कर्म रोग को दूर करने की औषधि है संयम- धर्मज्योतिजी

 Restraint is the medicine to remove karma disease - Dharmajyotiji
हैदराबाद, संसार असार और स्वार्थमय है। मनुष्य की उम्र का कोई भरोसा नहीं। कर्म रोग को जड़ मूल से नष्ट करने के लिए संयम जीवन अचूक औषधि है। संसार एक सपना समान माया जाल है।
उक्त उद्गार अवंति नगर स्थित शील चन्दन स्वाध्याय भवन में आयोजित प्रवचन सभा में साध्वी धर्मज्योतिजी म.सा. ने व्यक्त किये। साध्वीजी ने कहा कि हर इंसान को माँ-बाप के उपकारों को नहीं भूलना चाहिए। मां-बाप की अगर आप वृद्धावस्था में सेवा करोगे, तो आपकी संतान यह देखकर आपके बुढ़ापे में आपकी सेवा करेगी। जैसा बोओगे वैसा ही पाओगे। साध्वीजी ने कहा कि भगवान ने ठाणांग सूत्र के तीसरे अध्याय में कहा है कि माता पिता और गुरु का उपकार हमें कभी नहीं भूलना चाहिए। म.सा. ने कहा कि घर संसार परिवार में कभी माता-पिता की अवहेलना हो जाए, तो उनसे क्षमा मांग लो। माता-पिता इतने स्नेही व कोमल हृदयी होते हैं कि शीघ्र ही संतान को माफ कर देते हैं। हमारी भारतीय और जैन संस्कृति में सदैव गलती व अपराध को क्षमा करने की परंपरा रही है। कुदरत से हमें बहुत सीख मिलती है। पत्थर की मार खाकर भी वृक्ष फल देते हैं। गन्ने की डंडी में गांठे होने पर भी वह मीठा रस देता है। आंवला स्वाद में कड़वा होकर भी शरीर के लिए लाभकारी होता है। जीवन में सुसंस्कार अपनाना धर्म आराधना का एक हिस्सा है।

प्रचार संयोजक जसराज देवड़ा धोका ने बताया कि आज सूरत से ढोल निवासी शारदा एवं उनकी बहनें, मुंबई प्रभादेवी से मांगीलाल विनायकिया खंडप वाले, बेल्लारी से छगनलाल श्रीश्रीमाल एवं शांतिलाल भंसाली एवं श्राविकाएँ साध्वीवृंद के दर्शन-वंदन हेतु उपस्थित हुए। समिति व चातुर्मास लाभार्थी देवड़ा धोका परिवार ने उनका अभिनंदन किया। अनीता बंबोली ने स्तवन सुनाया। प्रभावना का लाभ मांगीलाल शेरमल विनायकिया परिवार ने लिया। आज का आयंबिल तप अनीता बंबोली व संकलेचा बहन का रहा। आज नवकार अखंड जाप में भाग लेने वालों को सामूहिक लाभार्थी परिवारों द्वारा प्रभावना दी गई।
Comments System WIDGET PACK