`उपासना से मिटती है वासना'

हैदराबाद, 18 अगस्त-(चन्द्रभान अार.)
`शिव नाम कल्याण का है। शिव नाम शांति का है। जब माता सती अपने पिता दक्ष के यज्ञ में शिव अपमान के कारण देह का त्याग करती हैं, तो पति के रूप में शिवजी को ही अगले जन्म में पाने की कामना भगवान श्रीहरि से करती हैं।'

उक्त उद्ग़ार काचीगुड़ा स्थित श्री श्याम मंदिर में श्री भागवत सेवा समिति, हैदराबाद-सिकंदराबाद द्वारा अायोजित श्री शिव महापुराण कथा ज्ञान यज्ञ महोत्सव में कथा का महत्व बताते हुए कथावाचक राधेश्यामजी शास्त्री ने व्यक्त किये।
महाराज ने कहा कि सती ने जब शिवजी को पति के रूप में पाने की कामना की, तो कालांतर में हिमालय के यहाँ माँ पार्वती का जन्म हुअा। नारदजी ने माता पार्वती को शिव प्राप्ति के लिए तपस्या करने को कहा। इस दौरान शिवजी की समाधि को तोड़ने के लिए देवताअों ने कामदेव को भेजा, क्योंकि ताड़कासुर का अत्याचार बढ़ रहा था। कामदेव शिवजी का ध्यान भंग करने गये, तो प्रभु की तीसरी अाँख खुलने से कोप का शिकार हुए। वे जलकर भस्म हो गये। शास्त्रीजी ने अागे बताया कि जो व्यक्ति परोपकार के लिए देह त्यागता है, प्रभु उससे प्यार करते हैं। कामदेव अागे श्रीकृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न के रूप में जन्मे। माँ पार्वती ने कुश के पत्ते खाकर तपस्या की, जिससे उनका ताम अर्पणा हुअा। शिवजी ने स्वयं उनकी परीक्षा लेने नट अादि बनकर अाये।

महाराज ने कहा कि प्रभु प्राप्ति के लिए तपना पड़ता है। उपासना से ही वासना मिटती है। शिव पुराण शक्ति और शक्तिमान की कथा है। म.सा. ने रविवार को शिव विवाह की कथा में सभी से उपस्थित रहने की अपील की।

अवसर पर यजमान महेन्द्र कुमार सिग्नोडिया, प्रह्लादराय टिबड़ेवाल, संतोष कुमार चौखानी, प्रमोद तुलस्यान, भगतराम गुप्ता, परमानंद बंसल, पुरूषोत्तम भगेरिया, प्रमोद गोयन्का, सुनील दोचानिया, वासुदेव पोद्दार, बैजनाथ सिग्नोडिया, नारायणलाल अग्रवाल, केदारमल केड़िया, सुनील केड़िया, राजेन्द्र अग्रवाल, किशन गर्ग, मनोहरलाल सिग्नोडिया, चंडीप्रसाद सिग्नोडिया व अन्य उपस्थित थे।
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