ऑपरेशन लोटस की जाँच की अनुमति, मामला सीबीआई को सौंपने संबंधी याचिका लंबित

 Permission for investigation of Operation Lotus, pending petition to hand over the case to CBI

हैदराबाद,  सत्तारूढ़ दल तेरास के चार विधायकों की खरीद-फरोख्त के लिए करोड़ों रुपये का लालच देने के मामले की जाँच को लेकर उच्च न्यायालय द्वारा लगाई गई रोक आज हटा दी गयी। अदालत ने स्पष्ट किया कि मोइनाबाद पुलिस थाने में दर्ज मामले की जाँच अब पुलिस कर सकती है।

इस मामले की जाँच सीबीआई को सौंपने की माँग को लेकर भाजपा द्वारा दायर रिट याचिका को अदालत ने लंबित रखा। साथ ही कहा कि आरोपियों तथा अन्यों द्वारा दायर याचिकाओं की विस्तारपूर्वक सुनवाई की जाएगी। आगे कहा कि इस प्रकार के मामलों की जाँच अधिक दिनों तक लंबित रखना ठीक नहीं है। साथ ही स्पष्ट कर दिया कि रिट याचिका की सुनवाई करने में देरी नहीं की जाएगी। अदालत ने मामले की सुनवाई 18 नवंबर तक स्थगित कर दी। साथ ही आरोपियों के खिलाफ दर्ज मामले में हुई प्रगति की जानकारी देते हुए प्रतियाचिका दायर करने के आदेश अदालत ने पुलिस को दिए। उच्च न्यायालय में आज जस्टिस बी. विजयसेन रेड्डी ने इस संबंध में अंतरिम आदेश जारी किए।

विधायकों की खरीदी के मामले की जाँच सीबीआई या उच्च न्यायालय द्वारा गठित विशेष जाँच दल (सिट) से कराने के लिए आदेश जारी करने की माँग करते हुए भाजपा के प्रदेश महासचिव गुज्जला प्रेमेन्दर रेड्डी द्वारा दायर रिट याचिका पर आज उच्च न्यायालय में सुनवाई की गई। विधायकों की खरीदी के मामले की जाँच सीबीआई को सौंपने की माँग की गयी। याचिका की सुनवाई करते हुए आरोपियों रामचन्द्र भारती, कोरे नंदकुमार (नंदू) तथा सिम्हयाजी के खिलाफ दायर मामले में राज्य सरकार पुलिस तथा अन्य प्रतिवादियों को प्रतियाचिकाएँ दायर करने के आदेश अदालत ने दिए। इसके लिए दो सप्ताह का समय देने की माँग की गई। तब भाजपा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता प्रभाकर ने आपत्ति जताई। तब अदालत ने मामले की सुनवाई 18 नवंबर तक स्थगित कर दी। अदालत ने साथ ही कहा कि टेलीकॉम अधिनियम के विरुद्ध फोन टैपिंग करने की शिकायत करते हुए दायर याचिका की सुनवाई भी इस याचिका के साथ जोड़कर की जाएगी।

पुलिस द्वारा की जा रही जाँच को लंबित रखने के अदालत द्वारा इससे पूर्व जारी आदेशों को राज्य सरकार के अनुरोध पर अदालत ने रद्द कर दिया। जाँच को रोक देने की माँग याचिकाकर्ताओं ने नहीं की। इस प्रकार के आदेश जारी करने की आवश्यकता है ही नहीं। यह बात राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता जे. रामचन्द्र राव ने कही। जाँच स्थगित रखने संबंधी आदेशों के कारण तीनों आरोपियों को पुलिस द्वारा अपनी हिरासत में लेकर पूछताछ करने का मौका नहीं मिल रहा है।   

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