हैदराबाद, 20 जून-
तिरूमला के पूर्व मुख्य पुजारी रमणा दीक्षितुलू ने कहा कि तेदेपा को लेकर उन्होंने जो अारोप लगाये थे, उन अारोपों को लेकर तिरूमला न्यासी बोर्ड ने उनके खिलाफ 100 करोड़ रूपये के मानहानि का दावा किया है। बुधवार को मीडिया से बातचीत करते हुए रमणा दीक्षितुलू ने कहा कि उन पर जो अारोप लगे हैं, उसकी निष्पक्ष जाँच होनी चाहिए और यह साबित भी करना होगा कि भगवान बालाजी की पूजा-अर्चना नियमित रूप से की जा रही है। साथ ही भगवान बालाजी के सभी अाभूषण सुरक्षित हैं अथवा नहीं, इसकी भी जाँच करनी चाहिए।
रमणा दीक्षुतुलू ने कहा यदि सवाल पूछने पर मानहानि का दावा किया जाता है, तो वे और भी सवाल पूछने के लिए तैयार हैं। लोकतंत्र में कोई भी ऐसे मुद्दों पर सवाल पूछ सकता है। रमणा दीक्षितुलू ने इस बात पर नाराज़गी व्यक्त की कि तेदेपा को मानहानि दावा करने का अधिकार किसने दिया है।
उन्होंने फिर एक बार सनसनीखेज अारोप लगाया कि तिरूना अाभूषणों को अन्यत्र भेजा जा रहा है। कलयुग में लोगों का लालच बढ़ गया है। पैसों के लालच में अराजकता भी बढ़ गई हैं। कृष्णदेवराय ने भगवान बालाजी को जो बहुमूल्य अाभूषण समार्पित किए थे, उसके बारे में भी जानकारी देने की जिम्मेदारी तिरूमला न्यासी बोर्ड पर हैं।
काकतिया के राजा प्रताप रूद्र ने भगवान बालाजी को 18 लाख मोहरी समार्पित किए थे। एक-एक मोहरी अर्थात 100 ग्राम सोने का होता है। मंदिर का इतिहास बताता है कि यह पूरी संपत्ति मंदिर के भीतर ही हैं। भगवान बालाजी के लिए जहाँ नैवेद्य बनाया जाता है, उसी रसोई में एक सुरंग है और उसी सुरंग से उस जगह पर पहुँचा जा सकता है, जहाँ बालाजी की संपत्ति रखी गई हैं।
न्यासी बोर्ड को यह बताना होगा कि उस रसोई में निर्माण कार्य क्यों अारंभ किया गया था। लड्डाè का निर्माण जहाँ किया जाता है, उसे बंद क्यों कर दिया गया। उन्होंने अारोप लगाया कि भगवान का प्रसाद अपवित्र होने की बात कहने के कारण ही उनके खिलाफ कार्रवाई गई। 8 तारीख को लड्डाè बनाने वाले रसोई को बंद कर दिया गया। 20 तारीख तक उसमें कोई निर्माण कार्य नहीं हुअा। वास्तव में उस रसोई की खुदाई की गई थी।
मंदिर के न्यासी बोर्ड के अधिकारी मुख्यमंत्री के अादेश के बाद ही इसकी खुदाई करने की बात कह रहे हैं। एक हज़ार साल पहले किए गए निर्माण कार्यों को फिर से मरम्मत करने के पीछे क्या राज है, इस बारे में जानकारी देने की जिम्मेदारी न्यासी बोर्ड पर हैं। उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जाँच होनी चाहिए।
तिरूमला के पूर्व मुख्य पुजारी रमणा दीक्षितुलू ने कहा कि तेदेपा को लेकर उन्होंने जो अारोप लगाये थे, उन अारोपों को लेकर तिरूमला न्यासी बोर्ड ने उनके खिलाफ 100 करोड़ रूपये के मानहानि का दावा किया है। बुधवार को मीडिया से बातचीत करते हुए रमणा दीक्षितुलू ने कहा कि उन पर जो अारोप लगे हैं, उसकी निष्पक्ष जाँच होनी चाहिए और यह साबित भी करना होगा कि भगवान बालाजी की पूजा-अर्चना नियमित रूप से की जा रही है। साथ ही भगवान बालाजी के सभी अाभूषण सुरक्षित हैं अथवा नहीं, इसकी भी जाँच करनी चाहिए।
रमणा दीक्षुतुलू ने कहा यदि सवाल पूछने पर मानहानि का दावा किया जाता है, तो वे और भी सवाल पूछने के लिए तैयार हैं। लोकतंत्र में कोई भी ऐसे मुद्दों पर सवाल पूछ सकता है। रमणा दीक्षितुलू ने इस बात पर नाराज़गी व्यक्त की कि तेदेपा को मानहानि दावा करने का अधिकार किसने दिया है।
उन्होंने फिर एक बार सनसनीखेज अारोप लगाया कि तिरूना अाभूषणों को अन्यत्र भेजा जा रहा है। कलयुग में लोगों का लालच बढ़ गया है। पैसों के लालच में अराजकता भी बढ़ गई हैं। कृष्णदेवराय ने भगवान बालाजी को जो बहुमूल्य अाभूषण समार्पित किए थे, उसके बारे में भी जानकारी देने की जिम्मेदारी तिरूमला न्यासी बोर्ड पर हैं।
काकतिया के राजा प्रताप रूद्र ने भगवान बालाजी को 18 लाख मोहरी समार्पित किए थे। एक-एक मोहरी अर्थात 100 ग्राम सोने का होता है। मंदिर का इतिहास बताता है कि यह पूरी संपत्ति मंदिर के भीतर ही हैं। भगवान बालाजी के लिए जहाँ नैवेद्य बनाया जाता है, उसी रसोई में एक सुरंग है और उसी सुरंग से उस जगह पर पहुँचा जा सकता है, जहाँ बालाजी की संपत्ति रखी गई हैं।
न्यासी बोर्ड को यह बताना होगा कि उस रसोई में निर्माण कार्य क्यों अारंभ किया गया था। लड्डाè का निर्माण जहाँ किया जाता है, उसे बंद क्यों कर दिया गया। उन्होंने अारोप लगाया कि भगवान का प्रसाद अपवित्र होने की बात कहने के कारण ही उनके खिलाफ कार्रवाई गई। 8 तारीख को लड्डाè बनाने वाले रसोई को बंद कर दिया गया। 20 तारीख तक उसमें कोई निर्माण कार्य नहीं हुअा। वास्तव में उस रसोई की खुदाई की गई थी।
मंदिर के न्यासी बोर्ड के अधिकारी मुख्यमंत्री के अादेश के बाद ही इसकी खुदाई करने की बात कह रहे हैं। एक हज़ार साल पहले किए गए निर्माण कार्यों को फिर से मरम्मत करने के पीछे क्या राज है, इस बारे में जानकारी देने की जिम्मेदारी न्यासी बोर्ड पर हैं। उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जाँच होनी चाहिए।