भारत का रूस को फिर कड़ा संदेश

 India's strong message to Russia again
 
न्यूयॉर्क- भारत ने एक बार फिर से यूक्रेन युद्ध को लेकर सुरक्षा परिषद में कड़ा संदेश दिया। दरअसल हाल ही में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने नए सिरे से सैनिकों को इकट्ठा करने का आदेश दिया था। उन्होंने अपने देश की रक्षा के लिए परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने से भी न झिझकने की घोषणा की थी। इस ताजा घटनाक्रम के एक दिन बाद बृहस्पतिवार को भारत ने यूक्रेन में शत्रुता को तत्काल समाप्त करने का आह्वान किया है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को कहा कि यूक्रेन में संघर्ष को समाप्त करना और बातचीत के रास्ते पर लौटना ही समय की मांग है। उन्होंने कहा कि भारत सभी टकरावों को तत्काल समाप्त करने और बातचीत व कूटनीति की वापसी की आवश्यकता को दृढ़ता से दोहराता है।

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि भारत का संयुवÌत राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य नहीं होना केवल हमारे लिए ही नहीं, बल्कि इस वैश्विक निकाय के लिए भी सही नहीं है तथा इसमें सुधार बहुत पहले ही हो जाना चाहिए था। जयशंकर से पूछा गया था कि भारत को संयुवÌत राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने में कितना ववÌत लगेगा? उन्होंने कहा कि वह भारत को स्थायी रूस कोसदस्यता दिलाने के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने बुधवार को कहा कि जब मैं कहता हूँ कि मैं इस पर काम कर रहा हूँ, तो इसका मतलब है कि मैं इसे लेकर गंभीर हूँ। जयशंकर कोलंबिया यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल एण्ड पब्लिक अफेयर्स के राज सेंटर में कोलंबिया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर तथा नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया के साथ बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि स्वभाविक रूप ये यह बहुत कठिन काम है, वÌयोंकि अंत में आप अगर कहेंगे कि हमारी वैश्विक व्यवस्था की परिभाषा वÌया है। वैश्विक व्यवस्था की परिभाषा को लेकर पाँच स्थायी सदस्य बहुत महत्वपूण हैं, इसलिए हम जो माँग कर रहे हैं, वह बहुत ही मौलिक, बहुत गहरे बदलाव से जुड़ा है।

ज्ञात हो कि संयुवÌत राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पाँच स्थायी सदस्य रूस, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस और अमेरिका हैं तथा इन देशों को किसी भी प्रस्ताव पर वीटो करने का अधिकार प्राप्त है। समसामयिक वैश्विक वास्तविकता को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाने की माँग बढ़ रही है।इस बीच विदेश मंत्री ने कहा कि हम मानते हैं कि बदलाव काफी समय से अपेक्षित है, वÌयोंकि संयुवÌत राष्ट्र 80 वर्ष पहले की स्थितियों के परिणामस्वरूप बनी। उन्होंने कहा कि कुछ वर्षों में भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगा, यह दुनिया की सबसे घनी आबादी वाला देश होगा। उन्होंने कहा कि ऐसे देश का अहम वैश्विक परिषदों का हिस्सा न होना जाहिर तौर पर न केवल हमारे लिए, बल्कि वैश्विक परिषद के लिए भी अच्छा नहीं है। गौरतलब है कि भारत के पास अभी सुरक्षा परिषद के गैर-स्थायी सदस्य के तौर पर दो साल का कार्यकाल है। उसका कार्यकाल दिसंबर में समाप्त हो जाएगा।
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