रिश्ते धन नहीं, मन देखकर बनाएँ : अनिरूद्धजी

हैदराबाद, 18 अगस्त-(चन्द्रभान अार.)
`धन देखकर नहीं, मन देखकर रिश्ते तय करें, क्योंकि मन का संबंध अटूट होता है। धन पर अाधारित संबंध जिन्दगी में दरार पैदा करता है।'

उक्त उद्ग़ार बेगम बाजार स्थित माहेश्वरी भवन में मारवाड़ी महिला मित्र मंडल, बेगम बाजार द्वारा अायोजित तीन दिवसीय नानी बाई रो मायरो के द्वितीय दिवस कथावाचक अनिरूद्धजी खांडल ने उक्त उद्ग़ार व्यक्त किए।

महाराज ने अागे कहा कि नरसी मेहता को प्रभु पर बहुत भरोसा था। नानी बाई का मायरा भरने के दौरान वे अपनी टूटी बैलगाड़ी लेकर चले, तो वह रास्ते में खराब हो गयी। नरसी मेहता ने प्रभु को याद किया और प्रभु युवा मिस्त्री बनकर पहुँचे। प्रभु ने बैलगाड़ी को एकदम नया-सा बना दिया। प्रभु उनके साथ नानी बाई के ग्राम की ओर बढ़े। महाराज ने कहा कि नानीबाई बहुत ही संस्कारी थीं। सास और ननद उन्हें ताने मारती थीं, लेकिन नानी बाई ने कभी उल्टा जवाब नहीं दिया। उनकी सास कहती थी कि नानी बाई का पिता माँग कर खाता है, वह भला मायरा कैसे भरेगा। यह नानीबाई को अच्छा नहीं लगता था, लेकिन कभी उन्होंने पलट कर जवाब नहीं दिया। अनिरूद्धजी खांडल ने अागे कहा कि जीवन में यदि परिवार के मूल्यों को बनाए रखना है, तो रिश्ता धन देखकर नहीं, बल्कि मन देखकर बनाएँ। जहाँ मन मिल जाता है, संसार रूपी नय्या कभी गोते नहीं खाती। परिवार में सदैव खुशहाली रहती है। नरसी मेहता को प्रभु पर प्रगाढ़ विश्वास था। इसीलिए प्रभु ने पग-पग पर उनकी मदद की।
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