लखनऊ, 17 मई
पड़ोसी जिले सीतापुर में वुत्तों के काटने से बच्चों की मौत के बाद राजधानी के सबसे बड़े बलरामपुर सरकारी अस्पताल का प्रशासन अावारा वुत्तों को भगाने के लिये निजी एजेंसी की सेवाएँ लेने के लिए बाकायदा टेंडर निकालने की तैयारी कर रहा है। गौरतलब है कि इससे पहले बलरामपुर अस्पताल में बंदरों का भी अातंक था। यहाँ बंदरों को भगाने के लिए भी अस्पताल प्रशासन को काफी परेशानी उठानी पड़ी थी। प्रशासन को बंदर भगाने के लिए लंगूर मंगाना पड़ा था।
अस्पताल के एक शीर्ष अधिकारी ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि अस्पताल प्रशासन टेंडर जारी कर प्राइवेट एजेंसी को बुलाकर अस्पताल को वुत्ता मुवÌत करवाने का प्रयास कर रहा है। इसके लिये प्रदेश शासन से टेंडर निकालने की अनुमति माँगी गई है। अस्पताल में प्रतिदिन राजधानी लखनऊ और उसके अासपास के करीब इलाकों से तकरीबन 250 मरीज वुत्तों के काटने के बाद इंजेवÌशन लगवाने अस्पताल अाते हैं।
अस्पताल के निदेशक डॉ. राजीव लोचन ने अाज भाषा को बताया कि परिसर में दर्जनों अावारा वुत्ते घूमते रहते हैं, जिनसे यहाँ अाने वाले मरीजों और उनके तीमारदारों को खासी परेशानी होती है। रोजाना बहुत से लोग इन वुत्तों के बारे में शिकायत करते हैं। ऐसे में वुत्तों को भगाने के लिए टेंडर निकालने की योजना बनाई है। इसके लिए शासन को पत्र लिखकर अनुमति माँगी गयी है।
सीतापुर में पिछले छह महीने में वुत्तों के हमलों में 13 बच्चों की मौत हो चुकी है और हर रोज दर्जनों लोग इनके काटने से परेशान हैं। गत एक मई को वुत्तों के हमलों में एक साथ छह बच्चों की मौत ने पूरे प्रशासन को हिलाकर रख दिया। इन घटनाअों से सबक लेते हुए अस्पताल प्रशासन ने वुत्तों से निजात पाने के लिए कदम उठाने का फैसला किया।
लोचन बताते हैं कि बीते कई महीनों से मरीज और तीमारदार वहाँ घूम रहे वुत्तों से बेहाल हैं। अस्पताल शहर के बीचोबीच घनी अाबादी में होने के कारण यहाँ वुत्तों के अलावा अावारा गाय और भैंस भी घूमते रहते हैं। इसलिये किसी एजेंसी को वुत्तों के साथ-साथ अन्य अावारा जानवरों को भी अस्पताल से निकालने की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।
पड़ोसी जिले सीतापुर में वुत्तों के काटने से बच्चों की मौत के बाद राजधानी के सबसे बड़े बलरामपुर सरकारी अस्पताल का प्रशासन अावारा वुत्तों को भगाने के लिये निजी एजेंसी की सेवाएँ लेने के लिए बाकायदा टेंडर निकालने की तैयारी कर रहा है। गौरतलब है कि इससे पहले बलरामपुर अस्पताल में बंदरों का भी अातंक था। यहाँ बंदरों को भगाने के लिए भी अस्पताल प्रशासन को काफी परेशानी उठानी पड़ी थी। प्रशासन को बंदर भगाने के लिए लंगूर मंगाना पड़ा था।
अस्पताल के एक शीर्ष अधिकारी ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि अस्पताल प्रशासन टेंडर जारी कर प्राइवेट एजेंसी को बुलाकर अस्पताल को वुत्ता मुवÌत करवाने का प्रयास कर रहा है। इसके लिये प्रदेश शासन से टेंडर निकालने की अनुमति माँगी गई है। अस्पताल में प्रतिदिन राजधानी लखनऊ और उसके अासपास के करीब इलाकों से तकरीबन 250 मरीज वुत्तों के काटने के बाद इंजेवÌशन लगवाने अस्पताल अाते हैं।
अस्पताल के निदेशक डॉ. राजीव लोचन ने अाज भाषा को बताया कि परिसर में दर्जनों अावारा वुत्ते घूमते रहते हैं, जिनसे यहाँ अाने वाले मरीजों और उनके तीमारदारों को खासी परेशानी होती है। रोजाना बहुत से लोग इन वुत्तों के बारे में शिकायत करते हैं। ऐसे में वुत्तों को भगाने के लिए टेंडर निकालने की योजना बनाई है। इसके लिए शासन को पत्र लिखकर अनुमति माँगी गयी है।
सीतापुर में पिछले छह महीने में वुत्तों के हमलों में 13 बच्चों की मौत हो चुकी है और हर रोज दर्जनों लोग इनके काटने से परेशान हैं। गत एक मई को वुत्तों के हमलों में एक साथ छह बच्चों की मौत ने पूरे प्रशासन को हिलाकर रख दिया। इन घटनाअों से सबक लेते हुए अस्पताल प्रशासन ने वुत्तों से निजात पाने के लिए कदम उठाने का फैसला किया।
लोचन बताते हैं कि बीते कई महीनों से मरीज और तीमारदार वहाँ घूम रहे वुत्तों से बेहाल हैं। अस्पताल शहर के बीचोबीच घनी अाबादी में होने के कारण यहाँ वुत्तों के अलावा अावारा गाय और भैंस भी घूमते रहते हैं। इसलिये किसी एजेंसी को वुत्तों के साथ-साथ अन्य अावारा जानवरों को भी अस्पताल से निकालने की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।