जूनियर कॉलेजों में मनोवैज्ञानिकों की नियुक्ति की माँग

हैदराबाद. छात्रों में आत्महत्या की प्रवृत्ति को रोकने के लिये तेलंगाना तथा आंध्र-प्रदेश के जूनियर कॉलेजों में मनोवैज्ञानिकों की नियुक्ति की माँग की गई है। अधिवक्ता अार. भास्कर ने आंध्र-प्रदेश मानवाधिकार आयोग में याचिका दायर करते हुए अपील की कि दोनों राज्य सरकारों को जीओ 19 के आधार पर जूनियर तथा डिग्री कालेजों में मनोवैज्ञानिकों को नियुक्ति करने के लिये निर्देश दिया जाए।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, आर. भास्कर ने याचिका में कहा है कि तेलंगाना तथा आंध्र-प्रदेश में 958 सरकारी जूनियर कॉलेज और 3,700 प्राइवेट कॉलेज हैं। इन कॉलेजों के लगभग 21,50,000 छात्र विविध प्रकार की प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे आईआईटी, नीट, एमसेट, जी, मेडिसिन आदि के लिये कोचिंग प्राप्त करते हैं। प्राइवेट जूनियर कॉलेज प्रबंधन द्वारा इन छात्रों पर पढ़ाई का अत्यधिक मानसिक दबाव डालकर उत्पीड़न किया जाता है। इससे हताश होकर कुछ छात्र आत्महत्या की ओर अग्रसर हो जाते हैं। इसके अलावा कुछ कॉलेज छात्रों की योग्यता के अनुसार अलग-अलग वर्गों में विभाजित कर कोचिंग प्रदान कर रहे हैं। इस प्रकार की स्थितियों का छात्रों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
याचिका में कहा गया है कि वर्ष 2000 से लेकर अब तक प्रतिवर्ष 200 छात्र आत्महत्या का शिकार हो रहे हैं। आंकड़ों के अनुसार, दोनों राज्यों में लगभग चार हजार छात्र आत्महत्या कर चुके हैं। इसके अलावा 11,000 से अधिक छात्रों ने हॉस्टल में आत्महत्या करने का प्रयास किया। कॉलेजों तथा हॉस्टलों में छात्रों द्वारा आत्महत्या रोकने के लिये 8 मार्च, 2010 को सरकार द्वारा जीओ 19 पारित किया गया। इसमें छात्रों की काउंसिलिंग हेतु प्रत्येक जूनियर कालेज में एक मनोवैज्ञानिक की नियुक्ति अनिवार्य थी। दुःख का विषय है कि यह जीओ कागजों तक ही सिमटकर रह गया है। दोनों ही राज्यों द्वारा अभी तक इसे अमल में नहीं लाया गया।
आंध्र-प्रदेश मानवाधिकार आयोग में याचिका दायर करते हुए अार. भास्कर ने अपील की कि छात्रों के हितों को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकारों को जीओ 19 को प्रभावी रूप से लागू करने का निर्देश दिया जाए।  (श्रद्धा विजयलक्ष्मी)
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