शरीर का मोह छोड़ें : साध्वी देवेन्द्र प्रभाजी

Give up attachment to the body: Sadhvi Devendra Prabhaji
हैदराबाद, अवंति नगर स्थित शील चंदन स्वाध्याय भवन में साध्वी चन्दन बालाजी म.सा. आदि ठाणा-4 के सानिध्य में आयोजित प्रवचन सभा में साध्वी  देवेन्द्रप्रभाजी म.सा. ने कहा कि त्याग तप के लिए शरीर के मोह को छोड़ना पड़ता है। 
 
साध्वीजी ने अपने संबोधन में आगे कहा कि हर श्रावक-श्राविका को नित्य प्रार्थना में अरिहंत भगवंतों से विनती करनी चाहिए कि मैत्री भाव जगत में मेरा सब जीवों से नित्य रहे, दीन दुखी जीवों के लिए मेरे हृदय में करुणा के झरने बहें और मैं सदैव सभी से सरल सत्य व्यवहार करूँ। सदैव प्राणी मात्र पर उपकार करने का भाव रखूं। साध्वीजी ने कहा कि हमारी दिनचर्या के प्रत्येक कार्य में विवेक होना चाहिए। घर रसोई में साफ-सफाई रखकर कई सूक्ष्म जीवों की विराधना से हम बच सकते हैं। घर में प्रतिदिन पक्षियों का दाना डालना, गायों को घास आदि खिलाने का नियम बनाना चाहिए।
 
साध्वी धर्मज्योतिजी म.सा. ने कहा कि छोटे नादान बच्चे के गले में कितना भी कीमती हार पहनाओ वह उसकी कीमत से अनभिज्ञ रहता है। इसी प्रकार उत्तम धर्म की जानकारी के अभाव में मनुष्य भव की कोई कीमत नहीं होती है। प्रत्येक जैन धर्मावलंबी को धर्म के मूल 9 तत्व स्वरूप जीव-अजीव, पुण्य-पाप, संवर-असंवर अादि की जानकारी प्राप्त करनी चाहिए। साध्वीजी ने कहा कि बुद्धि के तराजू से धर्म को पहचानों। राम भक्त हनुमानजी कहते थे जिस माला में राम नहीं वो माला मेरे किस काम की। परिवार में कन्याओं को संस्कार देने में कोई कसर मत रखो। लडका एक कुल का नाम रौशन करता है जबकि लड़की पीहर और ससुराल दो कुलों में अपना गौरव बढ़ाती है। 
 
प्रचार संयोजक जसराज देवड़ा धोका ने बताया कि आज प्रवचन में प्रभावना हरपनहल्ली कर्नाटक से पधारे महिला मंडल व गौतम विनायकिया की ओर से प्रदान की गई। अतिथि लीला सालेचा ने दुनिया मतलब की शीर्ष से व इंद्रा विनायकिया ने गुरु मां पर सभा में स्तवन सुनाया। आज बीजापुर से भी अनिल धारीवाल सपत्निक साध्वीजी के दर्शन वंदन हेतु पधारे। सभी अतिथियों का संपूर्ण चातुर्मास लाभार्थी जसराज भंवरलाल उमेश निमेश देवड़ा धोका परिवार व समिति की तरफ से अभिनंदन किया गया।
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