जानें कफ सिरप, व्यायाम एवं मधुमेह के बारे में

get to know about cough syrup, exercises and diabetes 30june
कोई लाभ नहीं होता कफ सिरप से
दुनियां में खांसी से राहत पाने के लिए करोड़ों रूपये के कफ सिरप पिए जाते हैं। इनमें से अधिकतर डॉक्टर की सलाह के बिना ही कैमिस्ट से खरीद लिए जाते हैं। बहुराष्ट्रीय कंपनियां भी कफ सिरप और खांसी की गोलियों में बहुत बड़ा व्यापार करती हैं।

ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार 15 प्रकार के कफ सिरप का ट्रायल करने के बाद पाया गया कि इनका कोई विशेष लाभ नहीं हुअा, इसलिए अगली बार खांसी हो, तो कैमिस्ट से कफ सिरप खरीदने से पहले ज़रा सोच लें। यदि खांसी अधिक तंग करे तो अपने डॉक्टर को दिखाकर ही कोई दव लें।

व्यायाम बनाता है चुस्त-दुरूस्त
टेक्सास यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताअों ने एक शोध में पाया है कि 50 वर्ष की अायु से अधिक के लोगों को नियमित व्यायाम द्वारा उतना चुस्त बनाया जा सकता है, जितना वे 20 वर्ष की अायु में थे। अायु बढ़ने के साथ-साथ हमारी शारीरिक सक्रियता कम हो जाती है और शरीर के विभिन्न अंगों में चर्बी बढ़ने लगती है। इस शोध में 50 वर्ष से अधिक अायु वले कुछ लोगों को सप्ताह में पांच बार एक-एक घंटे तक नियमित व्यायाम करने को कहा गया।

छः मास के पश्चात् इन लोगों की एरोबिक शक्ति की जांच की गई और पाया गया कि इनकी शक्ति बीस वर्ष के व्यक्ति जितनी हो चुकी थी। शोध में यहां तक भी पाया गया कि यदि 20 वर्ष के व्यक्ति को तीन सप्ताह तक बेड रेस्ट करवया जाए तो उसके शरीर को 30 वर्ष तक अायु वृद्धि से होने वली हानि के मुकाबले अधिक हानि होती है, अतः यदि अाप स्वस्थ बने रहना चाहते हैं तो सक्रिय जीवनशैली को न छोड़ें।

मधुमेह से बचने हेतु धीरे-धीरे खाएं
पूरी दुनियां में एक करोड़ से अधिक लोग मधुमेह से पीडि़त हैं। दुनिया के सभी देश एवं सभी प्रकार के लोग इसकी चपेट में हैं। जागरूकता की कमी से इसके रोगी लगातार बढ़ रहे हैं। यह किसी विपत्ति के अाने या खून की जांच कराने पर ही पता चलता है।

पेन्क्रियाज से इंसुलिन नामक तत्व नहीं बनने, कम बनने या उसकी निष्क्रियता से खान-पान से मिला ग्लूकोज पचने की बजाय रक्त एवं कोशिकाअों में जमा होने लगता है। जो खर्च न होने एवं अधिकता की स्थिति में मूत्र के माध्यम से बाहर निकलता है। इसके टाइप वन श्रेणी के रोगी के लिए इंसुलिन लेना जरूरी हो जाता है, जबकि टाइप टू श्रेणी के रोगी खान-पान एवं जीवनशैली में सुधार कर इसे नियंत्रित कर सकते हैं।

दुनिया भर में इसके इलाज के लिए अनेक तरीके एवं चीजें प्रचलित हैं किंतु इसका समूल निदान नहीं है। दुनिया के 90 से 95 प्रतिशत रोगी टाइप टू श्रेणी के हैं। ये जीवन शैली में सुधार कर, श्रम कर एवं खान-पान को नियोजित कर इसे नियंत्रित रख सकते हैं। इस विषय में जापान के शोधकर्ताअों के मुताबिक धीरे-धीरे खाने से इस मामले में बड़ी सफलता मिलती है। जल्दबाजी की बजाय धीरे-धीरे चबा कर खाने से मधुमेह का खतरा कम हो जाता है।

शोध के मुताबिक मधुमेह के रोगी  को देर रात भोजन करने से सदैव बचना चाहिए। हरी सब्जियां भी मधुमेह नियंत्रण में सहायक हैं। काजू- बादाम भी मधुमेहियों के लिए उपयुत्त हैं।

- सीतेश कुमार द्विवेदी
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