मेट्रो स्टेशन से बाहर लापता हैं कुछ पते

 Some addresses are missing outside the metro station
हैदराबाद- हैदराबाद में मेट्रो रेल के संचालन को साढ़े चार वर्ष से अधिक समय गुज़र चुका है, लेकिन कुछ बाते हैं कि सुधरने का नाम नहीं ले रही हैं। इनमें रेल के भीतर और बाहर यात्रियों के लिए लगाए गये मार्ग सूचकों की भाषा है। कुछ स्थानों का हाल तो यह है कि यदि बोर्ड पर लिखे गये नाम के अनुसार पते की तलाश की जाए, तो ढूँढ़ते रह जाओगे... की बात चरितार्थ होगी।

मलकपेट मेट्रो स्टेशन का उदाहरण लें। यहाँ ट्रेन से उतरने के बाद यदि मार्ग सूचक पढ़कर आप पता तलाश करेंगे, तो आप परेशान हो जाएँगे। एक मार्ग सूचक पर हिन्दी में चडेरघाट रोड और तेलुगु में चंडेरघाट रोड लिखा हुआ है। हालाँकि मलकपेट स्टेशन के अास पास ऐसा कोई पता नहीं है। स्टेशन पर एक अधिकारी से पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि यह चादरघाट रोड का पता है, जो ग़लती से चडेरघाट लिखा हुआ है। इसी स्टेशन पर हिन्दी, अंग्रेज़ी और उर्दू में शाहिफा मस्जिद लिखा हुआ है, जबकि आस-पास के इलाके में ऐसी कोई मस्जिद नहीं है। इस बारे में मेट्रो स्टेशन कर्मी से पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि यह आज़मपुरा की मस्जिद सहीफा का नाम है, जो गलत प्रिंट हुआ है।  

उल्लेखनीय है कि कई स्टेशनों पर हिन्दी ही नहीं, तेलुगु और उर्दू में भी वर्तनी की बड़ी-बड़ी त्रुटियाँ हैं, जो हैदराबाद मेट्रो रेल की छवि को खराब करती हैं। `मिलाप' ने इससे पहले भी इस ओर ध्यान दिलाते हुए समाचार पाठकों तक पहुँचाए थे। क्या बात है कि साढ़े चार वर्ष से अधिक समय में यह त्रुटियाँ ठीक नहीं की गयीं। 20 हज़ार करोड़ रूपये से अधिक राशि इस परियोजना पर खर्च की जा चुकी है और निरंतर संचालन व्यय भी जारी है, ऐसा में इतने बड़े नेटवर्क में मार्ग सूचकों की भाषा पर ध्यान न देना प्रबंधन के उपेक्षित रवैये को दर्शाता है।  



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