धैर्य रखने को कहा मुख्यमंत्री योगी ने
अयोध्या, 25 जून-(भाषा)
उत्तर-प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी अादित्यनाथ ने अाज कहा कि सरकार लोकतांत्रिक मर्यादाअों से बंधी है और अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिये संतों को अभी वुछ और दिन धैर्य रखना होगा। योगी ने संत सम्मेलन में कहा कि हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में रहते हैं। भारत की इस व्यवस्था के संचालन में न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका की अपनी भूमिका है। हमें उन मर्यादाअों को भी ध्यान में रखना होगा। उन्होंने कहा कि मर्यादा पुरूषोत्तम राम इस ब्रह्मांड के स्वामी हैं, जब उनकी कृपा होगी, तो अयोध्या में मंदिर बनकर ही रहेगा। इसमें कोई संदेह नहीं है, तो फिर संतों को संदेह कहाँ से हो जाता है। अापने इतना धैर्य रखा, मुझे लगता है कि वुछ दिन और धैर्य रखना होगा। अाशा पर दुनिया टिकी हुई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मेरी अपील है कि भगवान राम मर्यादा के प्रतीक है और संतगण वर्तमान समाज में उनके प्रतिनिधि हैं। ऐसे में हमें सभी समस्याअों का समाधान उसी मर्यादा में रहकर करना पड़ेगा। उन्होंने राम मंदिर निर्माण की तरफ इशारा करते हुए कहा कि यह सच है कि अयोध्या ही नहीं भारत के बहुसंख्यक समाज की भावनाएँ हैं, उनकी भावनाअों से हमारी भावनाएँ भी जुड़ी हैं। मंदिर मुद्दे के समाधान का एक मार्ग निकलना ही चाहिये। मुख्यमंत्री ने किसी का नाम लिये बगैर कहा कि मुझे सबसे ज्यादा अाश्चर्य तब होता है, जब रामजन्म भूमि की बात वे लोग करते हैं, जिन्होंने अयोध्या में रामभवÌतों पर गोलियाँ चलायी थीं। मुझे अच्छा लगता है कि चलिये भगवान राम ने जैसे भी हो, उनके मुँह से अपनी जन्मभूमि की बात तो कहलवा ही दी। एक प्रकार ये यह भी हमारी ही विजय है।
योगी ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए किसी का नाम लिये बिना कहा कि इस पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने उच्चतम न्यायालय में अर्जी दाखिल करके कहा कि रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद की सुनवाई वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद हो। वहीं, कांग्रेस के ही लोग कह रहे हैं कि भाजपा मंदिर मुद्दे पर वुछ नहीं कर रही है। कहीं ऐसा तो नहीं कि जब विवाद का पटाक्षेप नजदीक है, तब ये लोग कोई दूसरी साजिश रच रहे हों। मुख्यमंत्री ने कहा कि अाज इस देश में वे लोग लोकतंत्र की बात करते हैं, जिन्होंने वर्ष 1975 में अाज ही के दिन लोकतंत्र का गला घोंटने का प्रयास किया था। इस देश में साम्प्रदायिक सौहार्द की बात वे लोग करते हैं, जिन्होंने अपनी तुष्टीकरण की नीतियों के माध्यम से इस सौहार्द को सबसे ज्यादा नुकसान पहुँचाया। हम सबको नहीं भूलना चाहिये कि सामाजिक न्याय की बात वे लोग कर रहे हैं, जिन्होंने जातीय ताने-बाने के अाधार पर हिन्दू समाज को कमजोर करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि जहाँ तक अयोध्या की बात है, तो यह वर्षों तक उपेक्षित रही है। हमने अपने तीर्थ को भुला दिया था। अयोध्या में सफाई नहीं होती थी। बुनियादी सुविधाअों के लिये तरसना पड़ता था। उसे वैश्विक प्रयास दिलाने के जो प्रयास होने चाहिये थे, वे नहीं हुए। हमने इसे वैश्विक मान्यता दिलाने के लिये ही यहाँ भव्य अायोजन किये। वहाँ बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध करायीं।