कोलकाता, 3 जुलाई-(भाषा)
सदी का सबसे लंबा चंद्र ग्रहण 27 जुलाई को देश के सभी हिस्सों से दिखाई देगा। इस दौरान चंद्रमा थोड़ा सा लाल रंग का होगा और इस खगोलीय घटना को ब्लड मून कहा जाता है। एमपी बिरला इंस्टीट्यूट अॉफ फंडामेंटल रिसर्च, एमपी बिरला प्लेनेटेरियम के निदेशक देवीप्रसाद दुअारी ने पीटीअाई/भाषा से कहा कि भारत में दर्शक खुशकिस्मत हैं, क्योंकि अांशिक और पूर्ण दोनों ग्रहण देश के सभी हिस्सों से पूरी तरह से दृश्य होगा।
उन्होंने बताया कि दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका, पश्चिम एशिया और मध्य एशिया के कुछ हिस्सों में भी ग्रहण दिखाई देगा। उन्होंने बताया कि पूर्ण चंद्र ग्रहण एक घंटे 43 मिनट का होगा, जबकि अांशिक ग्रहण एक घंटे से अधिक समय का होगा। दुअारी ने बताया कि अांशिक चंद्र ग्रहण 27 जुलाई को भारतीय समयानुसार रात 11 बजकर 54 मिनट पर शुरू होगा और पूर्ण चंद्र ग्रहण 28 जुलाई को तड़के एक बजे शुरू होगा।
वैज्ञानिक ने बताया कि चंद्रमा 28 जुलाई को तड़के। बज कर 52 मिनट से 2 बज कर 43 मिनट तक सबसे ज्यादा अंधकार में रहेगा। उन्होंने कहा कि इस अवाधि के बाद 28 जुलाई को तड़के 3 बज कर 49 मिनट तक अांशिक चंद्र ग्रहण रहेगा। भारत में खगोलीय घटनाअों में रूचि रखने वाले लोगों के लिए यह स्वर्णिम अवसर होगा, क्योंकि ग्रहण लगभग पूरी रात दिखाई देगा।
27 जुलाई को पूर्ण चंद्र ग्रहण के दौरान चंद्रमा पृथ्वी की छाया के मध्य हिस्से से होकर गुजरेगा। पूर्ण चंद्र ग्रहण के दौरान चंद्रमा जब पृथ्वी की छाया से होकर गुजरता है, तो वह नाटकीय रूप से चमकीले नारंगी रंग से लाल रंग का हो जाता है और एक दुर्लभ घटना के तहत गहरे भूरे रंग से और अधिक गहरा हो जाता है। यही कारण है कि पूर्ण चंद्र ग्रहण लगता है और उस समय इसे ब्लड मून कहा जाता है।
यह पूछे जाने पर कि क्या चंद्र ग्रहण को बिना किसी उपकरण के अाँखों से देखना सुरक्षित होगा, इस पर दुअारी ने कहा कि सौर ग्रहण देखने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों की तरह चंद्र ग्रहण देखने के लिए कोई विशेष उपकरण की अावश्यकता नहीं है। किसी को भी ग्रहण देखने के लिए टेलीस्कोप की जरूरत नहीं है, हालाँकि अच्छी गुणवत्ता वाली दूरबीन से बेहतर अनुभव मिलेगा।
सदी का सबसे लंबा चंद्र ग्रहण 27 जुलाई को देश के सभी हिस्सों से दिखाई देगा। इस दौरान चंद्रमा थोड़ा सा लाल रंग का होगा और इस खगोलीय घटना को ब्लड मून कहा जाता है। एमपी बिरला इंस्टीट्यूट अॉफ फंडामेंटल रिसर्च, एमपी बिरला प्लेनेटेरियम के निदेशक देवीप्रसाद दुअारी ने पीटीअाई/भाषा से कहा कि भारत में दर्शक खुशकिस्मत हैं, क्योंकि अांशिक और पूर्ण दोनों ग्रहण देश के सभी हिस्सों से पूरी तरह से दृश्य होगा।
उन्होंने बताया कि दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका, पश्चिम एशिया और मध्य एशिया के कुछ हिस्सों में भी ग्रहण दिखाई देगा। उन्होंने बताया कि पूर्ण चंद्र ग्रहण एक घंटे 43 मिनट का होगा, जबकि अांशिक ग्रहण एक घंटे से अधिक समय का होगा। दुअारी ने बताया कि अांशिक चंद्र ग्रहण 27 जुलाई को भारतीय समयानुसार रात 11 बजकर 54 मिनट पर शुरू होगा और पूर्ण चंद्र ग्रहण 28 जुलाई को तड़के एक बजे शुरू होगा।
वैज्ञानिक ने बताया कि चंद्रमा 28 जुलाई को तड़के। बज कर 52 मिनट से 2 बज कर 43 मिनट तक सबसे ज्यादा अंधकार में रहेगा। उन्होंने कहा कि इस अवाधि के बाद 28 जुलाई को तड़के 3 बज कर 49 मिनट तक अांशिक चंद्र ग्रहण रहेगा। भारत में खगोलीय घटनाअों में रूचि रखने वाले लोगों के लिए यह स्वर्णिम अवसर होगा, क्योंकि ग्रहण लगभग पूरी रात दिखाई देगा।
27 जुलाई को पूर्ण चंद्र ग्रहण के दौरान चंद्रमा पृथ्वी की छाया के मध्य हिस्से से होकर गुजरेगा। पूर्ण चंद्र ग्रहण के दौरान चंद्रमा जब पृथ्वी की छाया से होकर गुजरता है, तो वह नाटकीय रूप से चमकीले नारंगी रंग से लाल रंग का हो जाता है और एक दुर्लभ घटना के तहत गहरे भूरे रंग से और अधिक गहरा हो जाता है। यही कारण है कि पूर्ण चंद्र ग्रहण लगता है और उस समय इसे ब्लड मून कहा जाता है।
यह पूछे जाने पर कि क्या चंद्र ग्रहण को बिना किसी उपकरण के अाँखों से देखना सुरक्षित होगा, इस पर दुअारी ने कहा कि सौर ग्रहण देखने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों की तरह चंद्र ग्रहण देखने के लिए कोई विशेष उपकरण की अावश्यकता नहीं है। किसी को भी ग्रहण देखने के लिए टेलीस्कोप की जरूरत नहीं है, हालाँकि अच्छी गुणवत्ता वाली दूरबीन से बेहतर अनुभव मिलेगा।