सुख-दु:ख हमारे मन के विचार : डॉ. प्रतिभाश्रीजी

Happiness and sadness depend on our thoughts says Dr. Pratibha Shriji 4july2018
खैरताबाद जैन स्थानक में साध्वी डॉ. प्रतिभाश्रीजी म.सा., साध्वी प्रणतिश्रीजी म.सा. के दर्शन करते श्रावकगण।
हैदराबाद, 3 जुलाई-(चन्द्रभान अार.)
`सुख और दुख हमारे मन के विचार मात्र हैं। मानव मन से ही सुखी और दुखी होता है।'

अाज खैरताबाद जैन स्थानक में अायोजित धर्मसभा में श्रमण संघीय शासन ज्योति साध्वी डॉ. प्रतिभाश्रीजी म.सा. ने उक्त उद्ग़ार व्यक्त करते हुए कहा कि सुख और दुख व्यक्ति के जीवन के दो पहलू हैं। व्यक्ति हमेशा सुख चाहता है और दु:ख को अनदेखा करता है। सुख में व्यक्ति सब कुछ भूल जाता है और दु:ख में प्रभु को याद करता है। व्यक्ति सुख और दु:ख दोनों में प्रभु को याद करता है, तो उसके जीवन में कभी दु:ख अाता ही नहीं है। साध्वीश्री ने अागे कहा कि प्रभु के साथ हमारी घनिष्ठता रहेगी, तो हम अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। अवसर पर साध्वी प्रणतिश्रीजी ने कहा कि जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए मानव को सहनशील बनना जरूरी है। जीवन में सिद्धि को प्राप्त करने के लिए कष्टों को सहन करना जरूरी है। मानव के जीवन में कई उतार-चढ़ाव अाते रहते हैं। सहन करने वाला ही अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है। जो व्यक्ति कष्टों से घबराकर दूर भागता है, वह कभी सफलता प्राप्त नहीं कर सकता। कष्ट सहन करके ही सिद्धि प्राप्त की जा सकती है। इसलिए सहनशील बनें। सभा का संचालन संघ के मंत्री पारसमल चाणोदिया ने किया। उन्होंने बताया कि बुधवार, 4 जुलाई का प्रवचन खैरताबाद संघ के प्रांगण में ही होगा। साध्वीश्री गुरूवार, 5 जुलाई को खैरताबाद स्थानक से विहार कर कृष्णानगर स्थानक में पधारेंगी, जहाँ प्रवचन सुबह 9.15 से 10.30 बजे तक रहेगा।
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