हैदराबाद-हार्टफुलनेस के मार्गदर्शक कमलेश पटेल `दाजी' ने आज आईसीएसआर-नेशनल अकादमी ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च मैनेजमेंट में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि भारत मुख्य रूप से एक कृषि प्रधान देश है। हरित क्रांति के साथ इस क्षेत्र में हम अधिक आत्मनिर्भर हैं। अब समय आ गया है कि एक समग्र करियर के रूप हम अपने समाज को कृषि में क्रांति लाने के लिए शिक्षित करें। वैदिक काल से ही हमारे ऋषियों ने कृषि पर बहुत बल दिया। हमें भी कृषि से ऋषि बनना होगा। भारत को कृषि में स्थायी क्रांति का अग्रदूत बनने की दिशा में प्रयास करने होंगे।
आईसीएसआर -नेशनल अकादमी ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च मैनेजमेंट द्वारा भारत की स्वतंत्रता के 75वें वर्ष आजादी का अमृत महोत्सव की गतिविधियों के तहत `75 व्याख्यान श्रृंखला' का आयोजन किया जा रहा है। इस संदर्भ में आज 67वाँ व्याख्यान आयोजित किया गया। यहाँ आयोजित `कृषि से ऋषि' विषयक व्याख्यान में कमलेश पटेल `दाजी' ने भारत में कृषि क्षेत्र के अधिकाधिक विकास की दिशा में ध्यान देने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि अन्य उत्पादों की तुलना में भारत कृषि उत्पादों का सबसे बड़ा निर्यातक है। जनसंख्या विस्फोट के साथ बेहतर और अधिक उपज की आवश्यकता है। इसका अर्थ कि हमें अधिक हाथ, बेहतर तकनीक तथा कृषि पद्धतियों से युक्त कृषि सहित जैविक खेती की भी आवश्यकता है। यहाँ अधिक हाथ का तात्पर्य किसान से है। किसान वह है, जो समाज का भरण पोषण करता है। समाज में उन्हें अधिक सम्मान देने की आवश्यकता है। समुचित ज्ञान, सक्षम प्रौद्योगिकी और टिकाऊ कृषि पद्धतियों को अब हरित क्रांति से एक कदम आगे जाना चाहिए। उन्होंने कहा आज आधिकारिक लोग सफेदपोश नौकरियों की चमक से प्रभावित होकर शहरों की ओर रुख कर रहे हैं। हमें ऐसा मार्ग तलाशने की आवश्यकता है, जहाँ युवा अच्छी शिक्षा हासिल करने के साथ ससम्मान कृषि को अपना सकें। भोजन जीवन की मूलभूत आवश्यकता है। बाकी सब कुछ इसी पर निर्भर करता है। अब समय आ गया है कि हम अपने समाज को कृषि में क्रांति लाने के बारे में जागरूक कर इस क्षेत्र को समग्र करियर के रूप में अपनाने के लिए प्रोत्साहित करें। ऋषि पराशर ने कृषि पराशर के माध्यम से कृषि शिक्षा दीं। उनके पुत्र वशिष्ठ ऋषि ने टिकाऊ कृषि और जैविक खेती की वकालत की। हमें कृषि से ऋषि के मार्ग का अनुसरण करते हुए कृषि क्षेत्र को नए आयाम प्रदान करने होंगे।
आईसीएआर के उपमहानिदेशक (कृषि-शिक्षा) व व्याख्यान श्रृंखला समन्वयक डॉ. आर.सी. अग्रवाल ने कृषि विश्वविद्यालयों के साथ आईसीएआर के योगदान की जानकारी देते हुए कहा कि देश को खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाया गया है। उन्होंने कहा कि आईसीएआर अब मजबूत फसल किस्मों, जलवायु अनुकूल कृषि, उन्नत पशु नस्लों के विकास और पोषण से संबंधित कई क्षेत्रों को विकसित करते हुए देश को कुपोषण से मुक्त करने का प्रयास कर रहा है। नेशनल अकादमी ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च मैनेजमेंट के निदेशक डॉ. सीएच. श्रीनिवास राव ने कहा कि संस्थान ने कृषि अनुसंधान, कृषि नीति, अनुसंधान परियोजना प्रबंधन, शिक्षा प्रबंधन, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, मानव संसाधन विकास और सूचना प्रौद्योगिकी केंद्रित अनुसंधान का बीड़ा उठाया है। वर्षों से हमने अपने समर्पित वैज्ञानिकों के प्रतिबद्ध प्रयासों से कई प्रतिष्ठित परियोजनाओं को पूरा किया। साथ ही दीर्घकालिक समाधानों के माध्यम से भारत में कृषि परिदृश्य में परिवर्तन लाने में भी सहयोग किया। भारत को कृषि की दृष्टि से स्वतंत्र देश बनाने से लेकर अब हमारा लक्ष्य कृषि को विकास का प्रमुख मार्ग बनाना होना चाहिए। जो युवा प्रतिभाओं को रोजगार की ओर ले जाते हुए शोध और नवाचार के लिए प्रोत्साहित करे। कार्यक्रम में आईसीएआर के वरिष्ठ अधिकारियों, कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, वरिष्ठ संकाय सदस्यों, वैज्ञानिकों, शोधार्थियों, छात्रों व अन्य ने हिस्सा लिया।