उत्तरी दिल्ली के बुराड़ी क्षेत्र में हुई घटना के बाद सड़क पर जमा भीड़।
10 की अाँखें और मुँह कपड़ों से बंधे थे | वृद्धा का शव ज़मीन पर और बाकी सब फंदे से झूल रहे थे
अाध्यात्मिक पहलू की जाँच कर रही है पुलिस | उत्तरी दिल्ली के बुराड़ी में हुई घटना
अाध्यात्मिक पहलू की जाँच कर रही है पुलिस | उत्तरी दिल्ली के बुराड़ी में हुई घटना
नई दिल्ली, 1 जुलाई-(भाषा)
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के बुराड़ी इलाके में अाज सुबह रहस्यमय परिस्थितियों में सात महिलाअों सहित एक ही परिवार के 11 सदस्य मृत पाए गये। पुलिस ने बताया कि दस लोग फंदे से लटके मिले। उनकी अाँखों पर पट्टी बंधी हुई थी, जबाकि 75 वर्षीय एक महिला का शव फर्श पर पड़ा हुअा था। दो मृतक नाबालिग हैं। एक ही परिवार के 11 सदस्यों के रहस्यमयी परिस्थितियों में मृत पाए जाने के मामले में बरामद किए गए हाथ से लिखे नोटों में कहा गया है कि मानव शरीर अस्थायी है और अपनी अाँखें और मुँह बंद करके डर से उबरा जा सकता है।
एक वारिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि यह नोट संकेत देते हैं कि इन मौतों में कोई धार्मिक या अाध्यात्मिक पहलू है। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि यह पता लगाने के लिए जाँच की जाएगी कि क्या परिवार किसी तंत्र-मंत्र में शामिल था या वे किसी तांत्रिक के अनुयायी थे।
पुलिस ने बताया कि 10 सदस्यों की अाँखें और मुंह कपड़ों से बंधे हुए थे और उनके शव झूल रहे थे, जबाकि 77 साल की एक महिला फर्श पर मृत पाई गईं और उसकी अाँखों और मुंह पर पट्टी नहीं बंधी थी। बच्चों के हाथ-पाँव बंधे हुए थे। मकान की तलाशी के दौरान पुलिस को हाथ से लिखे कुछ नोट मिले, जिसके बारे में उनका कहना है कि परिवार किसी धार्मिक कर्मकांड का पालन करता होगा। संयुक्त पुलिस अायुक्त (अपराध) अालोक कुमार ने बताया, हमें हाथ से लिखे नोट मिले हैं, जिनमें विस्तार से बताया गया है कि हाथ और पाँव किस तरह बांधे जाएँ और लगभग उसी तरह से 10 लोगों के शव बरामद किए गए। काफी लंबे नोट हैं और हम उनका अध्ययन कर रहे हैं।
पुलिस ने इस मामले में हत्या का केस दर्ज किया है, लेकिन पुलिस को यह भी संदेह है कि यह अापसी सहमति से खुदकुशी करने का मामला भी हो सकता है।
इस बीच, मृतकों के पड़ोसियों ने बताया कि वे काफी मददगार स्वभाव वाले थे। अमरीक सिंह नाम के एक पड़ोसी ने बताया कि परिवार द्वारा चलाई जाने वाली किराने की दुकान हर रोज सुबह छह बजे खुल जाती थी और तभी बंद होती थी, जब गली में रहने वाले सारे लोग सोने चले जाते थे। अाज जब सुबह सात बजे तक दुकान नहीं खुली, तो सभी को हैरत हुई।
अमरीक के पिता गुरचरण सिंह ने कहा, दूध वाला दुकान के बाहर अाया था। कुछ पड़ोसी वहाँ इकट्ठा हुए थे, क्योंकि वैन का ड्राइवर बार-बार हॉर्न बजा रहा था। मैंने मेन गेट खोला और सीढि़यों पर चढ़कर ऊपर गया, तो मैंने जो कुछ देखा उससे स्तब्ध रह गया। देवेश नाम के एक अन्य पड़ोसी ने बताया, किसी छोटे-मोटे सामान का अनुरोध करने पर वे कभी-कभी सुबह 5:30 में भी दुकान खोल देते थे। पास में रहने वाला चाय वाला उनका पहला ग्राहक होता था, क्योंकि वह दूध खरीदने अाता था। स्थानीय लोगों ने भाटिया परिवार को गली में रहने वाला सबसे बड़ा परिवार बताया। एक पड़ोसी ने कहा, वे यहाँ 22 साल से ज्यादा समय से रह रहे थे। हमने उन्हें कभी झगड़ते या किसी पड़ोसी को नुकसान पहुँचाते नहीं देखा।