हैदराबाद-राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा बाल अधिकारों को लेकर खैरताबाद स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियर्स में एक दिवसीय जागरूकतापरक `बाल अधिकार-तेलंगाना में समकालीन चुनौतियां' विषयक कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का उद्घाटन राज्यपाल डॉ. तमिलिसै सौंदरराजन ने किया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि केवल कानून बच्चों की रक्षा नहीं कर सकते। उनकी रक्षा के लिए सामाजिक मानसिकता को भी बदलने की आवश्यकता है।
डॉ. तमिलिसै सौंदरराजन ने कहा कि स्वस्थ तथा प्रसन्नता से परिपूर्ण बच्चे एक प्रगतिशील समाज की नींव होते हैं। बच्चे फूलों की तरह होते हैं। उनकी देख-रेख प्यार तथा सावधानी से की जानी चाहिए। बच्चों के यौन उत्पीड़न के मामले निराशाजनक तथा निंदनीय हैं। केवल कानून द्वारा ही बच्चों की रक्षा नहीं की जा सकती। बच्चों तथा उनके हितों के संरक्षण को सुनिश्चित करने के लिए समाज की मानसिकता को बदलने की जरूरत है। राज्यपाल ने माता-पिता से रोल मॉडल बनने का आह्वान करते हुए कहा कि बच्चों पर शर्तों को थोपा नहीं जाना चाहिए। वरन उन्हें समुचित ढांचे में ढालने का प्रयास करना चाहिए।
तेलंगाना सरकार के महिला विकास और बाल कल्याण विभाग की आयुक्त तथा विशेष सचिव डी. दिव्या ने कहा कि केंद्र तथा राज्य स्तर के सभी हितधारकों को बच्चों को सुरक्षित माहौल के बीच विकसित होने के लिए हाथ मिलाना चाहिए। उन्होंने इस दिशा में तेलंगाना सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों का उल्लेख करते हुए कहा कि यहाँ बाल रक्षक वाहन, भरोसा केंद्र फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट, पॉक्सो कोर्ट आदि का संचालन हिंसा व शोषण के शिकार बच्चों तथा महिलाओं को समर्थन प्रदान करने के लिए किया जा रहा है।
तेलंगाना सरकार के महिला विकास और बाल कल्याण विभाग की आयुक्त तथा विशेष सचिव डी. दिव्या ने कहा कि केंद्र तथा राज्य स्तर के सभी हितधारकों को बच्चों को सुरक्षित माहौल के बीच विकसित होने के लिए हाथ मिलाना चाहिए। उन्होंने इस दिशा में तेलंगाना सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों का उल्लेख करते हुए कहा कि यहाँ बाल रक्षक वाहन, भरोसा केंद्र फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट, पॉक्सो कोर्ट आदि का संचालन हिंसा व शोषण के शिकार बच्चों तथा महिलाओं को समर्थन प्रदान करने के लिए किया जा रहा है।
कार्यशाला में बच्चों से संबंधित मुद्दों की समय पर पहचान, बाल गृहों की निगरानी का अभाव, सभी महत्वपूर्ण हितधारकों के साथ अभिसरण और सूचना साझा करना, बच्चों की साइबर सुरक्षा से संबंधित उभरते मुद्दे, बाल तस्करी के मामलों जैसे अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की गई। अवसर पर बताया गया कि आज के डिजिटल युग में बच्चे न केवल ऑनलाइन शिक्षण, बल्कि मनोरंजन के लिए भी प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हैं। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि बच्चों को सुरक्षित सीखने का माहौल प्रदान करने की सरकार की प्रतिबद्धता डिजिटल स्पेस तक फैले। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो-2021 के आंकड़ों के अनुसार, भारत में बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध के कुल 1,081 मामले दर्ज किए गए। इनमें कर्नाटक के 164, केरल के 138, आंध्र-प्रदेश के 40, तमिलनाडु के 15 और तेलंगाना के 3 मामले शामिल हैं।
जानकारी देते हुए बताया गया कि एनसीपीसीआर ने स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा पर एक मैनुअल विकसित किया है। साथ ही चाइल्ड केयर संस्थानों की निगरानी के लिए एक ऐप बेस मॉनिटरिंग टूल विकसित किया, जिसे `मॉनिटरिंग ऐप फॉर सीमलेस इंस्पेक्शन' कहा जाता है। यह ऐप अधिकारियों को उनके अधिकार क्षेत्र में आने वाले चाइल्ड केयर संस्थानों के निर्बाध निरीक्षण में मदद कर रहा है। कार्यशाला में बाल कल्याण समिति सदस्यों, जिला बाल संरक्षण अधिकारियों, अधिवक्ताओं, बाल अधिकारों के क्षेत्र में काम करने वाले गैर सरकारी संगठनों, स्कूल के प्रधानाचार्यों, शिक्षकों सहित अन्य प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।