हैदराबाद-फिक्की लेडीज ऑर्गनाइजेशन हैदराबाद चैप्टर द्वारा `डॉ. शशि थरूर-द मैन, द राइटर, द स्टेट्समैन' विषयक परिचर्चा सत्र का आयोजन सोमाजीगुड़ा स्थित होटल दि पार्क में किया गया। कार्यक्रम में डॉ. शशि थरूर ने वरिष्ठ पत्रकार श्रीराम कर्री से बातचीत करते हुए कहा कि जब वह राजनीति में आए, तो ठीक से तैयार नहीं थे। आलोचनाओं का सामना करते हुए वह बहुत चिंतित और निराश हो गए थे। उन्होंने उन पर मुकदमा चलाने के लिए वकीलों से भी सलाह ली, लेकिन पूर्व राजनयिक नटवर सिंह के परामर्श से बहुत फर्क पड़ा। अब आलोचनाओं को सहने के लिए उनकी चमड़ी मोटी हो गई है।
सत्र में डॉ. शशि थरूर ने विविध संदर्भों पर चर्चा की। राजनीति में बेहतरीन नीतियों और प्रयासों के बावजूद महिलाओं का प्रतिनिधित्व न बढ़ने के सवाल पर उन्होंने कहा कि इसके अनेक कारण हैं। इसमें ऐतिहासिक और सांस्कृतिक कारक प्रमुख हैं। इसका कारण प्रतिभा की कमी नहीं है। भारत वरिष्ठ प्रबंधन विशेषकर सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम महिलाओं के प्रतिनिधित्व में पिछड़े हुए हैं। जब उन्होंने इस मुद्दे को संसद में उठाया, तो इसे समर्थन नहीं मिला। उन्होंने कहा कि भारतीय महिलाएँ उद्यमिता में उल्लेखनीय रूप से अच्छा कर रही हैं। कुछ आँकड़ों के आधार पर इस दिशा में उन्हें पुरुषों से बेहतर बताया गया है। स्टार्टअप्स के क्षेत्र में भी महिलाओं ने अपनी काबिलियत साबित की है। महिलाएं हर पेशे में काबिल हैं।
एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि हमारे देश के कॉर्पोरेट टाइटन्स साहस की कमी के कारण सत्ता में लोगों की आलोचना करने से डरते हैं। उनकों छापों तथा कानूनों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने का कहीं न कहीं भय रहता है। प्रश्नों की श्रृंखला में मुकेश अंबानी द्वारा उत्तराधिकार योजना की घोषणा करने और बेटी के बजाय बेटे को बड़ी जिम्मेदारी देने पर शशि थरूर ने कहा कि उम्र बेहतर जिम्मेदारी देती है। यही एक मुख्य कारण हो सकता है। भेदभाव जैसा कोई कारण नहीं दिखता। उन्होंने कहा कि वर्ष 1956 तक हिन्दू महिलाओं को माता-पिता की संपत्ति पर अधिकार नहीं था। हर महिला को परिवार के भीतर एक लड़ाई लड़नी पड़ती है। हालांकि भारत ने महिलाओं के अधिकारों के हितों की दिशा में अग्रणी कार्य किया है। उन्होंने एफएलओ सदस्याओं की विभिन्न जिज्ञासाओं का समाधान किया।
फिक्की लेडीज ऑर्गनाइजेशन हैदराबाद चैप्टर की चेयरपर्सन शुभ्रा माहेश्वरी ने स्वागत वक्तव्य देते हुए कहा कि हर्ष का विषय है कि हमें डॉ. शशि थरूर के साथ चर्चा करने का अवसर प्राप्त हुआ। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में संस्था की सदस्याएँ उपस्थित थीं।