जैन धर्म को आगे बढ़ाने के लिए एकता जरूरी : महिमाश्राजी

 Unity is necessary to advance Jainism: Mahimashreeji
हैदराबाद, श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रमणोपासक संघ के तत्वावधान में श्रमण संघीय उपाध्याय प्रवर पुष्करमुनिजी म.सा. की आज्ञानर्व्तिनी साध्वी चारित्रप्रभाजी म.सा. की सुशिष्या प्रवचन प्रभाविका आभाश्रीजी म.सा., ओजस्वी वत्ता डॉ.महिमाश्रीजी म.सा. और साध्वी श्रेयांशीजी म.सा. के सानिध्य में श्री गुरू गणेश पुष्कर दरबार, रामकोट (एस. डी. हॉल) में चातुर्मास अंतिम चरण में है। गुरूवार को मंगलाचरण के बाद श्रेयांशीश्रीजी म. सा. ने उतराध्ययन सूत्र के 29वें अध्ययन का वाचन पूर्ण किया।

आज यहाँ रतनचंद कटारिया और प्रकाश गादिया द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, संघ के अध्यक्ष किशोर कुमार मुथा ने सभी धर्मप्रेमी जनों  से निवेदन किया कि संघ द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में भाग लेकर धर्म आराधना करने का लक्ष्य रखें। अवसर पर महिमाश्रीजी ने उतराध्ययन सूत्र का महत्व बताते हुए कहा कि उतराध्ययन सूत्र को जैन धर्म की गीता कहा गया है। यह प्रभु महावीर की अंतिम देशना है। उस देशना के समय अठारह देशों राजा पौषध और बेले की तपस्या में थे। करोड़ो देवी-देवता, असंख्य मनुष्य, तिर्यंच और परिषदाें के सानिध्य में लगातार 16 प्रहर तक यह देशना चली। देशना का सार 36 अध्ययन में समाहित किया गया है। सभी अध्ययन एक से बढ़कर एक हैं। इन अध्ययनों का श्रवण करने मात्र से कर्मो की निर्जरा होती है।आज आपने कहा की आसोज का महिना अति पावन कहा गया है।इस माह मे सांसारिक और आत्मिक शुद्धि के कार्य किए जाते है।

साध्वीजी ने उतराध्ययन सूत्र के 23वें अध्ययन का जिक्र करते हुए केशी श्रमण और गौतम स्वामी के मिलन का वर्णन किया। भगवान पार्श्वनाथ के समय के जैन धर्म क्रिया अलग थी। उस शासन में पांच रंग के वस्त्र पहने जाते थे। प्रभु महावीर के शासन में सफेद वस्त्र का चलन आरंभ हुआ। दोनों शासन के गणधरों का श्रावस्ती नगर में मिलन हुआ। केशी श्रमण के शिष्य गणेश ने भी गौतम स्वामी के समान वस्त्र धारण करने की भावना को मान लिया। दोनाें शासन के शिष्यगण और गणधराें ने नयी चलन शुरू की। आपस में वार्तालाप करके जैन धर्म को मजबूत किया। साध्वीजी ने कहा कि जैन शास्त्र के अनुसार प्रथम और अंतिम तीर्थंकर के समय पांच महाव्रत की मान्यता थी। दूसरे से लेकर 22वें तीर्थंकर के समय चार व्रतों की मान्यता थी। उस समय भारत में 4 करोड़ जैन थे। अब एक करोड़ भी नहीं है। म.सा. ने इसका कारण विभिन्न गच्छों और संप्रदायों का होना बताया। उन्होंने कहा कि अगर जैन धर्म को आगे बढ़ाना है, तो संप्रदायवाद को भूलकर एकता रखनी होगी।

संघ के महामंत्री जे. पारसमल कटारिया ने संघ की सूचना दी। अल्पाहार का  लाभ भोजनशाला के बनवारीलाल गुजर महाराज ने लिया।  श्री गुरू गणेश पुष्कर दरबार मे पंच दिवसीय दीपावली महापर्व मनाया जाएगा। 22 अक्तूबर को धनतेरस के दिन श्रमण संघीय तृतीय पट्टधर आचार्य देवेन्द्रमुनिजी म. सा.का जन्मोत्सव लोग्गस जाप, चंदनबाला तेला और गुणानुवाद सभा के मयाया जायेगा। 23 अक्तूबर को रूप चौदस के दिन नमोथुणं जाप होगा। 24 अक्तूबर को दीपावली के दिन णमो जिणाणं का जाप होगा एवं समोशरण की रचना की जाएगी। 25 अक्तूबर को सूर्यग्रहण के दिन विशेष जाप अनुष्ठान होगा।  26 अक्तूबर को गौतम प्रतिपदा के  दिन नववर्ष मांगलिक एवं गौतम लब्धि खीर का आयोजन होगा। लब्धि खीर का लाभ जवाहरमल गिरिराज ऋषि प्रणव सिंघी परिवार ने लिया है।
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