण आज भी जैन समाज के लिए प्रासंगिक हैं। साध्वी योगान्जनाश्रीजी म.सा. ने कहा कि हमें जीवन में गुरूदेव के गुणों से संकल्प लेकर सामूहिक रात्रि भोजन का आयोजन नानवेज होटलों में बंद करना चाहिए। उनके जीवन के सद्आचरणों का प्रभाव ही था जिससे एक लाख तीस हजार जनों ने जैन धर्म को अंगीकार किया था। साध्वी प्रभुदिनाश्रीजी म.सा. ने अपने उद्बोधन में कहा कि व्यसन मुक्ति उनका अाचार संदेश था। समाज को विभिन्न गोत्रों में बांधकर गुरूदेव ने सबको एकता के सूत्र में बांधा। हमें उनके जीवन से शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए। अवसर पर साध्वी शुद्धांजनाश्रीजी म.सा. ने कहा कि गुरूदेव ने अपने जीवन में आचरण को पारदर्शी, निर्मल और सुन्दर बनाया था। गुरूदेव 12वीं शताब्दि के समय इस स्वर्णिम भूमि पर अवतरित हुए थे। उस समय सिथलाकार का बोल बाला था। गुरूदेव ने पूरे भारत वर्ष में शुद्धता का जो आन्दोलन चलाया।