नई दिल्ली, 2 जुलाई-(भाषा)
उच्चतम न्यायालय ने केन्द्र सरकार को अाज निर्देश दिया कि उसे दस दिन के भीतर लोकपाल की नियुक्ति के बारे में एक समय सीमा की जानकारी से अवगत कराया जाये। न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति अार. भानुमति की पीठ ने यह निर्देश उस वक्त दिया, जब अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने सरकार से मिले लिखित निर्देश उनके समक्ष पेश किये और कहा कि लोकपाल चयन समिति की शीघ्र ही बैठक होगी।
शीर्ष अदालत ने केन्द्र को दस दिन के भीतर इस संबंध में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। इस हलफनामे में यह संकेत दिया जाना चाहिए की इस नियुक्ति के बारे में क्या कदम उठाये जाने हैं और इसकी समय सीमा क्या है। अटार्नी जनरल ने जब लिखित निर्देशों के प्रासंगिक पैराग्राफ का जिक्र किया, तो पीठ ने कहा कि हम चाहते हैं कि संबंधित लोकपाल की...
अधिकारी हलफनामे पर कहें, जो कुछ भी वह कहना चाहते हैं। गैर-सरकारी संगठन कामन कॉज की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शांति भूषण ने कहा कि साढ़े चार साल बाद भी लोकपाल की नियुक्ति नहीं हो पायी है। इसी संगठन ने लोकपाल की नियुक्त को लेकर याचिका दायर की थी और अब शीर्ष अदालत के पिछले साल 27 अप्रैल के फैसले के बावजूद लोकपाल की नियुक्ति नहीं होने के कारण अवमानना याचिका दायर की है। उन्होंने कहा कि अब समय अा गया है कि शीर्ष अदालत को सरकार द्वारा लोकपाल की नियुक्ति नहीं किये जाने तक संविधान के अनुच्छेद 142 में प्रदत्त अधिकार का इस्तेमाल कर इसकी नियुक्ति करनी चाहिए।
पीठ ने कहा कि इस मामले में कोई भी अादेश पारित करने से पहले वह सरकार में सक्षम प्राधिकार का हलफनामा देखना चाहती है। इसके साथ ही पीठ ने इस मामले की सुनवाई 17 जुलाई के लिये स्थगित कर दी और केन्द्र को इस मामले में दस दिन के भीतर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।
उच्चतम न्यायालय ने केन्द्र सरकार को अाज निर्देश दिया कि उसे दस दिन के भीतर लोकपाल की नियुक्ति के बारे में एक समय सीमा की जानकारी से अवगत कराया जाये। न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति अार. भानुमति की पीठ ने यह निर्देश उस वक्त दिया, जब अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने सरकार से मिले लिखित निर्देश उनके समक्ष पेश किये और कहा कि लोकपाल चयन समिति की शीघ्र ही बैठक होगी।
शीर्ष अदालत ने केन्द्र को दस दिन के भीतर इस संबंध में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। इस हलफनामे में यह संकेत दिया जाना चाहिए की इस नियुक्ति के बारे में क्या कदम उठाये जाने हैं और इसकी समय सीमा क्या है। अटार्नी जनरल ने जब लिखित निर्देशों के प्रासंगिक पैराग्राफ का जिक्र किया, तो पीठ ने कहा कि हम चाहते हैं कि संबंधित लोकपाल की...
अधिकारी हलफनामे पर कहें, जो कुछ भी वह कहना चाहते हैं। गैर-सरकारी संगठन कामन कॉज की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शांति भूषण ने कहा कि साढ़े चार साल बाद भी लोकपाल की नियुक्ति नहीं हो पायी है। इसी संगठन ने लोकपाल की नियुक्त को लेकर याचिका दायर की थी और अब शीर्ष अदालत के पिछले साल 27 अप्रैल के फैसले के बावजूद लोकपाल की नियुक्ति नहीं होने के कारण अवमानना याचिका दायर की है। उन्होंने कहा कि अब समय अा गया है कि शीर्ष अदालत को सरकार द्वारा लोकपाल की नियुक्ति नहीं किये जाने तक संविधान के अनुच्छेद 142 में प्रदत्त अधिकार का इस्तेमाल कर इसकी नियुक्ति करनी चाहिए।
पीठ ने कहा कि इस मामले में कोई भी अादेश पारित करने से पहले वह सरकार में सक्षम प्राधिकार का हलफनामा देखना चाहती है। इसके साथ ही पीठ ने इस मामले की सुनवाई 17 जुलाई के लिये स्थगित कर दी और केन्द्र को इस मामले में दस दिन के भीतर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।