बीदर, 16 मई-
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भाजपा के सबसे बड़े दल के रूप में उभर कर सामने अाने के बाद भी बीदर में प्रधानमंत्री का जादू नही चल पाया। जिले के औराद अारक्षित विधानसभा क्षेत्र से प्रभु चव्हाण के जीत जाने से भाजपा को कवल एक सीट से संतुष्ट होना पड़ा।
हालांकि प्रधानमंत्री की अंतिम जनसभा बीदर में हुई और इस दौरान लोगों की भारी भीड़ भी जुटी। इससे ऐसा लगा कि जिले की 6 सीटों पर भाजपा की जीत तय है। पार्टी के जिला अध्यक्ष डॉ. शैलेन्द्र बेल्दाले बीदर दक्षिण से चुनाव हार गये। कहा जा रहा है कि पार्टी में अांतरिक कलह के कारण ही डॉ. शैलेन्द्र बेल्दाले को हार का सामना करना पड़ा। बसवकल्याण में भी लगभग यही स्थिति रही। कांग्रेस छोड़ भाजपा में अाये मल्लिकार्जुन खुबा को बसवकल्याण से भाजपा प्रत्याशी बनाये जाने से पार्टी में असंतोष व्याप्त था।
भाजपा के पूर्व विधायक बसवराज पाटिल तथा एम.जी. मुले इसका विरोध करते हुए अपने समर्थकों के साथ जनता दल में शामिल हो गये। इतना ही नहीं मल्लिकार्जुन खुबा को बसवकल्याण से प्रत्याशी बनाये जाने से भाजपा के कार्यकर्ता काफी नाराज भी थे और उन्होंने उनकी ओर से चुनाव प्रचार करने से भी इनकार कर दिया था। इससे उन्हें इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ा। भालकी में डी.के. सिद्राम को भाजपा द्वारा टिकट दिये जाने से पार्टी के वरिष्ठ नेता व पूर्व विधायक प्रकाश खंड्रे जनता दल में शामिल हो गये।
हालाँकि डी.के. सिद्राम के अलावा प्रकाश खंड्रे को भी हार का सामना करना पड़ा। यहाँ से कांग्रेस प्रत्याशी ईश्वर खंड्रे चुनाव जीत गये। अल्पसंख्यक बाहुल्य क्षेत्र बीदर में भाजपा को फिर से हार का सामना करना पड़ा है। हालाँकि हुमनाबाद में भाजपा के टिकट को लेकर अांतरिक कलह को सुलझाने में काफी समय लगा और समय पर चुनाव प्रचार भी न होने से वर्तमान विधायक कांग्रेस के नेता राजशेखर चुनाव जीत गये। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो बीदर के 6 विधान सभा क्षेत्रों में चार विधानसभा क्षेत्रों पर कांग्रेस का ही कब्जा रहा और इसका दंश भाजपा को झेलना पड़ा। वर्ष 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा यदि इसे सबक के रूप में नहीं लेती है, तो ऐसी ही स्थिति का सामना करना पड़ सकता है।
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भाजपा के सबसे बड़े दल के रूप में उभर कर सामने अाने के बाद भी बीदर में प्रधानमंत्री का जादू नही चल पाया। जिले के औराद अारक्षित विधानसभा क्षेत्र से प्रभु चव्हाण के जीत जाने से भाजपा को कवल एक सीट से संतुष्ट होना पड़ा।
हालांकि प्रधानमंत्री की अंतिम जनसभा बीदर में हुई और इस दौरान लोगों की भारी भीड़ भी जुटी। इससे ऐसा लगा कि जिले की 6 सीटों पर भाजपा की जीत तय है। पार्टी के जिला अध्यक्ष डॉ. शैलेन्द्र बेल्दाले बीदर दक्षिण से चुनाव हार गये। कहा जा रहा है कि पार्टी में अांतरिक कलह के कारण ही डॉ. शैलेन्द्र बेल्दाले को हार का सामना करना पड़ा। बसवकल्याण में भी लगभग यही स्थिति रही। कांग्रेस छोड़ भाजपा में अाये मल्लिकार्जुन खुबा को बसवकल्याण से भाजपा प्रत्याशी बनाये जाने से पार्टी में असंतोष व्याप्त था।
भाजपा के पूर्व विधायक बसवराज पाटिल तथा एम.जी. मुले इसका विरोध करते हुए अपने समर्थकों के साथ जनता दल में शामिल हो गये। इतना ही नहीं मल्लिकार्जुन खुबा को बसवकल्याण से प्रत्याशी बनाये जाने से भाजपा के कार्यकर्ता काफी नाराज भी थे और उन्होंने उनकी ओर से चुनाव प्रचार करने से भी इनकार कर दिया था। इससे उन्हें इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ा। भालकी में डी.के. सिद्राम को भाजपा द्वारा टिकट दिये जाने से पार्टी के वरिष्ठ नेता व पूर्व विधायक प्रकाश खंड्रे जनता दल में शामिल हो गये।
हालाँकि डी.के. सिद्राम के अलावा प्रकाश खंड्रे को भी हार का सामना करना पड़ा। यहाँ से कांग्रेस प्रत्याशी ईश्वर खंड्रे चुनाव जीत गये। अल्पसंख्यक बाहुल्य क्षेत्र बीदर में भाजपा को फिर से हार का सामना करना पड़ा है। हालाँकि हुमनाबाद में भाजपा के टिकट को लेकर अांतरिक कलह को सुलझाने में काफी समय लगा और समय पर चुनाव प्रचार भी न होने से वर्तमान विधायक कांग्रेस के नेता राजशेखर चुनाव जीत गये। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो बीदर के 6 विधान सभा क्षेत्रों में चार विधानसभा क्षेत्रों पर कांग्रेस का ही कब्जा रहा और इसका दंश भाजपा को झेलना पड़ा। वर्ष 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा यदि इसे सबक के रूप में नहीं लेती है, तो ऐसी ही स्थिति का सामना करना पड़ सकता है।