पुरानी मतदाता सूची से ही हो चुनाव - भाजपा

 Election should be done only from old voter list - BJP.

हैदराबाद - मुनूगोडू विधानसभा सीट के लिए होने जा रहे उप-चुनाव में हर हालत में अपने प्रत्याशी को जिताने के षड्यंत्र के तहत राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा बड़े पैमाने पर बोगस मतदाताओं के नाम दर्ज करने का आरोप लगाते हुए प्रदेश भाजपा ने उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर की। गत 7 माह की अवधि में 1500 से कम नए मतदाताओं ने नाम दर्ज कराने के लिए आवेदन किए, जबकि गत दो महीने 10 दिन के दौरान 25 हजार से अधिक लोगों ने आवेदन किया। इस विषय को गंभीरता से लेने का अनुरोध याचिकाकर्ता ने न्यायालय से किया।

मुनूगोडू उप चुनाव में जीत दर्ज करने के लक्ष्य को लेकर सत्तारूढ़ दल की ओर से किए जा रहे गलत प्रयासों को रोकने की मांग करते हुए भाजपा ने अत्यावश्यक याचिका दायर की। गत 31 जुलाई की मतदाता सूची के आधार पर मुनूगोडू उप चुनाव कराने के दिए केन्द्रीय चुनाव आयोग सहित अन्य प्रतिवादियों को देने की मांग याचिकाकर्ता भाजपा के प्रदेश महासचिव गुज्जला प्रेमेन्दर रेड्डी ने रिट याचिका में की। अति आवश्यक रूप से रिट याचिका की सुनवाई करने की मांग याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता बी. रचना रेड्डी ने की। उन्होंने आगे बताया कि आगामी 14 अक्टूबर को केंद्रीय चुनाव आयोग के नए आवेदनों को स्वीकार करने की संभावना है। इससे पूर्व ही उच्च न्यायालय से रिट याचिका को लंच मोशन याचिका के रूप में स्वीकार कर सुनवाई करने का अनुरोध किया गया। 

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस उज्जल भुयान तथा न्यायाधीश जस्टिस सी.वी.भास्कर रेड्डी की खंडपीठ ने घोषणा की कि अब इस याचिका की अत्यावश्यक याचिका के रूप में सुनवाई नहीं की जा सकती। इसकी सुनवाई आगामी 13 अक्टूबर को की जाएगी। इसमें प्रतिवादियों के रूप में केंद्रीय चुनाव आयोग के सचिव, राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी, राज्य सरकार के मुख्य सचिव, जीएडी के सचिव, मुनूगोडू मंडल के नायब तहसीलदार को शामिल किया गया। याचिका में बताया गया कि केवल दो महीने की अवधि के दौरान मुनूगोडू विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में 25 हजार लोगों ने फार्म-6, 7, 8 के जरिए नए मतदाताओं के रूप में अपने नाम दर्ज करने के लिए आवेदन किया। बिना किसी जांच के यदि इन नामों को स्वीकृत कर लिया गया, तब यह संविधान की धाराओं 14 तथा 21 के विरुद्ध होगा। जनप्रतिनिधि कानून-1950 का उल्लंघन होगा। आगे बताया गया कि 2018  में कांग्रेस पार्टी की ओर से विधायक के रूप में चुनाव जीतने वाले कोमटरेड्डी राजगोपाल रेड्डी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इसे गत 8 अगस्त को विधानसभा अध्यक्ष ने स्वीकार कर लिया। इसके तुरन्त बाद नए मतदाताओं ने उनके नाम मतदाता सूची में शामिल करने के लिए आवेदन किया। 1 जनवरी से 31 जुलाई तक मोनुगुडु तथा चंदूर मंडलों में फार्म-6, 7, 8 के जरिए क्रमश: 486, 847 तथा 141 (कुल 1,474) आवेदन प्राप्त हुए। यह जानकारी सूचना अधिकार कानून के अंतर्गत अधिकारियों ने बताई। निर्वाचन क्षेत्र के सभी मंडलों में गत सात माह के दौरान केवल 2 हजार आवेदन ही प्राप्त हुए। गत 10 अक्तूबर को राजनीतिक दलों के साथ जिला चुनाव अधिकारी के रूप में जिलाधीश द्वारा आयोजित बैठक में उनके द्वारा दिए गए आँकड़ों के अनुसार फार्म-6 के अंतर्गत कुल 24,781 आवेदन प्राप्त हुए। मुनूगोडू तथा चंदुरू मंडलों के आधिकारिक आँकड़ों के अनुसार, 7 माह के दौरान केवल 1,474 ही आवेदन मिले, जबकि उसके बाद 2 माह 10 दिन के दौरान यह संख्या बढ़कर 25 हजार तक हो गई। इससे कई प्रकार के संदेह उत्पन्न हो रहे हैं। सत्तारूढ़ दल द्वारा अपने अधिकारों का दुरुपयोग करने का इससे बड़ा सबूत और कोई नहीं। इसे कानून का उल्लंघन माना जाना चाहिए।

याचिकाकर्ता ने बताया कि मुनूगोडू उपचुनाव में सत्ता का दुरुपयोग करने के प्रयासों पर रोक लगाई जानी चाहिए। फर्जी मतदाताओं के आवेदनों को रद्द कर दिया जाना चाहिए। जानबूझकर किए जा रहे बोगस मतदाताओं के प्रयासों पर रोक लगनी चाहिए। उपचुनाव में जीत हासिल करने के लक्ष्य को लेकर राज्य के सत्तारूढ़ दल के फर्जी आवेदनों को अंतिम रूप देने से रोका जाना चाहिए। आगामी 3 नवंबर को होने जा रहे उपचुनाव का मतदान लोकतांत्रिक पद्धति से करने के लिए 25 हजार आवेदनों को लंबित रखने के आदेश प्रतिवादियों को दिए जाने चाहिए। इसके अलावा आगामी 14 अक्टूबर को मतदाता सूची प्रकाशित करने से प्रतिवादियों को रोकने के आदेश जारी करें। गत 31 जुलाई में प्रकाशित मतदाता सूची के आधार पर ही 3 नवंबर को मुनूगोडू विधानसभा उपचुनाव करवाने के आदेश अदालत प्रतिवादियों को दें। इस मामले की सुनवाई 13 अक्तूबर को होगी।

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