हैदराबाद - एमएनआर कॉलेज के विद्यार्थियों द्वारा उन्हें नए मेडिकल कॉलेज में जारी कक्षाओं में उपस्थित होने के लिए आदेश जारी करने संबंधी की गई मांग को उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया। अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद निर्णय लेने की बात कहते हुए तब तक इन विद्यार्थियों को कक्षाओं में उपस्थित होने की बात कही। साथ ही कॉलेजों के प्रबंधकों को आदेश दिया कि इन याचिकाओं की सुनवाई पूरी होने तक याचिकाकर्ताओं से फीस वसूल न करें।
एमएनआर कॉलेज में प्राध्यापक नहीं रहने, बेहतर सुविधाएं नहीं रहने की बात कहते हुए इस कॉलेज की प्रवेश प्रक्रिया को नेशनल मेडिकल काउंसिल (एनएमसी) ने रद्द कर दिया। नई सीटों का सृजन कर उनका स्थानांतरण करते समय पुन: प्रवेश प्रक्रिया के लिए अनुमति देने को डॉ. शशिधर रेड्डी सहित 18 पीजी मेडिकल छात्रों ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी। इस याचिका की आज न्यायाधीश जस्टिस अभिनंद कुमार शावली एवं न्यायाधीश जस्टिस एन. राजेश्वर राव की खंडपीठ ने सुनवाई की। सुविधाएं नहीं रहने के कारण इस कॉलेज के छात्रों को अन्य कॉलेजों में प्रवेश देने की अनुमति देने की माँग करते हुए याचिकाकर्ताओं ने दलीलें पेश की। कुल 92 छात्रों में से केवल 18 ही उच्च न्यायालय में याचिकाएँ दायर की।
कॉलेज की ओर से दलील दी गई कि शेष 92 छात्रों ने इसी कॉलेज में शिक्षा प्राप्त करने के लिए क्यों तैयार हो गए। एनएमसी के अधिवक्ता ने बताया कि पुरानी प्रवेश प्रक्रिया रद्द करने के कारण नई प्रवेश प्रक्रिया के लिए अनुमति दी गई है। प्रति याचिका दायर करने के लिए समय देने की माँग करने पर खंडपीठ ने इसके लिए अनुमति दे दी। अदालत ने मामले की सुनवाई पूरी होने तक इन छात्रों को एमएनआर कॉलेज में ही कक्षाओं में उपस्थित होने के आदेश देते हुए मामले की सुनवाई 27 अक्टूबर तक स्थगित कर दी।