पीएफआई पर फिर गाज 170 से अधिक लोग हिरासत में

 More than 170 people detained again on PFI
नई दिल्ली, देश के सात राज्यों में मंगलवार को मारे गए छापों में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) से कथित संबंध रखने वाले 170 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया या गिरफ्तार किया गया। पीएफआई पर कट्टरपंथ से जुड़े होने का अवÌसर आरोप लगाया जाता रहा है। इसके खिलाफ 5 दिन पहले देशभर में इसी तरह की एक कार्रवाई किए जाने के बाद ये छापे मारे गए। छापेमारी की कार्रवाई उत्तर-प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, दिल्ली, महाराष्ट्र, असम और मध्य-प्रदेश की पुलिस ने की।

गौरतलब है कि राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) के नेतृत्व में विभिन्न एजेंसी की टीम ने देश में आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करने के आरोप में 22 सितंबर को पीएफआई के खिलाफ 15 राज्यों में छापेमारी की थी। उसके 106 नेताओं व कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था। एनआईए, पीएफआई की संलिप्तता वाले 19 मामलों की जाँच कर रही है। संबंधित राज्यों की पुलिस ने अपने-अपने अधिकार क्षेत्र में मंगलवार को छापेमारी की कार्रवाई की, जो समन्वित कार्रवाई प्रतीत होती है।

अधिकारियों ने बताया कि छापेमारी के दौरान पुलिस ने असम और महाराष्ट्र प्रत्येक राज्य में 25 लोगों को गिरफ्तार किया। उत्तर-प्रदेश में 57 और दिल्ली में 30 लोगों को हिरासत में लिया गया है। उन्होंने बताया कि मध्य-प्रदेश में 21, गुजरात में 10 और पुणे में 6 लोगों को हिरासत में लिया गया। इसके अलावा कर्नाटक में भी कई लोगों को हिरासत में लिया गया है। उत्तर-प्रदेश के अपर पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने पत्रकारों को बताया कि पीएफआई एवं उसके अनुषांगिक संगठनों द्वारा देश के विभिन्न स्थानों पर की गयी हिंसा एवं उवÌत संगठन के सदस्यों की बढ़ती हुई राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के मद्देनजर जनपदीय पुलिस, विशेष कार्य बल (एसटीएफ) और आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) के संयुवÌत दलों ने छापेमारी की।

कुमार ने बताया कि पुलिस दलों ने 26 जिलों में एक साथ पीएफआई के पदाधिकारियों एवं सदस्यों के ठिकानों पर छापेमारी की, जिसमें कुल 57 लोग हिरासत में लिए गए। कुमार ने बताया कि इस कार्रवाई के बाद मौके से बरामद विभिन्न प्रकार के अभिलेखों एवं साक्ष्यों का संयुवÌत रूप से विश्लेषण किया जा रहा है। कुमार ने बताया कि उपलब्ध अभिलेखों एवं साक्ष्यों के आधार पर आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी। पीएफआई का गठन 2006 में किया गया था और वह भारत में हाशिये पर मौजूद वर्गों के सशविÌतकरण के लिए नव सामाजिक आंदोलन चलाने का दावा करता है। हालाँकि कानून प्रवर्तन एजेंसी का दावा है कि पीएफआई कट्टर इस्लाम का प्रसार कर रहा है। इस संगठन का गठन केरल में किया गया था और इसका मुख्यालय दिल्ली में है। पीएफआई के खिलाफ राष्ट्रव्यापी कार्रवाई के बाद उस पर देशभर में प्रतिबंध लगने की संभावना हैं।

असम के अधिकारियों ने बताया कि विभिन्न जिलों से पीएफआई के 25 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया। उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा 10 पीएफआई कार्यकर्ताओं को गोलपाड़ा से गिरफ्तार किया गया है। इसके बाद 5 को कामरूप (ग्रामीण) में और 3 को धुबरी में गिरफ्तार किया गया। वहीं बारपेटा, बवÌसा, दरांग, उदलगुरी और करीमगंज में भी गिरफ्तारियाँ की गईं।

मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने पहले कहा था कि राज्य सरकार ने आतंकवादी गतिविधियों के लिए कथित तौर पर एक तंत्र बना रहे संगठन को प्रतिबंधित करने का केंद्र से आग्रह किया है। दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ ने राष्ट्रीय राजधानी में निजामुद्दीन और शाहीन बाग सहित कई स्थानों पर पीएफआई से संबद्ध ठिकानों पर छापेमारी के बाद मंगलवार को 30 लोगों को हिरासत में लिया। उन्होंने बताया कि जिन इलाकों में छापेमारी की जा रही है, वहाँ पर एहतियातन अर्द्धसैनिक बलों को तैनात किया गया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हमने कानून-व्यवस्था और सौहार्द्र कायम रखने के लिए संबधित इलाकों में एहतियाती कदम के तहत अर्द्धसैनिक बलों की तैनाती की है। यह एहतियान उठाया गया कदम है, ताकि कोई अप्रिय घटना न हो। पुलिस ने बताया कि अब तक मामले में प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है, वÌयोंकि जाँच जारी है। उन्होंने बताया कि छापेमारी की कार्रवाई सोमवार-मंगलवार की दरमियानी रात करीब 12.30 बजे के बाद शुरू हुई और तड़के सुबह तक जारी रही। महाराष्ट्र में औरंगाबाद, ठाणे और नांदेड़ सहित 6 जिलों से 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इसके अलावा पुणे पुलिस ने पीएफआई और इसकी राजनीतिक शाखा सोशल डेमो¯ोटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) से जुड़े 6 लोगों को हिरासत में लिया। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।
मध्य-प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि राज्य पुलिस ने पीएफआई से जुड़े रहने के आरोप में प्रदेश के 8 जिलों से 21 लोगों को हिरासत में लिया है। उन्होंने कहा कि पिछले सप्ताह गिरफ्तार किए गए पीएफआई कार्यकर्ताओं से की गई पूछताछ के आधार पर इन लोगों को हिरासत में लिया गया है। मिश्रा मध्य-प्रदेश सरकार के प्रववÌता भी हैं। गुजरात में एटीएसó अौर एनआईए की संयुवÌत टीम ने छापेमारी कर पीएफआई से कथित संबंधों को लेकर पूछताछ के लिए कम से कम 10 लोगों को हिरासत में लिया, एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। अधिकारी ने कहा कि उन्होंने गुजरात पुलिस और एटीएस की मदद से विभिन्न इलाकों से कम से कम 10 लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है।
आशा पारेख को फाल्के
नई दिल्ली, 27 सितंबर-(भाषा)
गुजरे जमाने की मशहूर अभिनेत्री आशा पारेख को 2020 के दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने मंगलवार को यह जानकारी दी। पारेख (79) को शु¯ावार को होने वाले 68वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह के दौरान यह पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। दादा साहेब फाल्के भारतीय सिनेमा के क्षेत्र में सर्वाेच्च पुरस्कार है। ठाकुर ने हिमाचल प्रदेश में अपने संसदीय क्षेत्र हमीरपुर में पत्रकारों को बताया कि आशा भोंसले, हेमा मालिनी, पूनम ढिल्लों, उदित नारायण और टी.एस. नागभरण की पाँच सदस्यीय दादा साहेब फाल्के पुरस्कार समिति ने सम्मान के लिए पारेख का नाम चुना है। मंत्री ने कहा कि उन्होंने बैठक में निर्णय लिया कि इस बार आशा पारेख को दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। उन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह के दौरान यह पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। पारेख ने लगभग पाँच दशक तक चले अपने अभिनय जीवन की शुरुआत 10 साल की आयु में की थी। उन्होंने 1952 में आई फिल्म आसमान से एक बाल कलाकार के रूप में अपना कैरियर शुरू किया था और वह दो साल बाद बिमल रॉय की बाप बेटी से चर्चा में आई थीं। पारेख ने 1959 में आई नासिर हुसैन की फिल्म दिल देके देखो में मुख्य किरदार निभाया था, जिसमें उन्होंने शम्मी कपूर के साथ अभिनय किया था। दिल देके देखो, कटी पतंग, आशा पारेख...
तीसरी मंजिल और कारवाँ जैसी फिल्मों के लिए मशहूर पारेख को हिन्दी सिनेमा की सबसे प्रभावशाली अभिनेत्रियों में शुमार किया जाता है। पारेख ने 1990 के दशक के अंत में एक निर्देशक व निर्माता के तौर पर टीवी नाटक कोरा कागज का निर्देशन किया था, जिसे काफी सराहा गया था। पारेख 1998-2001 तक केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) की पहली महिला अध्यक्ष भी रहीं। साल 2017 में उन्होंने अपनी आत्मकथा द हिट गर्ल पेश की, जिसका सह-लेखन फिल्म समीक्षक खालिद मोहम्मद ने किया था। उन्हें 1992 में देश के चौथे सर्वाेच्च नागरिक पुरस्कार पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया था। पिछले साल 2019 के लिए रजनीकांत को दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
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