खैरताबाद जैन स्थानक में अायोजित धर्मसभा में प्रवचन देतीं महासति डॉ.प्रतिभाश्रीजी म.सा.अादि ठाणा।
हैदराबाद, 2 जुलाई-(चन्द्रभान अार.)
`परिवार को स्वर्ग सा सुन्दर बनाने के लिए वाणी का विवेक होना अावश्यक है। तीर से लगा हुअा घाव भर जाता है, लेकिन शब्द रूपी तीर से लगा घाव भरना असंभव है।'उक्त उद्ग़ार खैरताबाद संघ जैन स्थानक में अायोजित धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए पूज्य साध्वी डॉ.प्रतिभाश्रीजी ने उपस्थित धर्मप्रेमियों को दिये। साध्वीश्री ने अागे कहा कि व्यक्ति की पंचेन्द्रियों में रसनेन्द्रिय को जीतना बहुत मुश्किल है। इनमें रसनेन्द्रिय के दो काम हैं, एक है बकना और दूसरा चखना, इसी का नाम है रसना। वाणी चाहे तो दो दिलों को जोड़ भी सकती है और तोड़ भी सकती है। वाणी से हर व्यक्ति के व्यक्तित्व की पहचान होती है। हमारी वाणी संयमित होनी चाहिए।
असंयमित वाणी से महाभारत की रचना भी हो सकती है। व्यक्ति की वाणी में मिठास भी होती है और खटास भी। परिवार को बनाये रखने के लिए वाणी का विवेक होना अावश्यक है। वाणी को संयमित रखने का सबसे बड़ा उपाय है मौन। मौन साधना से तो वचन सिद्धि की प्राप्ति हो जाती है। हमारे शब्दों में माधुर्य का भाव होना चाहिए।
साध्वी परिज्ञाश्रीजी ने अपने प्रवचन में कहा कि प्रभु परमात्मा महावीर ने अंतिम देशना उत्तारध्ययन सूत्र के माध्यम से फरमाया है कि चार अंग मिलना मुश्किल है। जिसमें से मानव भव मिलना दुर्लभ है। मानव जीवन श्रेष्ठ बताते हुए कहा कि पूर्व भव की पुण्यवाणी और इस भव में किया हुअा पुरूषार्थ ही हमारे जीवन को सफल कर सकता है। इस भव में ही हम चारित्र को अंगीकार करके कर्मों की निर्जरा कर सिद्धि को प्राप्त करेंगे, तभी मानव भव पाना सार्थक हो सकता है।
सभा का संचालन संघ के मंत्री पारसमल चाणोदिया ने करते हुए कहा कि पूज्य महासतियों अागामी 4-5 दिन तक खैरताबाद संघ में विराजित है। सभी दर्शन, वंदन और प्रवचन का लाभ लें। अवसर पर फीलखाना संघ के अध्यक्ष जवाहरलाल भंसाली, युवक मंडल के मंत्री अाशीष भंसाली, विपुल रांका, सिकंदराबाद संघ के महामंत्री डायचन्द दक, पारसमल डूंगरवाल, रामचन्द्र केवलचन्द भसंतराज रमेश कुमार भलगट, जयंतीलाल बोहरा, भरत झाडमुथा सहित महिला मंडल व अन्यों ने प्रवचन का लाभ लिया।