सीएसआईआर-राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान में हिन्दी पखवाड़ा संपन्न

 Hindi Pakhavadaa concludes at CSIR-National Geophysical Research Institute
हैदराबाद- सीएसआईआर-राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान में हिन्दी पखवाड़ा का समापन समारोह संस्थान के एस.बी. हॉल में संपन्न हुआ। अवसर पर आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्थान के निदेशक डॉ. वी.एम. तिवारी ने की। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में अंग्रेजी एवं विदेशी भाषा विश्वविद्यालय, हैदराबाद के कुलपति प्रो. ई. सुरेश कुमार उपस्थित थे।
आज यहाँ जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, प्रो. सुरेश कुमार ने अपने सरल एवं सुबोध हिन्दी में एकल भाषिकता और बहुभाषिकता की तुलना की। उन्होंने विदेशों का उदाहरण देते हुए कहा कि एक मात्र भाषा बोलने वाले लोगों में लैटरल थिंकिंग की क्षमता बहुत कम होती है। वहीं यदि भारत जैसे बहुभाषी देशों में यह अधिक होती है। उन्होंने कहा कि किसी भी दूसरी भाषा सीखने के लिए पहले अपनी मातृभाषा पर पकड़ या सही रूप में प्रयोग करने की क्षमता होनी चाहिए। मातृभाषा के ज्ञान के अभाव में किसी दूसरी भाषा को सीखना असंभव सी बात है। उन्होंने देश की दूसरी भाषाओं को सीखने के लिए सभी से आग्रह किया। डॉ. वी.एम. तिवारी ने स्मृति चिह्न और शॉल के साथ प्रो. सुरेश कुमार का सम्मान किया।
 
इससे पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का हिन्दी दिवस के अवसर पर दिया गया संदेश संस्थान के कनि. हिन्दी अनुवादक अजित कुमार ने पढ़कर सुनाया।  
डॉ. वी.एम. तिवारी ने हिन्दी पखवाड़े के दौरान आयोजित प्रतियोगिताओं के विजेताओं को बधाई दी। उन्होंने कहा कि इन पुरस्कारों से राजभाषा कार्यान्वयन संबंधी आपकी जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। उन्होंने उम्मीद जतायी कि बाकी कर्मचारी भी राजभाषा संबंधी प्रगति कर आने वाले दिनों में पुरस्कार प्राप्त करेंगे। हाल ही में संसदीय राजभाषा समिति द्वारा किए गए संस्थान के राजभाषा संबंधी निरीक्षण का उल्लेख करते हुए कहा कि सभी के योगदान के कारण यह अत्यंत सफल रहा है। उन्होंने उम्मीद की कि इसी स्फूर्ति को लेकर आगे भी राजभाषा कार्यान्वयन में सभी योगदान देते रहेंगे और संसदीय समिति की अपेक्षाओं को पूरा करेंगे। उन्होंने कहा कि संस्थान की वैज्ञानिक उपलब्धियों और कार्य क्षेत्र के बारे में आम जनता को बताने की आवश्यकता है। इसके लिए बहुत अच्छा माध्यम हिन्दी भाषा है। उन्होंने सभी वैज्ञानिक एवं तकनीकी समूह के कर्मचारियों से अनुरोध किया कि वह अपने वैज्ञानिक अनुसंधान के बारे में हिंदी में लिखें और उसका प्रचार-प्रसार करें।

अवसर पर हिन्दी पखवाड़ा आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ. देवेन्द्र कुमार (वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक) ने अंग्रेजी की वैज्ञानिक विषय वस्तु का अनुवाद हिन्दी में करते समय आने वाली व्यावहारिक कठिनाइयों के बारे में उल्लेख करते हुए कहा कि अंग्रेजी शब्द का सही हिन्दी शब्द न मिलने पर अंग्रेजी शब्द को लिप्यंतरित न करने के लिए नया शब्द हिन्दी में बनाने का प्रयास किया जाना चाहिए। हिन्दी में विज्ञान लेखन के लिए ऐसी क्षमता होनी जरूरी है। उन्होंने संस्थान में हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिए आयोजित हिन्दी पखवाड़े (16 से 30 सितंबर) के दौरान आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों एवं प्रतियोगितों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि संस्थान में हिन्दी वर्तनी, हिन्दी वक्तृत्व, हिन्दी गीत गाना, हिन्दी कविता वाचन, हिन्दी टंकण, हिन्दी प्रशासनिक शब्दावली और हिन्दी निबंध लेखन तथा हिन्दी अंताक्षरी प्रतियोगिताएँ आयोजित की गयीं, जिसमें संस्थान के कर्मचारियों एवं उनके परिजनों ने हिस्सा लिया। उन्होंने विजेताओं को बधाई देते हुए कहा कि हिन्दी पखवाड़े के दौरान संस्थान में वैज्ञानिकों द्वारा हर वर्ष आयोजित किए जाने वाले आंतरिक हिन्दी व्याख्यानों के अंतर्गत इस वर्ष संस्थान के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. पी.एस.आर प्रसाद द्वारा `राजालाकार हाइड्रेट-संभावनाएँ एवं चुनौतियाँ' शीर्षक हिन्दी में व्याख्यान दिया। उन्होंने आयोजन समिति की ओर से मुख्य अतिथि प्रो. ई. सुरेश कुमार, संस्थान के निदेशक डॉ. वी.एम. तिवारी तथा संस्थान के हिन्दी अनुभाग को धन्यवाद दिया। समारोह में पखवाड़े के दौरान आयोजित प्रतियोगिताओं में पुरस्कार प्राप्त कर्मचारियों और उनके परिवार के सदस्यों को मुख्य अतिथि द्वारा पुरस्कार प्रदान किए गए।

कार्यक्रम का शुभारम्भ शोध छात्र सरबजीत दास द्वारा प्रस्तुत वंदना से हुआ। मुख्य अतिथि का परिचय संस्थान के वरिष्ठ हिन्दी अधिकारी चि.वें. सुब्बाराव ने दिया। संस्थान के प्रशासन नियंत्रक डी.वी.एस. शास्त्री के धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ। कार्यक्रम का समन्वयन एवं संचालन संस्थान के वरिष्ठ हिन्दी अधिकारी चि.वें. सुब्बाराव ने किया
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