हैदराबाद, 20 जून
राज्य में अापराधिक घटनाअों में काफी हद तक कमी अाने के कारण जेल जाने वाले अपराधियों की संख्या भी लगातार घट रही है। वर्ष 2014 में तेलंगाना में जहाँ जेल जाने वाले अपराधियों की संख्या 81,530 थी, वहीं यह संख्या 2017 में घटकर 68,369 जा पहुँची है। कैदियों के न होने से चार कारागारों को बंद करना पड़ा। जेल की सज़ा काटने के बाद अपराधी फिर से अपराध की दुनिया में न उतरे, इसके लिए तेलंगाना सरकार अावश्क कदम उठा रही है और इसके अंतर्गत विभिन्न सुधार कार्यक्रमों को अारंभ किया गया है।
अापराधिक घटनाअों के अादी हो चुके अपराधियों की काउंस्लिंग की जा रही है। जेल की सज़ा काटने के बाद कैदियों को पहले जेल अधिकारी ही रोज़गार उपलब्ध कराते हैं। अब तक 500 से भी ज्यादा कैदियों को अलग-अलग रोज़गार दिए गए हैं। जेल विभाग के नेतृत्व में पूरे राज्य में 13 पेट्रोल पम्प चलाए जा रहे हैं और इनमें 350 लोग काम कर रहे हैं। खास बात यह है कि 150 कर्मचारी ऐसे हैं, जो जेल की सज़ा काट चुके हैं।
नौकरी करने के दौरान भी इनकी लगातार काउंस्लिंग की जाती है। जेल की सज़ा काटने के बाद जेल से छूटने वाले ज्यादातर वैदी पेट्रोल पम्प में ही काम करते हैं। अब तक 3,252 वैदियों की काउंस्लिंग की गई, जिनमें 2,614 वैदियों को जेल से मुक्ति मिली है। इनमें से केवल 44 ऐसे वैदी है, जो दुबारा अपराध कर जेल में अाए हैं।
वेंद्रीय गृह मंत्रालय से संबंधित बोर्ड अॉफ पुलिस रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट के अधिकारियों ने तेलंगाना सरकार द्वारा अमल में लायी जा रही इस योजना का अध्ययन करने के बाद देश के अन्य ज़िलों में भी इसे लागू करने का निर्णय लिया। इसी उद्देश्य से सभी राज्यों के जेल अधिकारियों को चंचलगुड़ा जेल में एक महीने तक प्रशिक्षण दिया गया।
राज्य में अापराधिक घटनाअों में काफी हद तक कमी अाने के कारण जेल जाने वाले अपराधियों की संख्या भी लगातार घट रही है। वर्ष 2014 में तेलंगाना में जहाँ जेल जाने वाले अपराधियों की संख्या 81,530 थी, वहीं यह संख्या 2017 में घटकर 68,369 जा पहुँची है। कैदियों के न होने से चार कारागारों को बंद करना पड़ा। जेल की सज़ा काटने के बाद अपराधी फिर से अपराध की दुनिया में न उतरे, इसके लिए तेलंगाना सरकार अावश्क कदम उठा रही है और इसके अंतर्गत विभिन्न सुधार कार्यक्रमों को अारंभ किया गया है।
अापराधिक घटनाअों के अादी हो चुके अपराधियों की काउंस्लिंग की जा रही है। जेल की सज़ा काटने के बाद कैदियों को पहले जेल अधिकारी ही रोज़गार उपलब्ध कराते हैं। अब तक 500 से भी ज्यादा कैदियों को अलग-अलग रोज़गार दिए गए हैं। जेल विभाग के नेतृत्व में पूरे राज्य में 13 पेट्रोल पम्प चलाए जा रहे हैं और इनमें 350 लोग काम कर रहे हैं। खास बात यह है कि 150 कर्मचारी ऐसे हैं, जो जेल की सज़ा काट चुके हैं।
नौकरी करने के दौरान भी इनकी लगातार काउंस्लिंग की जाती है। जेल की सज़ा काटने के बाद जेल से छूटने वाले ज्यादातर वैदी पेट्रोल पम्प में ही काम करते हैं। अब तक 3,252 वैदियों की काउंस्लिंग की गई, जिनमें 2,614 वैदियों को जेल से मुक्ति मिली है। इनमें से केवल 44 ऐसे वैदी है, जो दुबारा अपराध कर जेल में अाए हैं।
वेंद्रीय गृह मंत्रालय से संबंधित बोर्ड अॉफ पुलिस रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट के अधिकारियों ने तेलंगाना सरकार द्वारा अमल में लायी जा रही इस योजना का अध्ययन करने के बाद देश के अन्य ज़िलों में भी इसे लागू करने का निर्णय लिया। इसी उद्देश्य से सभी राज्यों के जेल अधिकारियों को चंचलगुड़ा जेल में एक महीने तक प्रशिक्षण दिया गया।