शांति के लिए मिथ्यात्व त्यागें : महिमाश्रीजी

हैदराबाद, प्रवचन प्रभाविका आभाश्रीजी, डॉ महिमाश्रीजी और डॉ श्रेयांशीजी मसा की निश्रा में श्री गुरु गणेश पुष्कर दरबार रामकोट (एस डी हॉल) में प्रतिदिन जिनवाणी की गंगा  प्रवाहित हो रही है।

आज यहाँ रतनचंद कटारिया और अनिल मेहता द्वारा संयुत्त रूप से जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, मंगलाचरण के पश्चात डॉ महिमाश्रीजी मसा ने स्तवन प्रस्तुत किया। म.सा. ने कहा कि जैसे श्रीपाल ने नवपद आराधना कर सभी आपत्तियों और समस्याओं का परिणाम सकारात्मक निकाला, वैसे ही हम भी श्रद्धा और सद्भाव से सफलता परप्त कर सकते हैं। मसा ने अठारह पापों में अंतिम पाप मिथ्या दर्शन शल्य के बारे में बताया कि कोई भी चीज या बात को विपरीत दृष्टिकोण से देखना मिथ्यात्व कहा गया है। शरीर में छोटा-सा कांटा भी चुभ जाए तो कितना दर्द होता है। हमनें मिथ्यात्व भाव को संजोए रखा है। इसे निकालने का प्रयास ही नहीं किया। इसलिए हमारे जीवन में शांति प्रेम भाव नहीं है।

मिथ्यात्व को धतुरे की उपमा दी गई है। मिथ्यात्व की गति अधोगति अर्थात नरक गति बताई गई है। म.सा. ने अठारह पापों को ट्राफिक की उपमा देकर बताया कि जब तक हमें अठारह पापों से छुटकारा नहीं मिलेगा तब तक हम राह में अटके हुए रहेंगे। संघ के महामंत्री जे. पारसमल कटारिया ने संघ सूचना देते हुए बताया कि कल नवपद आराधना पूर्ण हुई। 12 अक्तूबर से सुबह 8.30 से 9.15 बजे तक महामंगलकारी पुच्छसिणं का जाप और उत्तराध्ययन सूत्र वांचन रहेगा। 9.15 बजे से प्रवचन रहेगा। प्रवचन पश्चात अल्पाहार का आयोजन रहेगा। कल परंगण में श्री महावीर मित्र मंडल रामकोट और श्री गुरु गणेश सेवा निधि के सौजन्य से निशुल्क मेगा मेडीकल शिविर का आयोजन किया गया।
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